अगले ओलंपिक की तैयारी में ओडिशा, बनाएगा 89 स्टेडियम, दूसरे राज्यों में नाटक, खिलाड़ियों के नाम मुफ्त स्कीम, खेल सुविधाओं की दरकार
ओडिशा का नया कदम
भारतीय हॉकी को आगे बढ़ाने के लिए वर्ष 2018 में ओडिशा सरकार की ओर से जो प्रयास किए गए, उसी का नतीजा ये रहा कि भारतीय पुरुष और महिला हॉकी टीम ओलंपिक में सेमीफाइनल के सफर तक पहुंची। अब ओलंपिक में भारतीय खिलाड़ियों के बेहतर प्रदर्शन के बाद नोटंकी को छोड़ ओडिशा ने फिर खेलों के प्रति गंभीरता दिखाई और बड़ा कदम उठाया। इस पहल का जोर खेल ढांचा तैयार करने पर है। भारतीय हॉकी टीम के प्रायोजक ओडिशा ने राज्य में 89 बहुउद्देश्यीय इनडोर स्टेडियमों के निर्माण का फैसला किया है। एक ट्वीट में यह जानकारी दी गई। ओडिशा स्पोर्ट्स (Odisha Sports) के इस ट्वीट में कहा गया है कि- राज्य के स्पोर्ट्स इन्फ्रास्ट्रक्चर को गति देने के लिए CM नवीन पटनायक की अगुवाई वाली कैबिनेट ने 89 बहुउद्देशीय इनडोर स्टेडियमों को मंजूरी दी है। यह खेल के साथ ही जरूरत पड़ने पर आपदा स्थल और फील्ड हॉस्पिटल के लिहाज से भी उपयोगी होंगे। इन पर कुल 693.35 करोड़ रुपये की लागत आएगी। गौरतलब है कि भारत की पुरुष और महिला हॉकी, दोनों का ही स्पांसर ओडिशा राज्य है। इस लिहाज देश में हॉकी को फिर ऊंचाई देने में ओडिशा (Odisha) और यहां के सीएम नवीन पटनायक (Naveen Patnaik) के योगदान को नहीं भुलाया जा सकता।
टोक्यो ओलंपिक में भारत का प्रदर्शन
टोक्यो ओलंपिक 2020 में जैवलिन थ्रो के स्वर्ण पदक के साथ भारत का सात पदक मिले। जो कि भारत के किसी ओलंपिक में सर्वाधिक पदक हैं। इससे पहले वर्ष 2012 में भारत ने छह पदक हासिल किए थे। भारतीय महिला वेटलिफ्टर मीराबाई चानू ने खेलों के दूसरे दिन ही भारत को पहला रजक पदक दिलाया था। वहीं दूसरा कांस्य पदक भारतीय बैडमिंटन स्टार पीवी सिंधु ने भारत की झोली में डाला था। इसके बाद लवलीना बोरगोहेन ने मुक्केबाजी में व्यक्तिगत ब्रॉन्ज मेडल जीता था। यह भारत के लिए तीसरा पदक था। भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने कांस्य पदक जीतकर भारत की झोली में चौथा पदक डाल दिया। वहीं, रवि कुमार दहिया ने सिल्वर जीता और बजरंग पूनिया ने कांस्य पदक जीत लिया। इसके बाद नीरज चौपड़ा ने जेवलिन थ्रो में स्वर्ण पदक दिलाकर भारत को सातवां पदक दिलाया। साथ ही भारत की झोली में एक गोल्ड, दो सिल्वर, चार कांस्य पदक के साथ कुल सात पदक आ चुके हैं। साथ ही व्यक्तिगत स्पर्धा में 13 साल बाद भारत को गोल्ड मैडल मिला। इससे पहले अभिनव बिंद्रा ने स्वर्ण पदक जीता था।
खेलों को लेकर नोटंकी
अब सवाल उठता है कि हम खेलों को बढ़ावा देने का काम कर रहे हैं या फिर खेल को लेकर राजनीति हो रही है। भारतीय पुरुष और महिला हॉकी टीम के प्रदर्शन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के सर्वोच्च खेल पुरस्कार ‘खेल रत्न’ को हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का नाम देने क ऐलान किया है। पीएम ने एक ट्वीट करके यह जानकारी दी। उन्होंने ट्वीट में लिखा कि-मेजर ध्यानचंद भारत के उन अग्रणी खिलाड़ियों में से थे, जिन्होंने भारत के लिए सम्मान और गौरव लाया। लोगों की भावनाओं को देखते हुए, इसका नाम अब मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार