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December 23, 2024

कभी घोड़े पर सवार होकर राजा का लश्कर गुजरता था यहां से, अब दुर्दशा पर रो रहा है पुराना राजमार्गः सोमवारी लाल सकलानी

यह बटिया (मार्ग) ही नहीं, बल्कि पुराना राजमार्ग है। आज तो ये अपनी दुर्दशा पर रो रहा है।

जी हां। यह बटिया (मार्ग) ही नहीं, बल्कि पुराना राजमार्ग है। आज तो ये अपनी दुर्दशा पर रो रहा है। उत्तराखंट के टिहरी जिले में तल्ला चंबा से नवनिर्मित सुमन कॉलोनी होते हुए यह मार्ग भवानी मंदिर होकर कुडियाल गांव, बुरांसखंडा, सुवाखोली होते हुए मसूरी पहुंचता था। महाराजा साहब का घोड़ा कभी इस मार्ग से जाता था। राजा साहब के साथ काफी लाव लश्कर भी इस मार्ग से आवागमन करता था। आजादी के बाद इस मार्ग का संरक्षण नहीं हुआ और दुर्दशा बढ़ती चली गई। बसायत बढ़ती गई। लोग अपनी ही सुख सुविधा में लीन हो गए और इस मार्ग की उपेक्षा हो गई।
चंबा नगर क्षेत्र से मात्र 100 मीटर की दूरी पर सड़क मार्ग से यह रास्ता निकलता है। स्थानीय गांव मंजूड, स्यूटा, भंडारगांव, जखोत आदि गांवों पुश्तैनी जमीन से होकर यह रास्ता जाता है। सैकड़ों परिवार सुमन कॉलोनी के नाम से इस बटिया से आते जाते हैं, लेकिन उत्तराखंड बनने के 20 वर्ष बाद भी किसी ने इस मार्ग को संवारने की जरूरत महसूस नहीं की।
यह मार्ग जंगलात की भूमि से होकर जाता है। वन विभाग को इस मार्ग को बनाना चाहिए था, क्योंकि जंगल के बीच से होकर के यह मार्ग गुजरता है। वजह से भी है कि ग्रीष्म ऋतु में हर वर्ष आग लगने के कारण बांज के हजारों हरे पेड़ जल जाते हैं। यदि यह मार्ग 200 मीटर पक्का बन जाता तो वन कर्मियों, स्थानीय लोगों को आग बुझाने भी भी सहूलियत होती।
मातृशक्ति तथा किसान भारत की रीड और शान हैं, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। जान जोखिम में डालकर हमारी मां- बहन इस मार्ग से अपनी पुश्तैनी छानियों से प्रतिदिन चारापत्ती, लकड़ी, घास लाती हैं। किसान बैल लेट ले जाते हैं। कृषि सामग्री लेकर के माताएं आवागमन करती हैं। रास्ते के यह हाल हैं कि यदि थोड़ा सा भी चूक हो गई तो फिर जीवन संकट में है।

तल्ला चंबा और सुमन कालोनी दक्षिण भाग में लगभग 300 मजदूर यहां निवास करते हैं और सर्वाधिक उनका जाना आना इसी मार्ग से होता है। सुमन कॉलोनी और तल्ला चंबा अब नगर पालिका परिषद क्षेत्र का प्रथम वार्ड है। इसलिए यहां प्रतिदिन इस मार्ग से सैकड़ों लोग आवागमन करते हैं। सुमन कॉलोनी उत्तर पश्चिम भाग में अनुसूचित जाति के स्थानीय निवासी निवास करते हैं। बीसों परिवार यहां पीढ़ियों से रह रहे हैं। राजशाही के जमाने और बाद के वषों ( उत्तराखंड राज्य से पूर्व )इस मार्ग पर चहल-पहल के कारण यह एक आदर्श मार्ग माना जाता था, जिसकी हालत आज बद से बदतर है।
मेरा स्थानीय प्रशासन, नगर पालिका परिषद चंबा तथा वन विभाग से अनुरोध है कि जनहित को देखते हुए इस संपर्क मार्ग को यथाशीघ्र बनाया जाए। ताकि स्थानीय लोगों के साथ साथ असंख्य नागरिकों का जीवन सुरक्षित रहे। यही नहीं कि इस मार्ग की दुर्दशा किसी के संज्ञान में न हो, जंगलात के दो रेंज कार्यालय सुमन कालोनी तल्ला चंबा में हैं। इस मुद्दे को ध्यान में रखते हुए इस संपर्क मार्ग का 200 मीटर मरम्मत कार्य करेंगे, क्योंकि विभाग की भूमि के अंतर्गत यह आता है इसलिए विभाग की जिम्मेदारी भी है कि संपर्क मार्ग पर गौर किया जाए। साथ ही अपने जनप्रतिनिधियों, स्थानीय ग्रामों के सम्मानित प्रधान गणों, नगर पालिका परिषद चंबा तथा वन विभाग से निवेदन है कि अवश्य इस मार्ग का यथाशीघ्र इस संपर्क मार्ग का जीर्णोद्धार करें। यह जनहित का मुद्दा है।


लेखक का परिचय
कवि एवं साहित्यकार सोमवारी लाल सकलानी, निशांत सेवानिवृत शिक्षक हैं। वह नगर पालिका परिषद चंबा के स्वच्छता ब्रांड एंबेसडर हैं। वर्तमान में वह सुमन कॉलोनी चंबा टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड में रहते हैं। वह वर्तमान के ज्वलंत विषयों पर कविता, लेख आदि के जरिये लोगों को जागरूक करते रहते हैं।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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