केजरीवाल के बाद नितिन गडकरी ने भी दिया वही सुझाव, बोले-पीएम से करूंगा आग्रह
दिल्ली के सीएम केजरीवाल के बाद अब केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को सुझाव दिया कि कोरोनारोधी टीके का उत्पादन बढ़ाने के लिये कुछ और दवा कंपनियों को इसके उत्पादन की मंजूरी दी जानी चाहिए।

कोरोना का कहर जिस तेजी से भारत में बढ़ रहा है, उसे लेकर अब व्यापक प्रबंध की जरूरत महसूस की जाने लगी है। फिलहाल नए संक्रमित तो कम मिल रहे हैं, लेकिन मौत का आंकड़ा नए रिकॉर्ड बनाता जा रहा है। दिल्ली के सीएम केजरीवाल के बाद अब केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को सुझाव दिया कि कोरोनारोधी टीके का उत्पादन बढ़ाने के लिये कुछ और दवा कंपनियों को इसके उत्पादन की मंजूरी दी जानी चाहिए। विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को वीडियो कन्फ्रेंसिंग के जरिये संबोधित करते हुये गडकरी ने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से इस बारे में आग्रह करेंगे। उन्होंने कहा कि देश में जीवन रक्षक दवाओं का उत्पादन बढ़ाने के लिये और दवा कंपनियों को मंजूरी देने के लिये कानून बनाया जाना चाहिये। इसमें दवा के पेटेंट धारक को अन्य दवा कंपनियों द्वारा 10 प्रतिशत रॉयल्टी देने की व्यवस्था की जानी चाहिये।
उन्होंने कहा कि-यदि टीके की आपूर्ति के मुकाबले उसकी मांग अधिक होगी तो इससे समस्या खड़ी होगी। इसलिये एक कंपनी के बजाय 10 और कंपनियों को टीके का उत्पादन करने में लगाया जाना चाहिये। इसके लिये टीके के मूल पेंटेंट धारक कंपनी को दूसरी कंपनियों द्वारा दस प्रतिशत रॉयल्टी का भुगतान किया जाना चाहिये। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इस संबंध में पत्र लिखकर कहा कि केन्द्र को टीका बनाने वाली दोनों कंपनियों का फार्मूला अन्य सक्षम दवा विनिर्माता कंपनियों को देना चाहिये, ताकि टीके का उत्पादन बढ़ाया जा सके।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री गडकरी ने कहा कि भारत को अभी भी दवाओं के लिये कच्चा माल विदेशों से मंगाना पड़ता है। हम आत्मनिर्भर भारत बनाना चाहते हैं। भारत के सभी जिले चिकित्सा आक्सीजन के मामले में आत्मनिर्भर होने चाहिये। उन्होंने कहा कि देश का स्वास्थ्य क्षेत्र इस समय गहरे संकट से गुजर रहा है। महामारी के दौरान हमें सकारात्मक रुख रखते हुये आत्मविश्वास को बनाये रखना चाहिये।
भारत में दो कंपनियां कर रही हैं उत्पादन
वर्तमान में देश में कोरोना रोधी टीके का उत्पादन दो कंपनियां कर रही हैं। पहली भारत बायोटेक जो कोवैक्सिन टीका बना रही है और दूसरी सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया जो कि कोविशील्ड का उत्पादन कर रही है। केजरीवाल ने कहा कि इन दोनों कंपनियों को दूसरी कंपनियों की ओर से टीका उत्पादन से होने वाले मुनाफे में से रायल्टी दी जा सकती है। देश में फिलहाल तीन टीकों को ही इस्तेमाल की अनुमति मिली है। कोवैक्सीन, कोविशील्ड और स्पुतनिक- वी। डा. रेड्डीज लैब स्पुतनिक- वी का रूस से आयात कर रही है। फिलहाल देश में इसकी उपलब्धता व्यापक स्तर पर नहीं है।
भारत में एक दिन में मौत ने बनाया विश्व रिकॉर्ड
भारत में कोरोनावायरस का कहर जारी है। अब कहर का असर सीधे मौत के रूप में देखा जा रहा है। कोरोना वायरस के नए मामलों में जहां थोड़ी गिरावट देखने को मिल रही है, वहीं मौत के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। बुधवार की सुबह केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 24 घंटे में पूरे देश में 4529 लोगों की कोरोना की वजह से जान गई है। बताया जा रहा है कि एक दिन का यह आंकड़ा पूरे विश्व में अब तक सबसे ज्यादा है। वहीं, इस दौरान 267334 नए मामले दर्ज किए गए हैं। इसके साथ ही कुल समंक्रमितों की संख्या 25496330 पहुंच गई है। देश में अभी भी 3226719 कोरोना वायरस के सक्रिय मामलें हैं।
साथ ही पिछले 24 घंटे में 389851 लोगों ने कोरोना को मात दी है। इस दौरान 1312155 लोगों को कोरोना का टीका लगाया गया है। अब तक 185809302 लोगों को टीका लगाया जा चुका है। पिछले एक दिन में 2008296 लोगों की कोरोना जांच की गई है। भारत की पॉजिटिविटी रेट में भी गिरावट हुई है, वह गिरकर 13.31 फीसद पहुंच गई है।
एक हजार चिकित्सकों ने गंवाई जान
दो दिन पूर्व देश में कोरोना संकट के चलते महज एक दिन में ही 50 डॉक्टरों की मौत का मामला सामने आया है। भारत में इस साल आई कोरोना की दूसरी लहर में अब तक 244 डॉक्टर जान गंवा चुके हैं। इससे पहले बीते साल कोरोना की पहली लहर में देश में 736 चिकित्सकों की मौत हो गई थी। इस तरह कोरोना के चलते अब तक देश में करीब 1000 डॉक्टरों की मौत हो चुकी है। चिकित्सकों की मौत के संबंध में ये दावा आइएमए की ओर से किया गया है। आइएमए से जुड़े चिकित्सकों का कहना है कि केंद्र सरकार ने ऐसी मौत पर 50 लाख के मुआवजे की घोषणा की थी। सिर्फ अब तक चार चिकित्सकों को ही ये राशि मिली है। अब चिकित्सक ऐसे मृतक के परिवारों की मदद को चंदा एकत्र कर रहे हैं।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
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