किया जा रहा है। गौरतलब है के खेल रत्न पुरस्कार पहले ‘राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार’ के नाम से जाना जाता था। यदि पीएम मोदी खेलों को लेकर इतने ही गंभीर हैं तो सबसे पहले गुजरात के अहमदाबाद में नरेंद्र मोदी स्टेडियम का नाम किसी खिलाड़ी के नाम से करें। खेल बजट की कटौती को बंद करें। अभी तक पीएम की तरफ से ये बयान नहीं आया कि अगले ओलंपिक की तैयारी में सरकार खिलाड़ियों को क्या सुविधाएं देने जा रही है।
खिलाड़ियों के नाम पर पहली नोटंकी
गुजरात के भरूच में तो एक पेट्रोल पंप स्वामी ने नीरज चौपड़ा के नाम पर दो दिन मुफ्त स्कीम निकाली। गौरतलब है कि जापान में ओलिंपिक 2020 महाकुंभ में शनिवार सात अगस्त को भारतीय एथलीट नीरज चोपड़ा ने जैवलिन थ्रो में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया था। इस कारनामे के साथ ही नीरज चोपड़ा ओलिंपिक की व्यक्तगित प्रतिस्पर्धा में सोना जीतने वाले इतिहास के सिर्फ दूसरे और एथलेटिक्स में यह कारनामा करने वाले पहले भारतीय एलीट बन गए गए हैं। नीरज चोपड़ा से पहले व्यक्तिगत स्पर्धा में सिर्फ शूटिंग में अभिनव बिंद्रा ने साल 2008 में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीता था।
गुजरात के भरूच जिले में नीरज नाम के लोगों के लिए एक स्थानीय पेट्रोल पंप ने खास ऑफर दिया। पेट्रोल पंप के मालिक ने नीरज चोपड़ा के स्वर्ण पदक का जश्न मनाने के लिए नीरज नाम के लोगों को 501 रुपये का मुफ्त पेट्रोल देने की घोषणा की थी। नेतरंग शहर में एसपी पेट्रोलियम के मालिक अयूब पठान ने न्यूज एजेंसी एएनआई को बताया कि सभी “नीरज” नाम के लोगों को 501 रुपये का मुफ्त पेट्रोल दिया जाएगा, जो वैध पहचान आईडी पेश करने के बाद पेट्रोल ले सकते हैं। दो दिवसीय इस स्कीम के तहत नीरज नाम वालों को रविवार आठ और सोमवार नौ अगस्त को 501 रुपये का मुफ्त पेट्रोल दिया गया।
अब हरिद्वार में वंदना और नीरज के नाम पर नोटंकी
अब गुजरात की तर्ज पर उषा ब्रेको लिमिटेड हरिद्वार उत्तराखंड के क्षेत्रीय प्रमुख मनोज डोभाल का प्रेस नोट सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है। इस प्रेस नोट की सत्यता पर लोकसाक्ष्य पुष्टि नहीं करता है। हो सकता है कि ये फर्जी हो। इसमें नीरज और महिला हॉकी खिलाड़ी वंदना के नाम पर स्कीम आज से लागू की जा रही है। वंदना ने ओलंपिक में तीन गोल दागकर हैट्रिक बनाई थी। इन दोनों खिलाड़ियों के नाम से प्रेस नोट में कहा गया है कि नीरज चौपड़ा और वंदना कटारिया के सम्मान में 11 अगस्त से 22 अगस्त तक स्कीम चलाई जा रही है। इनमें कहा गया है कि नीरज और वंदना के नाम वालों को आधार कार्ड दिखाकर मां चंडी देवी रोपवे में मुफ्त सेवा प्रदान की जाएगी।
सबसे बड़ा सवाल
क्या नीरज और वंदना नाम के लोग ही ओलंपिक में अच्छे प्रदर्शन से खुश हैं। क्या स्कीम का फायदा इन नाम वालों को ही मिलना चाहिए। क्या हमारे उन खिलाड़ियों को सम्मान नहीं दिया जाना चाहिए जो ओलंपिक में अच्छा प्रदर्शन करके आए, भले ही मेडल से चूक गए हों। भारत की गोल्फर अदिति अशोक ने टोक्यो ओलंपिक में पदार्पण करने के साथ ही चौथा स्थान हासिल किया। फाइनल राउंट तक पहुंचने से पहले वह दूसरे स्थान पर चल रही थी। चौथे और अंतिम दौर में वह एक प्वाइंट