दूसरे दिन राम लक्ष्मण ने किया ताड़का और सुबाहु का वध, मारीच ने भागकर बचाई जान, अहिल्या का किया उद्धार
विश्वामित्र आदि ऋषि-मुनियों को रावण के राक्षस सताने लगे और उनका यज्ञ भंग करने लगे। ऐसी स्थिति में यज्ञ की रक्षा के लिए विश्वामित्र राजा दशरथ के पास राम और लक्ष्मण को साथ लेने के लिए आए। राजा दशरथ राम और लक्ष्मण सिंह को मोह बस विश्वामित्र के साथ राम और लक्ष्मण को भेजने से इनकार करने की कोशिश की, लेकिन गुरु वशिष्ठ के परामर्श पर राजा दशरथ ने दोनों पुत्रों को महर्षि विश्वामित्र के साथ भेजा।
जहां राम और लक्ष्मण ने ताड़का के साथ ही सुबाहु राक्षस का वध किया। इस दौरान मारीच अपनी जान बचाकर भाग गया। उसके पश्चात गौतम ऋषि की शिला बनी पत्नी अहिल्या का उद्धार उद्धार भगवान राम ने किया। प्रभु श्री राम ने चरण स्पर्श कर उसे नारी में परिवर्तित कर दिया। इसके पश्चात जनकपुर से राजा जनक का आमंत्रण उन्हें मिला और सीता स्वयंवर को देखने विश्वामित्र के साथ राम लक्ष्मण जनकपुर चले गए।
वहां राम ने गुरु से नगर भ्रमण और वाटिका भ्रमण की आज्ञा ली। वाटिया में राम और सीता एक दूसरे को देखते हैं और एक दूसरे को अपना जीवनसाथी बनाने का मन ही मन संकल्प लेते हैं। आज रविवार की रात इसी रंगमंच पर सीता स्वयंवर और श्री राम सीता का विवाह लीला दिखाई जाएगी। संरक्षक साहू, प्रधान योगेश अग्रवाल, मंत्री अजय गोयल, संजय धीमान, अमर अग्रवाल, वैभव आदि की उपस्थिति में लीला सम्पन्न हुई।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।