ग्राफिक एरा में जल संरक्षण पर राष्ट्रीय सम्मेलन शुरू, जल संरक्षण को मददगार खेती की जताई जरूरत
देश के पहाड़ी क्षेत्रों में जल संरक्षण के वैज्ञानिक समाधानों को ढूंढने के लिए देहरादून में ग्राफिक एरा डीम्ड युनिवर्सिटी में दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन शुरू हो गया।
देश के पहाड़ी क्षेत्रों में जल संरक्षण के वैज्ञानिक समाधानों को ढूंढने के लिए देहरादून में ग्राफिक एरा डीम्ड युनिवर्सिटी में दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन शुरू हो गया। देश के कई नामी वैज्ञानिक और शोधार्थी सम्मेलन में वाटर रिसोर्स मैनेजमेंट पर शोधपत्र प्रस्तुत करेंगे।
इस सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में वीर चंद्र सिंह गढवाली उत्तराखंड विश्वविद्यालय आफ हॉर्टिकल्चर और फोरेस्ट्री के कुलपति प्रो. (डा.) अजीत कुमार कर्नाटक ने कहा कि पहाड़ी क्षेत्रों में ऐसी फसलों की पैदावार करनी चाहिए, जो कि जल को संरक्षित करने में मददगार साबित हो।आइआइटी रूड़की के वाटर रिसोर्स डिपार्टमेंट के अध्यक्ष प्रो. आषीश पांडे ने कहा कि देष में बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए जल संरक्षण आज के समय की महत्वपूर्ण आवष्यकता है। इसके लिए युवाओं को जल संरक्षण के प्रति जागरूक करने की जरूरत है।
इस सम्मेलन में वैज्ञानिक एवं डायरेक्टर एक्सटेंशन वीर चंद्र सिंह गढवाली उत्तराखंड विश्वविद्यालय आफ हॉर्टिकल्चर और फोरेस्ट्री प्रो. आरसी तिवारी ने कहा कि भारत में सिंचाई के साधनों की कमी के कारण लोग जल संचयन पर ज्यादा निर्भर है। अब समय की मांग है कि रेन वाटर हार्वेस्टिंग के नवीन तरीको पर शोध कर उन्हें बढ़ावा दिया जाए। इस सम्मेलन में 33 षोध पत्र प्रस्तुत किए जाएंगे।
इस दौरान वैज्ञानिक डा. आनन्द गुप्ता और वैज्ञानिक डा. सदीकुल इस्लाम ने वाटर रिसोर्स मैनेजमेंट पर प्रस्तुतिकरण किया। इसी दौरान सम्मेलन की स्मारिका का भी विमोचन किया गया। ग्राफिक एरा डीम्ड युनिवर्सिटी के चांसलर प्रो. (डा.) आरसी जोशी, प्रो-वाईस चांसलर प्रो. (डा.) एचएन नागाराजा, सिविल इंजीनियरिंग विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. (डा.) संजीव कुमार, डा. किशन सिंह रावत, धर्मपाल सिंह कंडारी, शिक्षक और छात्र-छात्राएं मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन सिविल इंजीनियरिंग विभाग की छात्रा मनस्वी ने किया।