से चूक गई। क्या उनके इस योगदान को हम भूल गए। क्या 20 किलोमीटर वॉक रेस में भारत के प्रियंका गोस्वामी के प्रदर्शन को हम भूल गए। मेरठ की प्रियंका 12 किलोमीटर तक पांचवे स्थान पर चल रही थीं। प्रियंका टोक्यो ओलंपिक में 17वें स्थान पर रही थीं। क्या हम बीस किलोमीटर वॉक रेस में भारत के संदीप कुमार के योगदान को भूल गए। भारत के संदीप कुमार अच्छी शुरुआत के बाद पिछड़ने के कारण टोक्यो ओलंपिक की 20 किमी पैदल चाल स्पर्धा में 23वें स्थान पर रहे। संदीप अच्छी शुरुआत करते हुए शुरुआती आठ किमी के बाद दूसरे स्थान पर चल रहे थे।। इसके बाद वह लगातार पिछड़ते चले गए। संदीप 10 किमी के बाद 12वें, 14 किमी के बाद 19वें और 16 किमी के बाद 23वें स्थान पर खिसक गए। अब यहां बताएंगे कि किस तरह भारतीय खिलाड़ी प्रैक्टिस के लिए स्थान तलाशते हैं और उनका सपना टूट जाता है।
खेतों में की दौड़ की तैयारी, मिला रजत, टूटा सपना
जूनियर नेशनल में नए राष्ट्रीय रिकॉर्ड के साथ स्वर्ण पदक जीतकर राज्य का नाम रोशन करने वालीं उत्तराखंड की धावक अंकिता ने ध्यानी सड़क और खेतों में दौड़कर ओलंपिक क्वालिफाइंग की तैयारी की, लेकिन उनका सपना टूट गया। मूल रूप से पौड़ी गढ़वाल निवासी अंकिता ने स्पोर्ट्स कॉलेज में प्रैक्टिस की अनुमति मांगी, लेकिन नहीं मिली। राज्य एथलेटिक्स संघ ने अंकिता को देहरादून के रायपुर स्पोर्ट्स कॉलेज में प्रैक्टिस के लिए सिंथेटिक ट्रैक पर अनुमति देने के लिए मंत्री से लेकर अधिकारियों तक से गुहार लगाई, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। उसी उत्तराखंड की बेटी अंकिता ने 60वीं नेशनल इंटर स्टेट सीनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप 5000 मीटर दौड़ में कांस्य पदक जीत कर उत्तराखंड का नाम रोशन किया। हालांकि वह 1500 मीटर के इवेंट में पिछड़ गईं। 25 जून से 29 जून तक एनआईएस पटियाला में आयोजित हुई थी।
ये है खेल बजट की स्थिति
संसद में पेश किये गये आम बजट में केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए खेलों के बजट में कटौती की है। इस बजट में खेल के लिए कुल 2,596.14 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है। जो पिछले साल के बजट से 230.78 करोड़ रुपए कम है। हालांकि खेल प्राधिकरण (साई) को 660.41 करोड़ रुपए का बजट प्रस्तावित किया गया है जो पिछले साल 500 करोड़ रुपए ही था। खेल मंत्रालय के प्रमुख आयोजन खेलो इंडिया के बजट में भी कटौती की गई है। इस बार 657.71 करोड़ रुपए का ही आवंटन किया गया है, जबकि वित्त वर्ष 2020-21 में इस आयोजन के लिए 890.42 करोड़ रुपए देने की घोषणा हुई थी। खेल के लिए आवंटित कुल बजट की बात करें तो यह पिछले वित्त वर्ष के संशोधित अनुमान से 795.99 करोड़ रुपए अधिक है। वर्ष 2020-21 में खेल के लिए पहले 2826.92 करोड़ रुपए देने की घोषणा हुई थी जिसे बाद में घटाकर 1800.15 करोड़ कर दिया गया था।
हॉकी में भारत के सेमीफाइनल तक सफर में ओडिया का योगदान
हॉकी टीमों को बेहतरीन प्रदर्शन के लिए देशभर से बधाई तो मिल रही है, इसे लेकर ओडिशा सरकार की भी तारीफ हो रही है। यहां हम आपको बताते हैं कि आखिर भारतीय हॉकी टीम के बेहतरीन प्रदर्शन के बाद यह राज्य चर्चा में क्यों है।
कई खिलाड़ी दिए इस राज्य ने
