बुजुर्ग की दाढ़ी काटने के वीडियो पर ट्विटर सहित नौ के खिलाफ मुकदमा, पीड़ित परिवार ने पुलिस के दावे पर उठाए सवाल
दिल्ली से सटे गाजियाबाद के लोनी में ऑटो चालक और अन्य युवकों की ओर से बुजुर्ग की पिटाई व दाढ़ी काटने का वीडियो वायरल होने के मामले में पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है।
गाजियाबाद पुलिस ने बताया कि खुफिया एजेंसियों की जांच में सामने आया कि वीडियो वायरल करने के पीछे लोनी के एक नेता का हाथ है। उधर, मंगलवार को बुजुर्ग की पिटाई के दो आरोपितों को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। पुलिस ने बताया कि बुलंदशहर निवासी बुजुर्ग झाड़-फूंक और ताबीज बनाने का काम करते हैं। बंथला निवासी प्रवेश गुर्जर ने बुजुर्ग से ताबीज बनवाया था। प्रवेश का आरोप है कि ताबीज पहनने के बाद उसे नुकसान हो गया। पांच जून को लोनी पहुंचे बुजुर्ग के साथ प्रवेश और उसके साथियों ने मारपीट की।
बुजुर्ग ने सात जून को लोनी बार्डर थाने में युवकों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पुलिस ने आरोपित प्रवेश को जेल भेज दिया था। उसके साथियों की तलाश जारी थी। मंगलवार को दो आरोपितों आदिल खान निवासी बेहटा हाजीपुर और कल्लू निवासी सरल कुंज को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। आरिफ, मुशाहिद, पोली समेत चार अन्य की तलाश जारी है।
पुलिस ने बताया कि घटना के नौ दिन बाद अचानक इसका वीडियो वायरल कर दिया गया। साथ ही वीडियो वायरल करने वाले लोगों ने पोस्ट में लिखा कि नारे नहीं लगाने पर बुजुर्ग की पिटाई की गई है। सोमवार को मामले में बुजुर्ग से पूछताछ की गई तो उन्होंने नारे लगवाने की बात से इनकार कर दिया। खुफिया एजेंसियों की जांच में सामने आया कि वीडियो वायरल करने के पीछे लोनी के एक नेता का हाथ है। उसी ने बुजुर्ग को भड़काया और गलत अफवाह फैलाई। सूत्रों की मानें अन्य आरोपितों में कुछ मीडियाकर्मी भी शामिल हैं। इसके साथ ही ट्विटर ने इस वीडियो को हटाने की कार्रवाई नहीं की। देर रात मामले की रिपोर्ट दर्ज की गई है। क्षेत्राधिकारी ने बताया कि जल्द ही मामले में आरोपितों की गिरफ्तारी की जाएगी।
ट्विटर ने नहीं माने नियम तो हो रही कार्रवाई
सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के एक सूत्र ने बताया है कि ट्विटर ने नए आईटी नियमों का पालन करके अपने कानूनी सुरक्षा का आधार गंवा दिया है, ऐसे में अब्दुल समद वाले मामले में उन पर एक्शन लिया जा सकता है। इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर चला था, जिसे मैनिपुलेटेड बताया जा रहा है, लेकिन ट्विटर ने इसे फ्लैग नहीं किया था, ऐसे में ट्विटर पर भी मामले में केस दर्ज हुआ है।
सूत्र ने बताया कि नए आईटी नियम 25 मई, 2021 से लागू हो चुके हैं, लेकिन ट्विटर ही एक ऐसा अकेला टेक प्लेटफॉर्म है, जिसने इन नियमों का पालन नहीं किया है। इसकी वजह से एक इंटरमीडियरी के तौर पर अपनी सुरक्षा खो चुके हैं। अब जब उन्हें इसके तहत कोई सुरक्षा नहीं मिली हुई है और उन्होंने इस घटना के वीडियो को मैनिपुलेटेड मीडिया के तौर पर फ्लैग नहीं किया तो उनपर एक्शन लिया जा सकता है।
सूत्र ने बताया कि ‘सरकार ने गुडविल के रूप के 5 जून को ट्विटर को आखरी पत्र लिख कर तुरंत नए नियमों के पालन की सलाह दी थी। ट्विटर ने 6 जून को लिखे पत्र में स्वयं कहा था कि एक सप्ताह में वो चीफ कम्प्लायन्स ऑफिसर नियुक्त करेंगे, लेकिन यह भी नहीं किया। सूत्र का कहना है कि अभी तक सरकार को ट्विटर के CCO की कोई डिटेल नहीं मिली है।
हालांकि, ट्विटर का कहना है कि कंपनी ने अंतरिम मुख्य अनुपालन अधिकारी नियुक्त किया है और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के साथ जल्द ही ब्यौरा साझा किया जाएगा। ट्विटर प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि नए दिशा-निर्देशों का पालन करने की हर कोशिश जारी है।
पीड़ित परिवार ने पुलिस के दावे पर उठाए सवाल
यूपी के गाजियाबाद में एक मुस्लिम बुजुर्ग अब्दुल समद की पिटाई और दाढ़ी काटने के मामले में पीड़ित परिवार ने पुलिस के दावे को गलत ठहराया है। समद के परिवार का कहना है कि उनके परिवार में कोई भी ताबीज बेचने का काम नहीं करता है। समद ने आरोप लगाया था कि उसे जय श्री राम और वंदेमातरम के नारे लगाने के लिए मजबूर किया गया। उसने कहा कि जंगल में ले जाने के बाद उसे 5 जून को बांध दिया गया और मारपीट के साथ दाढ़ी भी काट दी गई। हालांकि यूपी पुलिस ने मामले में किसी भी धार्मिक एंगल होने से मना किया है।
समद के बेटे बब्लू सैफी ने कहा, पुलिस गलत कह रही है कि उनके वालिद ताबीज बेचने का काम करते हैं. हमारे परिवार में कोई भी ये काम नहीं करता है, हम पेशे से बढ़ई है। पुलिस सही बात नहीं बता रही है। उन्हें इस मामले की जांच कर सच्चाई सामने लाने दीजिए। उन्होंने कहा कि हमने 6 जून को लोनी पुलिस स्टेशन में एक शिकायत दर्ज कराई थी। इस पर एक पुलिसकर्मी ने कहा कि चचा दाढ़ी कटने में कौन सी बड़ी बात है, लेकिन हमारे साथ पुलिस स्टेशन गए एक व्यक्ति ने नाराजगी में कहा कि दाढ़ी बहुत से मुस्लिमों के लिए बेहद पाक चीज है।
सैफी ने कहा कि घटना के दिन उनके पिता को ऑटो में बैठाकर जंगल में ले जाया गया। फिर उनके पिता को पीटने के बाद दाढ़ी काट दी गई, लेकिन मेरे पिता को जिंदा छोड़ दिया गया. उन्हें कई घंटे तक यातनाएं दी गईं। गाजियाबाद पुलिस के एक अफसर ने आधिकारिक वीडियो में कहा कि इस हमले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है। मामले की जांच में यह घटना 5 जून की पाई गई, जिसमें हाजीपुर गांव के अब्दुल समद को ताबीज के मामले में पीटा गया। वह पहले से आरोपियों को जानता था, जो उससे ताबीज को लेकर झूठे वादों से गुस्सा थे।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
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