बैडरूम में घुसे सांड व गाय, बिस्तर पर चढ़े, ड्रेसिंग टेबल के शीशे में निहारा खुद को, मची खलबली, पढ़ें खबर
ऋषिकेश में आवारा के सड़कों पर रहने से तो लोग वैसे ही परेशान थे, अब वे घर के भीतर भी घुसने लगे हैं। एक घर में तो पांच सांड और एक गाय बैडरूम तक पहुंच गए। फिर तो मानों उन्होंने जश्न मनाना शुरू कर दिया। सांड तो खुद को ड्रेसिंग टेबल के शीशे पर निहारने लगा। इस दौरान घर में मौजूद पैरालाइज से पीड़ित बुजुर्ग को सांड ने टक्कर मारकर कुर्सी से गिरा दिया। किसी तरह आसपास के लोगों और दुकानदारों ने मिलकर इन गोवंश को घर से बाहर खदेड़ा। तब तक वे घर के सामान को भी नुकसान पहुंचा चुके थे। इसे लेकर अब लोगों को दहशत भी बनी है।
उत्तराखंड में तीर्थनगरी ऋषिकेश के वनखंडी क्षेत्र की यह घटना है। वनखंडी निवासी पार्षद अनीता रैना के जेश के घर में ये पशु घुसे। घटना रविवार की शाम करीब 5:30 बजे की है। नगर निगम की पार्षद अनीता रैना के बनखंडी स्थित आवास के बगल में उनके जेठ का घर है। घर में पांच सांड और एक गाय घुस गए।
गृह स्वामी ओंकारनाथ 75 वर्ष को पैरालाइज है। वह शाम के वक्त घर के गेट के पास कुर्सी पर बैठे थे। उनकी पत्नी राजरानी घर पर काम कर रही थी। पुत्र संदीप और विपिन अपनी दुकान में थे। पुत्रवधू अंजलि विवाह समारोह में हरिद्वार गई थी। उनकी पुत्री आजकल मायके आई हुई है। घटना के वक्त बेटी का सात साल का बेटा घर से बाहर खेलने गया था।
इस बीच घर का गेट खुला हुआ था। अचानक से दौड़ते हुए एक गाय और पांच सांड घर में घुस गए। इस दौरान सांड और गाय बेडरूम के भीतर तक पहुंच गए। सांड तो डबल बेड के ऊपर जाकर खड़ा हो गया। बीमार गृह स्वामी कुछ कर पाने की स्थिति में नहीं थे। इन जानवरों के घर में घुसते वक्त एक सांड की टक्कर से उनकी कुर्सी पलट गई और वह जमीन पर गिर गए। उनके पैर पर हल्की चोट आई।
इस दौरान गली में दुकानदारों ने यह सब देखा और सब एकत्र होकर यहां पहुंचे। बड़ी मशक्कत के बाद घर में घुसे इन आवारा पशुओं को घर से बाहर निकाला गया। पार्षद अनीता रैना ने बताया कि इस संबंध में वह सोमवार को नगर आयुक्त से मिलकर आवारा पशुओं के खिलाफ अभियान तेज करने को लेकर बात करेंगी।
ऋषिकेश के शहरी इलाके में आवारा गोवंश का आतंक बढ़ता ही जा रहा है। अब तक इन आवारा पशुओं का आतंक सड़क तक ही सीमित था। इन पशुओं के हमले से कई लोग चोटिल हो चुके हैं। स्थानीय नागरिकों के द्वारा इनके खिलाफ अभियान चलाने की मांग समय-समय पर होती रही है। नगर निगम प्रशासन इस पर कार्यवाही भी करता है किंतु समस्या का पूरी तरह से समाधान नहीं हो पाया है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।