ललित मोहन गहतोड़ी का गीत- छोड़ो लौंडे की यारी

छोड़ो
लौंडे की यारी
जैसे गधे की सवारी
सीधी साधी बात भारी
कहती है यह दुनिया सारी
छोड़ो
लौडे की यारी। (जारी, अगले पैरे में देखिए)
लड़का कर देगा बदनाम
इसका एक यही बस काम
मौका ना दो तुम अंजाम
जीना हो सकता है हराम
लौंडेपन की गलती भारी
रह गई कच्ची तरकारी
चाहे जानो जो मजबूरी
सुनो समझो बात पूरी
छोड़ो
लौंडे की यारी। (जारी, अगले पैरे में देखिए)
जिंदा रखना है स्वाभिमान
यहां काम का चलता दाम
होती मुश्किल राह आसान
अवसर मिलते हैं तमाम
आओ छोड़ के सारे काम
जपो रोज राम राम
दुर्घटना से भली दूरी
ये लो मेरी बात पूरी
छोड़ो
लौंडे की यारी।
रचनाकार का परिचय
रचनाकार ललित मोहन गहतोड़ी काली कुमाऊं चंपावत से प्रकाशित होने वाली वार्षिक सांस्कृतिक पुस्तक फुहारें के संपादक हैं। वह जगदंबा कालोनी, चांदमारी लोहाघाट जिला चंपावत, उत्तराखंड निवासी हैं।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।