प्रदेश में नई आपदा ब्यूरोक्रेटिक डिजास्टरः गरिमा मेहरा दसौनी

उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने कहा कि उत्तराखंड में अब एक नई आपदा देखने को मिल रही है। ये आपदा ब्यूरोक्रेटिक डिजास्टर है। बृहस्पतिवार को कांग्रेस मुख्यालय देहरादून में प्रेस वार्ता के दौरान उन्होंने दो पत्रों का हवाला दिया। कहा कि कोरोना और प्राकृतिक आपदा के बाद अब प्रदेश में एक और बड़ी आपदा आ गई है। इसे ब्यूरोक्रेटिक आपदा या डिजास्टर कहा जा सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दसौनी ने कहा कि यह प्रदेश की विडंबना है कि शासन प्रशासन में बैठे हुए अधिकारियों और कर्मचारियों को अपने अधिकार और कर्तव्यों का ही बोध नहीं है। हाल ही में दो वरिष्ठ अधिकारियों ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए पद की विश्वसनीयता का मजाक उड़ाया है। उन्होंने बताया कि अल्मोड़ा जनपद के जिला पंचायती राज अधिकारी द्वारा जारी पत्र में किसी कार्यक्रम के बाबत अपने मातहतों को आदेशित किया गया है। इसमें कहा गया है कि उक्त कार्यक्रम की सूचना एक राजनैतिक दल विशेष के जिलाध्यक्ष को उपलब्ध कराई जानी है। ये पत्र अचंभित और हतप्रभ करने वाला है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दसौनी ने कहा की आखिर जिला पंचायती राज अधिकारी अल्मोड़ा समस्त सहायक विकास अधिकारी एवं समस्त ग्राम पंचायत अधिकारियों को अपने पत्र में यह क्यों अपेक्षा कर रहे हैं कि वह मेरा माटी मेरा देश, जो कि एक सरकारी कार्यक्रम था, उस कार्यक्रम की रिपोर्ट अल्मोड़ा जनपद के भाजपा जिलाध्यक्ष को उपलब्ध कराएं? दसौनी ने कहा कि जिला पंचायती राज अधिकारी अल्मोड़ा सरकार से तनख्वाह लेते है या भाजपा से? (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दसौनी के अनुसार दूसरा गंभीर पत्र ज्वाइंट मजिस्ट्रेट रुड़की की ओर से जारी किया गया है। इसमें वह मंत्री सतपाल महाराज का बाढ़ग्रस्त क्षेत्र का भ्रमण कार्यक्रम जारी कर रहे हैं, परंतु कार्यक्रम की सूचना प्रतिलिपि भाजपा के मंडल अध्यक्षों, जिला अध्यक्षों, ओबीसी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष अल्पसंख्यक मोर्चा के जिला अध्यक्ष, किसान मोर्चा के जिला अध्यक्ष इत्यादि को प्रेषित करते हुए दिख रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दसौनी ने कहा की मंत्री पूरे प्रदेश का होता है और मंत्री और अधिकारी दोनों ही जनता के प्रति जवाबदेह होते हैं। ना कि एक दल विशेष के प्रति। दसौनी ने कहा कि यह ब्यूरोक्रेसी में पैर पसार रही अराजकता का मामला है। सरकारी अधिकारी और कर्मचारी दल विशेष के और व्यक्ति विशेष के पीए की तरह आचरण कर रहे हैं, जो की एक अधिकारी के कोड आफ कंडक्ट के विरुद्ध का मामला है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि उपरोक्त दोनों ही अधिकारियों ने अपने पद का दुरुपयोग किया है और उसकी विश्वसनीयता का मखौल उड़ाया है। उन्होंने उत्तराखंड के मुख्य सचिव से उपरोक्त दोनों ही प्रकरणों का संज्ञान लेते हुए तत्काल प्रभाव से दोनों अधिकारियों पर एक्शन लेने की मांग की है। ताकि भविष्य में कोई भी अधिकारी या कर्मचारी इस तरह की चापलूसी मानसिकता से ग्रसित होकर ऐसे प्रकरणों की पुनरावृत्ति ना करें। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दसौनी ने कहा की यह एक गम्भीर ब्यूरोक्रेटिक डिजास्टर यानी लोकसेवक आचरण की आपदा के मामले हैं। इस पर तात्कालिक विमर्श की जरूरत है। विमर्श इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि इस तरह तो सरकारी कर्मचारियों को जनता के प्रति जिम्मेदार बनाने के बजाय, सत्ता और पार्टी विशेष के प्रति ही जिम्मेदार बनाया जा रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दसौनी ने उपरोक्त दोनों ही प्रकरणों को भविष्य के लिए घातक बताया। कहा कि इस ब्यूरोक्रेटिक डिजास्टर का असर कितना घातक है कि ज्वाइंट मजिस्ट्रेट लेवल का अधिकारी क्या पत्र लिख रहा है, किसको पत्र लिख रहा है, उसे पता ही नहीं चल रहा। ऐसा क्यों हो रहा है व इसके आने वाले समय में क्या परिणाम होंगे। यदि अभी भी इन प्रकरणों का और पत्रों का संज्ञान नहीं लिया गया और इन अधिकारियों पर कोई एक्शन नहीं हुआ तो कई और अधिकारी/ कर्मचारी चरण चुंबक बनते नजर आयेंगे।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।