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October 18, 2024

वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी बब्बर गुरुंग को दी गई अंतिम विदाई, शवयात्रा में उमड़ी भीड़

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उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले गोर्खाली समाज के नेता बब्बर गुरुंग को आज शुक्रवार 18 अक्टूबर को सैकड़ों की भीड़ ने अंतिम विदाई दी। अंतिम यात्रा में अनेक संगठन के प्रतिनिधि शामिल हुए। इस मौके पर गोरखा रेजीमेंट की और से उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। अंतिम यात्रा उनके निवास स्थान से टपकेश्वर श्मशान घाट तक पहुंची। जहां उनके पुत्र विनय गुरुंग ने उन्हें मुखाग्नि दी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

गौरतलब है कि वरिष्ठ राज्य आन्दोलनकारी बब्बर गुरुंग का बुधवार देर रात को देहरादून कैंट के टपकेश्वर (शेरबाग) मार्ग स्थित अपने आवास पर निधन हो गया था। वह 87 वर्ष के थे। वह पिछले कुछ वर्षों से बीमारी के चलते बिस्तर पर थे। बब्बर अपने पीछे एक पुत्र और पुत्री का भरपूरा परिवार छोड़ गए हैं। उनका पुत्र भी सेना में सेवारत है। बब्बर गुरुंग की पत्नी शकुन गुरुंग का कैंसर की वजह से पिछले वर्ष निधन हो गया था। शकुन भी उत्तराखंड आंदोलन में अग्र पंक्ति में रहीं और गोरखा समाज की महिलाओं को राज्य आंदोलन में जोड़ने में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सेना में की थी सेवा
बब्बर गुरुंग का जन्म 12 जून 1937 को हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में स्थित बकलोह कैंट में संतराम गुरुंग के घर हुआ था। बब्बर को शिक्षा के अलावा संगीत और साहित्य में भी गहरी रुचि थी। 16 साल की उम्र में हाईस्कूल पास करने के बाद वे 30 अक्तूबर 1953 को गोरखपुर में 5/5 जीआरओ में भर्ती हो गए थे। नवंबर-1969 में उनकी शादी देहरादून के गढ़ी कैंट निवासी शकुन से हुई। सेना से सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने कुछ समय एमईएस में भी बतौर क्लर्क सेवा दी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

राज्य आंदोलन में अहम भूमिका
उत्तराखंड राज्य आन्दोलन के दौरान 1994-95 में बब्बर गुरुंग मशाल जुलूस, प्रभात फेरी, भूख हड़ताल, रैलियों, पोस्टर जनगीत, नुक्कड़ नाटक, विचार गोष्ठियों, स्मारिकाओं, कविताओं, जोशीले भाषणों के दौरान आंदोलनकारियों के बीच में अपनी उपस्थिति दर्ज कराया करते थे। बब्बर गुरुंग 1995 में जंतर मंतर दिल्ली में चंद्रमणि नौटियाल के साथ 29 दिनों की भूख हड़ताल पर भी बैठे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

कांग्रेस नेता धस्माना सहित कई लोग शामिल हुए शवयात्रा में
गोरखा समुदाय के प्रमुख नेता बाबर गुरुंग के निधन पर उनकी अंतिम यात्रा में उत्तराखंड कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना सहित विभिन्न संगठनों से जुड़े लोग शामिल हुए। प्रदेश कांग्रेस की ओर से श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि उत्तराखंड राज्य के निर्माण के लिए चले आंदोलन में गोरखा समुदाय को राज्य के पक्ष में खड़ा करने व राज्य आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले बब्बर गुरुंग का योगदान अविस्मरणीय है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि हमेशा पृथक उत्तराखंड राज्य निर्माण के पक्ष में रहने वाले बब्बर गुरुंग ने राज्य आंदोलन के दौरान अनेक बार जेल यात्रा की। सबसे बड़ी भूमिका जो उन्होंने निभाई, वह गोरखा समुदाय को राज्य निर्माण के पक्ष में खड़ा करने की है। धस्माना ने कहा कि आज उनके निधन से उत्तराखंड ने एक सरल मृदुभाषी संघर्षशील नेता खो दिया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इस अवसर पर प्रदेश कांग्रेस महामंत्री गोदावरी थापली, गोरखा सुधार सभा के अध्यक्ष पदम सिंह थापा, मधुसूदन, राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट, राज्य आंदोलनकारी प्रदीप कुकरेती, मोहन खत्री सिद्धेश्वर मंदिर के प्रधान एसबी थापा, उज्ज्वल थापा, अनिता गले, ग्राम प्रधान दुर्गा राई, सुखदेव, वीरेंद्र पोखरियाल समेत बड़ी संख्या में गढ़ी डाकरा, कौलागढ़ के नागरिक अंतिम संस्कार में शामिल हुए।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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