Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

September 22, 2024

तालमेल की कमीः विभागीय मंत्री की जानकारी के बगैर जारी हो रहे शासनादेश, सीएम से शिकायत के बाद किए गए स्थगित

1 min read

उत्तराखंड में मंत्रियों और अधिकारियों के बीच तालमेल की कमी नजर आ रही है। मंत्री को पता ही नहीं होता और अधिकारी शासनादेश जारी कर देते हैं। ऐसा हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज की ओर से जारी प्रेस नोट से ये बात साफ होती है। अब जबकि अधिकारी ही मंत्री को कुछ नहीं समझेंगे तो फिर प्रदेश की व्यवस्थाएं कैसे चलेंगी। ये भी एक सवाल है। ऐसे में सतपाल महाराज को कहना पड़ा कि उनकी अनुमति के बिना कोई भी निर्णय करना अनुचित है। इस संबंध में उन्होंने मुख्यमंत्री से शिकायत की और दोनों शासनादेश को स्थगित कराया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

प्रदेश के पर्यटन, लोक निर्माण, सिंचाई, पंचायती राज, ग्रामीण निर्माण, जलागम, धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज के मुताबिक, उनके उनके हस्तक्षेप के बाद ग्राम पंचायत विकास अधिकारी एवं ग्राम विकास अधिकारी के फंक्शनल मर्जर के शासनादेश स्थगित कर दिए गए हैं। महाराज के मुताबिक उनकी अनुमति के बिना 16 जनवरी 2023 के शासनादेश संख्या-1 के तहत विकासखंड स्तर पर विभिन्न विभागों के खंड स्तरीय कार्मिकों को खंड विकास अधिकारी के प्रशासनिक नियंत्रण में रखे जाने का शासनादेश जारी किया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इसके साथ ही दूसरे शासनादेश के तहत प्रत्येक ग्राम पंचायत में ग्राम पंचायत विकास अधिकारी अथवा ग्राम विकास अधिकारी में से किसी एक अधिकारी की तैनाती कर दोनों पदों का कार्यात्मक विलय किए जाने का निर्णय ले लिया गया था। इस पर कैबिनेट मंत्री के हस्तक्षेप के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मामले का संज्ञान लेते हुए उक्त दोनों आदेशों को स्थगित कर दिया है। इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

पंचायतीराज मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि उक्त दोनों आदेश संविधान के 73वें संशोधन में वर्णित 29 विषयों को पंचायतों को हस्तांतरित करने के प्रयास की दिशा में अवरोध थे। इसके अलावा पंचायती राज विभाग के कार्मिकों द्वारा भी उक्त दोनों शासनादेश को निरस्त करने के लिए कार्य बहिष्कार भी प्रारंभ कर दिया गया था। इसलिए मैंने मुख्यमंत्री को वस्तुस्थिति से अवगत कराया। इसके बाद इन दोनों आदेशों को स्थगित कर दिया गया है। उत्तराखंड ग्राम पंचायत विकास अधिकारी एसोसिएशन ने भी सरकार के इस निर्णय का स्वागत किया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

महाराज ने कहा कि उन्हें आपत्ति इस बात की है कि न उनसे और ना ही उनके मंत्रालय से इस संबंध में कुछ पूछा गया। उनका कहना था कि कोई भी निर्णय चाहे अच्छा हो या बुरा इस संबंध में पहले संबंधित मंत्री से पूछा जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि सहकारिता मंत्री धन सिंह रावत के सहकारिता के कार्यों को भी बिना उनसे पूछे बीडीओ के अधीन कर दिया गया। ऐसी संस्कृति को बढ़ावा देना सर्वथा गलत है। कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि ऐसी विसंगति पैदा ना हो, इसलिए दोनों विभागों का एक ही सचिव होना चाहिए और अधिकारी अपनी मनमानी ना करें इसीलिए वह अधिकारियों की एसीआर लिखने की भी बात बार-बार कह रहे हैं।

+ posts

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *