Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

December 14, 2024

कवि ललित मोहन गहतोड़ी की कलम से कुमाऊंनी हास्य फुहार होली गीत

कवि ललित मोहन गहतोड़ी की कलम से कुमाऊंनी हास्य फुहार होली गीत।

होली खेली द्यूला हो…

तुम लड़िया झन हो…
तुम लड़िया झन नत होली खेली द्यूला हो।।टेक।।

तुम तो लड़ाकू बड़े बेशर्म।।2।।
लड़ला हमसैं तो धुसि द्यूला हो…
तुम लड़िया झन नत होली खेली द्यूला हो

फोड़ाफाड़ी शौक तुम्हारा।।२।।
अकड़ तुम्हारी उतारि द्यूला हो…
तुम लड़िया झन नत होली खेली द्यूला हो

झगड़ो करला देखि भांगि चैला।।2।।
कान तुम्हारो निमोरी द्यूला हो…
तुम लड़िया झन नत होली खेली द्यूला हो

ठंड रख ठंड सवा शेर आवैगो।।2।।
ढोल समझिबेर पिटि देला हो…
तुम लड़िया झन नत होली खेली द्यूला हो

होली खेलन आये थलि में।।2।।
अपजस कसो तुम भरिया झन हो.. .
तुम लड़िया झन नत होली खेली द्यूला हो

लपड़ चपड़ चुप कर मुंह बंद कर।।2।।
होली तुम्हारी खेलि द्यूला हो…
तुम लड़िया झन नत होली खेली द्यूला हो

कवि का परिचय
नाम-ललित मोहन गहतोड़ी
शिक्षा :
हाईस्कूल, 1993
इंटरमीडिएट, 1996
स्नातक, 1999
डिप्लोमा इन स्टेनोग्राफी, 2000
निवासी-जगदंबा कालोनी, चांदमारी लोहाघाट
जिला चंपावत, उत्तराखंड।

Website | + posts

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

1 thought on “कवि ललित मोहन गहतोड़ी की कलम से कुमाऊंनी हास्य फुहार होली गीत

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page