जानिए-आठ बार के विधायक डॉ. शिवानंद नौटियाल का शिक्षा और साहित्य में योगदान, पुण्य तिथि पर किया गया याद
दो बार पौड़ी और छह बार कर्णप्रयाग के विधायक बनने वाले डॉ. शिवानंद नौटियाल की आज पुण्य तिथि है। लखनऊ और देहरादून सहित विभिन्न स्थानों पर उनको आज के दिन याद किया गया। साथ ही उनके संघर्षों और समाज के लिए योगदान से जीवन में प्रेरणा लेने पर जोर दिया गया। यहां इतिहासहार एवं देहरादून निवासी देवकी नंदन पांडे डॉ. शिवानंद के जीवन पर प्रकाश डाल रहे हैं।
जीवन परिचय
हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध लेखक एवं कुशल राजनीतिज्ञ शिवानंद नौटियाल जी का जन्म 26 जून 1926 को पौड़ी जनपद के ग्राम कोटला में हुआ था। शिक्षा, साहित्य और राजनीति ही इनका जीवन था। सन 1967 में इन्होंने सक्रिय राजनीति में पदार्पण किया। 1969 में पौड़ी गढ़वाल क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हुए। 1974 तथा 1979 के विधानसभा चुनावों में भी विजय श्री प्राप्त की। वह पौड़ी से दो बार और कर्णप्रयाग से छह बार विधायक बने।
1979 में डॉ. नौटियाल को उत्तर प्रदेश सरकार में उच्च शिक्षा एवं पर्वतीय विकास मंत्रालय का दायित्व सौंपा गया। इन्होंने अपने मंत्रित्वकाल में संपूर्ण उत्तराखंड क्षेत्र में विद्यालयों को प्रोन्नत करने के साथ साथ विद्यालयों की स्थापना भी की।
नौटियाल जी एक कुशल राजनीतिज्ञ, औजस्वी वक्ता के साथ सफल साहित्यकार भी थे। इनका शोध पत्रबंध- गढ़वाल के लोकनृत्य गीत है। इसमें गढ़वाली लोकसाहित्य के सभी रूपों को विस्तार से वर्णित किया गया है। गढ़वाली लोकमानस, गढ़वाल के नृत्य, गढ़वाल के लोकगीत, गढ़वाल के खुदेड़ गीत, गढ़वाल के नृत्य गीत, छम घुंघरू बाजला, नेफा की लोककथाएं, कुमाऊं दर्शन, बदरी केदार की ओर इनकी श्रेष्ठ शोधात्मक रचनाएं हैं। नौटियाल को उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान की ओर से आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी नामित पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।
वह लगातार राजनीतिक और सामाजिक जीवन में सक्रिय रहे। वर्ष 2004 में निमोनिया होने के कारण उन्हें लखनऊ के एक अस्पताल में भर्ती किया गया। जहां दो अप्रैल 2004 को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।
17वीं पुण्यतिथि पर याद किए गए डॉ. नौटियाल
वरिष्ठ कांग्रेस नेता व उत्तर प्रदेष के पूर्व मंत्री रहे स्व. शिवानन्द नौटियाल की पुण्यतिथि उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के विभिन्न स्थानों पर अनेक कार्यक्रम व श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। स्व. नौटियाल के उत्तराखंड स्थित पैतृक गांव कोठला सैंजी में जहां उन्हें श्रद्धांजलि पुष्प अर्पित कर याद किया गया। वहीं, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भी स्व. नौटियाल को याद में एक सभा का आयोजन किया गया।
सभा में स्व. नौटियाल के सहयोगी रहे अनेक राजनेता, साहित्याकार व रंगकर्मियों ने भाग लिया। उत्तराखंड के कर्णप्रयाग विधानसभा से लगातार सत्ताईस साल तक नेतृत्व करने वाले स्व. शिवानंद नौटियाल की पुण्यतिथि पर एक शोक सभा का आयोजन भुवन नौटियाल ने किया। इसके अलावा पौढ़ी गढ़वाल जिले में भी इस अवसर पर स्व. नौटियाल की याद में कई कार्यक्रम आयोजित किये गये।
गढ़वाल मंडल बहुउद्देषीय सहकारी समिति के संस्थापक रहे स्व. नौटियाल को याद करते हुए समिति के पदाधिकारियों ने उनकी प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किये तथा उनके द्वारा किये गये विकास कार्यों तथा जनकल्याणकारी नीतियों को याद कर भावुक हो गये।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित उत्तरांचल रत्न डा. शिवानंद नौटियाल फाउंडेशन के कार्यालय में भी स्व. शिवानंद नौटियाल की पुण्यतिथि पर एक शोक सभा का आयोजन किया किया। जिसमें कई वरिष्ठ राजनेता, साहित्यकार के साथ-साथ स्व. नौटियाल के परिवार के सदस्यों ने भाग लिया तथा अपने-अपने विचार व्यक्त किये। इस सभा का आयोजन स्व. नौटियाल के पुत्र व उत्तराखंड राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष दिव्य नौटियाल ने किया। स्व. नौटियाल के ज्येष्ठ पुत्र कमल नौटियाल ने सभा में आये सभी लोगों का आभार प्रगट किया।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
please mention the work done by Dr.Shivanand Nautiyal ,in higher education for uttarakhand.