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November 10, 2024

विपक्षी दल निजी स्वार्थ में उकसा रहे किसानों को, कृषि बिल बनेगा आर्थिक क्रांति का वाहकः भगत

उत्तराखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वंशीधर भगत ने किसान बिल को लेकर विपक्षी दलों पर जोरदार हमला किया। साथ ही उन्होंने किसान बिलों के फायदे भी गिनाए। कहा कि विपक्षी दल अपने निजी स्वार्थों के चलते किसानों को बरगला रहे हैं। वहीं, उन्होंने कहा कि ये बिल किसानों की आर्थिकी को सुधारने का प्रमुख जरिया है। एक बयान में उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में किसानों के बजाय विपक्षी दल निजी स्वार्थों के तहत आंदोलन कर रहे हैं। किसानों के उत्थान के लिए केन्द्र सरकार ने संसद में तीन अति महत्वपूर्ण कृषि विधेयकों को पारित किया है, लेकिन सबसे अफसोसजनक बात ये है कि विपक्षी दल किसानों को उकसा रहे हैं। उनके मध्य झूठ प्रचारित कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों के हित के लिए जो कार्य किए हैं, वह पहले किसी सरकार में नहीं हो पाए। मोदी के शासन में गांव गरीब और किसान का पहले ध्यान रखा गया है। मौजूदा कृषि बिल से भी किसानों की दशा और दिशा में क्रांतिकारी बदलाव आएंगे। साल 2009 में यूपीए की सरकार में कृषि मंत्रालय का बजट मात्र 12 हजार करोड़ रुपये था। जो आज कई गुना बढ़ाकर 1 लाख 34 हजार करोड़ किया गया है। इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि मोदी सरकार किसानों की कितनी फिक्रमंद है।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार किसानों के हितों को समर्पित सरकार है आज तक कभी भी केंद्र सरकार की ओर से एक साल में 75 हजार करोड़ रुपये की रकम किसानों के हित में खर्च नहीं हो सकी थी। मोदी सरकार ने ये भी संभव करके दिखाया। पीएम किसान योजना से अब तक 92 हजार करोड़ रुपये सीधे डीबीटी के माध्यम से किसानों के खाते में पहुंच चुके हैं।
मोदी सरकार ने क्रांतिकारी पहल करते हुए कृषि अवसंरचना के लिए 1 लाख करोड़ के पैकेज की घोषणा की है। इसके अलावा मत्स्यपालन के लिए 20 हजार करोड़, पशुपालन के लिए 15 हजार करोड़, हर्बल खेती के लिये 4 हजार करोड़, फूड प्रोसेसिंग के लिए 1000 करोड़ रुपए का पैकेज स्वीकृत किया है, जिसे केंद्रीय कैबिनेट ने भी मंजूरी दे दी है। किसानों को ऋण पर बहुत हद तक निर्भर रहना पड़ता है। मोदी सरकार में न सिर्फ ऋण लेने की व्यवस्था आसान हुई है, बल्कि किसानों को बड़ी मात्रा में ऋण मिल रहा है।
उन्होंने कहा कि यूपीए के समय किसानों को 8 लाख करोड़ का कर्ज मिलता था। आज 15 लाख करोड़ का ऋण सालाना दिया जा रहा है। यूपीए के शासन काल में स्वामीनाथन आयोग ने कृषि कल्याण के लिए अपने सुझाव दिए थे, लेकिन यूपीए ने इन्हें लागू नहीं किया। आज मोदी सरकार ने न सिर्फ स्वामीनाथन की रिपोर्ट के सुझावों को लागू किया है, बल्कि उसमें और अधिक प्रावधान जोड़कर किसानों का हित तलाशा है।सबसे बड़ी बात मोदी सरकार में न्यूनतम समर्थन मूल्य में कई गुना बढ़ोतरी हुई है।
भगत ने रखे आंकड़े
उन्होंने बताया कि वर्ष 2015-16 में धान का एमएसपी 1410 रुपये कुंतल था जो आज 1925 रुपये कुंतल हो गया है। इसी तरह गेहूं की एमएसपी में 50 रुपये कुंतल की वृद्धि हुई है। पहले 1925 रुपये कुंतल थी अब 1975 रुपये कुंतल हो गई। चने की एमसएसपी में 225 रुपये कुंतल की वृद्धि हुई जो पहले 4875 रुपये कुंतल थी अब 5100 रुपये कुंतल हो गई। जौ की एमएसपी में 75 रुपये कुंतल की वृद्धि हुई है। पहले 1525 रुपये कुंतल थी अब 1600रुपये कुंतल हो गई। मसूर की एमएसपी में 300रुपये कुंतल की वृद्धि हुई है। पहले 4800रुपये कुंतल थी अब 5100रुपये कुंतल हो गई। सरसों की एमएसपी में 225 रुपये कुंतल की वृद्धि हुई है पहले 4425रुपये कुंतल थी अब 4650रुपय कुंतल हो गई।
मौजूदा विधायक क्रांतिकारी पहल
भगत ने कहा कि मौजूदा कृषि विधेयक भी किसान कल्याण की दिशा में एक और क्रांतिकारी पहल है। इन विधेयकों से न सिर्फ बिचौलियों की भूमिका खत्म होगी, बल्कि किसानों को एक मुक्त बाजार भी मिलेगा। किसान ऊंची कीमतों पर अपनी उपज बेच सकेगा। मोदी सरकार ने किसानों को दो.तरफा फायदा दिया है। अगर किसान मंडी में उपज बेचता है तो उसे ऊंची एमएसपी पर कीमतें मिलेंगी। अगर मंडी से बाहर बाजार में बेचता है तो उसे ऊंची कीमत के साथ साथ तकनीक का भी लाभ मिलेगा। बीज खरीदने से लेकर फसल बेचने तक एक किसान जगह जगह बिचौलियों से घिरा रहता था और बिचौलिए किसान की कमाई पर डाका डालते थे जिसका नतीजा ये होता था कि किसान को उसकी मेहनत का वाजिब दाम नहीं मिल पाता था।
किसान को उपज बेचने की छूट
उन्होंने कहा कि अब इन विधेयकों में ऐसी व्यवस्थाएं की गई हैं जिससे किसान स्वयं अपनी उपज को अच्छी कीमतों पर मंडियों में या मंडियो के बाहर के बाजार में भी बेच सकता है।
इसमें बिचौलियों की भूमिका खत्म कर दी गई है। यानि जो मुनाफा किसान से बिचौलिए उठाते थे, वो पैसा अब सीधा किसान की जेब में जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इन कृषि विधेयकों से एक राष्ट्र एक बाजार की संकल्पना को मजबूती मिल रही है। किसान अब सीधे बाजार से जुड़ सकेंगे।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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