लखीमपुर खीरी हिंसा केस, सुप्रीम कोर्ट ने आशीष मिश्रा की जमानत की रद्द, एक सप्ताह के भीतर सरेंडर करने को कहा
लखीमपुर खीरी केस में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला आया है। कोर्ट ने केंद्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा की जमानत को रद्द कर दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पीड़ितों को हर कार्यवाही में सुनवाई का अधिकार है। मौजूदा मामले में पीड़िता को सुनवाई के अधिकार से वंचित किया गया है। हाईकोर्ट ने कई अप्रासंगिक विचारों और अनदेखी मिसालों को ध्यान में रखा है। कोर्ट ने कहा कि एक हफ्ते में आशीष मिश्रा सरेंडर करें। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आशीष मिश्रा की जमानत अर्जी पर हाईकोर्ट नए सिरे से विचार करे। पीड़ित पक्षकारों के वकील दुष्यंत दवे ने आग्रह किया कि हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से सुप्रीम कोर्ट कहे कि इस बार किसी अन्य पीठ के सामने ये मैटर जाए। सीजेआई ने कहा कि ऐसा आदेश पारित करना उचित नहीं होगा। हमें यकीन है कि वही जज दोबारा इस मामले को सुनना भी नहीं चाहेंगे।
गौरतलब है कि इस हिंसा में चार किसानों सहित आठ लोग मारे गए थे। केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के पुत्र आशीष मिश्रा पर तीन अक्टूबर 2021 को कथित तौर पर तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ एक विरोध मार्च के दौरान लखीमपुर खीरी में चार किसानों और एक पत्रकार को गाड़ी से कुचलने का आरोप है। इससे गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने भाजपा के दो कार्यकर्ताओं और एक चालक को कथित तौर पर पीट-पीट कर मार डाला। ये मामला जब सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, तब ही इसके कुछ दिन बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में आरोपी आशीष मिश्रा को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत दे दी थी और वह जेल से रिहा हो गए थे। इसके खिलाफ किसान संगठन सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।