राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस: एसआरएचयू जौलीग्रांट ने स्थापित की मिसाल, मिल चुका है ग्रीन प्रैक्टिसेस अवॉर्ड

आज गुरुवार 14 दिंसबर को राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस है। स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय (एसआरएचयू) की प्रायोजित संस्था हिमालयन इंस्टिट्यूट हॉस्पिटल ट्रस्ट (एचआईएचटी) स्वास्थ्य व शिक्षा की संगम स्थली के रुप में पहचान कायम कर चुका है। इसी कड़ी में एसआरएचयू ऊर्जा संरक्षण में भी योगदान कर राष्ट्र निर्माण में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
एक रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्विक कार्बन डाई ऑक्साइड उत्सर्जन महामारी के पूर्व के स्तर तक पहुंचने के करीब है। स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय (एसआरएचयू) जॉलीग्रांट के कुलाधिपति डॉ.विजय धस्माना ने कहा कि इसका प्रमुख कारण है बड़े संस्थानों में बिजली की खपत में बेइंतहा वृद्धि। बिजली की खपत को कम करने के लिए सौर ऊर्जा सबसे बेहतरीन विकल्प है। सूर्य हमेशा से ऊर्जा का सबसे भरोसेमंद स्रोत रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कुलाधिपति डॉ. विजय धस्माना ने बताया कि सौर ऊर्जा के महत्व को हम समझते हैं। इसके लिए संस्थान में विशेषज्ञों की एक समिति बनाई गई है। भविष्य की जरूरत को समझते हुए ऊर्जा संरक्षण की ओर हमने वर्ष 2007 में पहला कदम बढ़ाया था। तब हिमालयन हॉस्पिटल, कैंसर रिसर्च इंस्टिट्यूट सहित सभी हॉस्टल में सोलर वाटर हीटर पैनल लगाए गए थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वर्ष 2017 में लगाया पहला 500 किलोवॉट रूफ टॉप सोलर पैनल
कुलाधिपति डॉ. विजय धस्माना ने बताया कि वर्ष 2017 में राष्ट्रीय सौर मिशन से जुड़ने का फैसला किया। हिमालयी राज्यों में रूफ टॉप सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए सरकार की ओर से प्रदान की जा रही 70 फीसदी सब्सिडी को देखते हुए सोलर पैनल लगाने का फैसला लिया। नर्सिंग और मेडिकल कॉलेज में 500 किलोवॉट रूफ टॉप सोलर पैनल लगाए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

6115332 किलोवॉट (यूनिट) बिजली की बचत
कुलाधिपति डॉ. विजय धस्माना ने बताया कि वर्ष 2017 से अब तक विश्वविद्यालय कैंपस स्थित विभिन्न भवनों की छतों में 1500 किलोवॉट का सोलर पैनल लगाए जा चुके हैं। इससे अब तक एसआरएचयू 61,15,332 किलोवॉट (यूनिट) बिजली की बचत कर चुका है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सौर ऊर्जा के इस्तेमाल से पहाड़ों में पहुंचाया पानी
कुलाधिपति डॉ.विजय धस्माना ने बताया कि सौर ऊर्जा का इस्तेमाल हमने पहाड़ों के दुरस्थ गांवों में पानी पहुंचाने के लिए भी किया है। साल 2014 में टिहरी के चंबा में ग्राम चुरेड़धार में सोलर पंपिंग प्लांट के जरिये गांव में पानी पहुंचाया। इसकी मदद से 23 यूनिट बिजली रोजाना के हिसाब से गांव के करीब 43 हजार रुपये सलाना बचत हुई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
करीब 1455 टन कार्बन उत्सर्जन की कमी
कुलाधिपति डॉ. विजय धस्माना ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग के खतरे दिखने लगे हैं। इसका बड़ा कारण है कार्बन उत्सर्जन। एसआरएचूय में 1500 किलोवॉट रूफ टॉप सोलर पैनल की मदद से 1455 टन कार्बन उत्सर्जन में कमी आई है। उत्तराखंड के किसी भी संस्थान की तुलना में यह एक रिकॉर्ड है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
16 फीसदी बिजली की जरूरत सौर ऊर्जा से कर रहे पूरा
इलेक्ट्रिकल व मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग प्रभारी गिरीश उनियाल ने बताया कि संस्थान में ऊर्जा मांग के अनुसार 3500 किलोवॉट का बिजली संयंत्र लगाया गया है। बीते तीन वर्षों में संस्थान अपनी बिजली की 16 फीसदी मांग सोलर पावर प्लांट से पूरा कर रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सीआईआई से मिला ग्रीन प्रैक्टिसेस अवॉर्ड
कुलाधिपति डॉ. विजय धस्माना ने बताया कि संस्थान की इन तमाम उपलब्धियों के लिए हाल ही में भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने विश्वविद्यालय को ‘ग्रीन प्रैक्टिसेस अवॉर्ड’ की सर्विस कैटेगरी में ‘गोल्ड अवॉर्ड’ से सम्मानित किया। इस कैटेगेरी में उत्तर भारत का पहला व एकमात्र संस्थान होने का गौरव भी हासिल किया। है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सोलर पैनल को अपनाने की अपील
कुलाधिपति डॉ. विजय धस्माना ने कहा कि ऊर्जा संरक्षण के लिए सभी नागरिकों से सजग भूमिका निभानी होगी। आने वाले समय में ग्लोबल वार्मिंग से आम जनजीवन को बड़ा खतरा होने वाला है। इसलिए अभी से प्राकृतिक ऊर्जा पर निर्भर रहने की आदत डालनी होगी। प्रकृति के संरक्षण के लिए ऊर्जा का संरक्षण जरूरी है।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।