ओडिशा के कई खिलाड़ी भारतीय हॉकी टीम के या तो हिस्सा रहे हैं या नेतृत्व किया है। चाहे पूर्व कैप्टन प्रबोधन टिर्की हो, वेटरन खिलाड़ी दिलीप टिर्की हो या फिर वर्तमान में तोक्यो ओलिंपिक में भारतीय पुरुष हॉकी टीम के उपकप्तान बीरेंद्र लकड़ा हों या महिला हॉकी टीम की खिलाड़ी दीप ग्रेस एक्का, इन सभी ने हॉकी में राज्य और देश का नाम रोशन किया है।
हॉकी को आगे बढ़ाने में मदद
ओडिशा का भारतीय हॉकी को आगे बढ़ाने में योगदान यहीं तक सीमित नहीं है। ओडिशा सरकार भारतीय हॉकी के गौरवशाली इतिहास को पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रही है। ओडिशा सरकार के हॉकी प्रेम और उसे आगे बढ़ाने की गंभीरता को इसी बात से समझा जा सकता है कि यह राज्य भारत की महिला, पुरुष और जूनियर हॉकी टीमों का 2018 से आधिकारिक स्पॉन्सर है। पिछले कुछ सालों में हॉकी के कई बड़े टूर्नमेंट जैसे पुरुष हॉकी वर्ल्ड कप, वर्ल्ड लीग, प्रो लीग और ओलिंपिक क्वॉलीफायर्स का आदि के मैच राजधानी भुवनेश्वर में हुए हैं। ओडिशा लगातार हॉकी टीमों की विभिन्न तरीके से मदद करता रहता है।
भारत का गौरव वापस लाने में जुटी है ओडिसा सरकार
ओडिशा सरकार भारतीय हॉकी का गौरव वापस लाने के लिए 2018 से ही सभी देश की सभी राष्ट्रीय हॉकी टीमों (महिला, पुरुष और जूनियर ) की मदद कर रही है। ये देश का इकलौता राज्य हैं जो किसी भी नैशनल हॉकी टीम के आधिकारिक पार्टनर हैं। लगातार सपोर्ट मिलने से भारतीय टीमों के प्रदर्शन में स्थिरता आई है। ये सब प्रयास ओडिसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की ओर से किए जा रहे हैं।
कॉरपोरेट नहीं, सरकार आइ आगे
दरअसल, आमतौर पर ओलंपिक जैसे बड़े खेलों में टीमों को कॉरपोरेट स्पॉन्सर करता है, लेकिन भारतीय हॉकी की कहानी कुछ दूसरी है। पुरुष और महिला हॉकी टीम को कोई कॉरपोरेट नहीं, बल्कि ओडिशा की सरकार कर रही है। इसको लेकर आम लोगों से लेकर सोशल मीडिया तक ओडिशा और उसके मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की काफी चर्चा हो रही है।
मदद के नाम पर अपनी फोटो तक सीमित नेता
खेलों को बढ़ावा देने के लिए भले ही केंद्र सरकार ने कुछ विशेष प्रयास नहीं किए हों। खेल के संशोधित बजट में कटौती तक कर दी। वहीं, एक बात तो है कि ओलंपिक में गए खिलाड़ियों को बधाई देने वाले नेताओं की फोटो के विज्ञापन हर जगह दिख जाएंगे। खिलाड़ियों की फोटो की बजाय पीएम हों या खेल मंत्री, उनकी फोटो ऐसे विज्ञापनों में दिख जाएंगी। इसी तरह खिलाड़ी की जीत पर बधाई देने की होड़ सिर्फ ओलंपिक के दौरान ही रहती है। खेल खत्म होने के बाद सब कुछ भुला दिया जाता है। वहीं, ओडिशा सरकार का योगदान अहम है।
जरूरत पड़ी तो साथ दिखे पटनायक
भारतीय हॉकी टीम को जब वित्तीय सहायता की जरूरत थी, तब कोई और नहीं, बल्कि नवीन पटनायक ही साथ खड़े हुए। उनकी सरकार ने दोनों टीमों को स्पॉन्सर किया और आज वह समय है, जब टोक्यो ओलंपिक में सबसे ज्यादा चर्चा वाली टीमों में भारतीय हॉकी टीम भी शामिल हो गई है। दरअसल, नवीन पटनायक खुद भी स्कूल के दिनोंमें गोलकीपर रह चुके हैं। पहली बार ओडिशा ने राष्ट्रीय पुरुष और महिला हॉकी को स्पॉन्सर करने का फैसला किया, जिसके बाद वह इस तरह का पहला राज्य बन गया।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।