दिलों में आज भी जिंदा हैं टिहरी की संस्कृति और परंपरा की यादेंः अभिनव थापर

सामाजिक कार्यकर्ता अभिनव थापर और सुबोध बहुगुणा ने साथ मिलकर स्थानीय लोगों के साथ टिहरी के लैंड स्कैप पर हुबहु बनाए गए घंटाघर, राजा का दरबार, आजाद मैदान, बस अड्डा, गंगा जी, भगीरथी नदी का का मार्ग, टिहरी बाजार की प्रतिकृति पर दीप प्रज्ज्वलित किए। उन्होंने कहा कि टिहरी ऐतिहासिक संस्कृति, परंपरा और सभ्यता से राजशाही के समय से गढ़वाल क्षेत्र में अपनी अलग पहचान रखता था। टिहरी आज भले ही झील के पानी में समा गया हो और तस्वीरों और इतिहास के पन्नों में सिमट कर रह गई हो, लेकिन उसी संस्कृति और परंपरा को संजोय रखने के लिए हम टिहरी का स्थापना दिवस मना रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि पुरानी टिहरी का गौरवमय इतिहास रहा है और यहां के लोगों ने देश के विकास के लिए अपनी जन्मभूमि देकर बहुत बड़ा योगदान दिया। टिहरी शहर हमेशा हर एक उत्तराखंडी की स्मृतियों में जिंदा रहेगा। इस मौके पर अविरल, शशांक, सुकान्त, शिवा, सुषमा गार्ग्य , कांता आदि मौजूद रहे।

Bhanu Prakash
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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।