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July 3, 2025

यूसर्क का ‘सस्टेनेबल वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट’ विषय पर व्याख्यान, वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट पर चर्चा

आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत यूसर्क की ओर से टेक फॉर सेवा के संयुक्त तत्वावधान में आज वाटर एजुकेशन लेक्चर सीरीज मासिक कार्यक्रम में ऑनलाइन माध्यम से 'सस्टेनेबल वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट' विषय पर विशेषज्ञ व्याख्यान का आयोजन किया गया।

आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत यूसर्क की ओर से टेक फॉर सेवा के संयुक्त तत्वावधान में आज वाटर एजुकेशन लेक्चर सीरीज मासिक कार्यक्रम में ऑनलाइन माध्यम से ‘सस्टेनेबल वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट’ विषय पर विशेषज्ञ व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो (डॉ ) अनीता रावत ने कहा कि आज हमको नई नवाचार विधियों को अपनाते हुए अपशिष्ट जल के वैज्ञानिक प्रबंधन की जरूरत है। नैनो मैटेरियल आधारित विधियां अधिक कारगर साबित हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि यूसर्क द्वारा विभिन्न विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान विषयक कार्य पूरे प्रदेश में संचालित किए जा रहे हैं। जल विज्ञान विषय पर विभिन्न वैज्ञानिक गतिविधियों के द्वारा अध्ययन कार्य किया जा रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कार्यक्रम के मुख्य विशेषज्ञ वक्ता नीरी (NEERI – CSIR) नागपुर के वरिष्ठ जल विज्ञानी एवं वाटर ट्रीटमेंट डिवीजन के हेड डॉ रितेश विजय ने “सस्टेनेबल वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट” विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि नीरी संस्थान द्वारा वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट की केमिकल रहित विधियों को विकसित किया गया है। डॉ रितेश विजय ने कहा कि फाइट्रॉयड साइंटिफिक वेटलैंड विद एक्टिव बायोडेग्रेडेशन विधि द्वारा पौधों एवं फिल्ट्रेशन मीडिया का प्रयोग करके वेस्ट वाटर से पॉल्यूटेंट्स को दूर किया जाता है। साथ ही शुद्ध किए गए जल को विभिन्न बागवानी, नर्सरी आदि के कार्यों में प्रयोग किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की विधियां सस्टेनेबल तकनीकी पर आधारित होती हैं जिसमें विभिन्न पौधों की प्रजातियों का प्रयोग किया जाता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कार्यक्रम का संचालन करते हुए कार्यक्रम समन्वयक डॉ भवतोष शर्मा ने कहा कि आज अगर हम अपनी जल जरूरतों को पूरा करने के लिए यदि वेस्ट वाटर तकनीकियों का प्रयोग करेंगे तो आने वाले भविष्य में जल की समस्या से निजात मिल सकती है। अपशिष्ट जल को सस्टेनेबल विधियों के द्वारा शुद्ध किया जाना बहुत आवश्यक हो गया है जिसमें किसी भी प्रकार के केमिकल्स का प्रयोग नहीं किया जाता। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन देते हुए यूसर्क के वैज्ञानिक डॉ ओम प्रकाश नौटियाल ने कहा कि यूसर्क द्वारा राज्य के हर जिले में स्टेम प्रयोगशालाओं की स्थापना की जा रही है। कार्यक्रम के अंत में प्रतिभागियों ने अपने अपने प्रश्नों का समाधान प्राप्त किया। कार्यक्रम में वैज्ञानिक डॉ मंजू सुंदरियाल, यूसर्क की आईसीटी टीम के ओम जोशी, उमेश चंद्र, राजदीप जंग सहित कुल 95 लोगों ने ऑनलाइन प्रतिभाग किया।

Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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