कविता से जाने उत्तराखंड राज्य की पहचान और इस राज्य की खासियत
हमारा उत्तराखंड
आओ बच्चों तुम्हें बताएं,
उत्तराखंड से अवगत कराएं।
मानसखण्ड और केदारखण्ड,
नाम से इसकी पहचान कराएं।
हुआ मानसखण्ड का कूर्माञ्चल,
केदारखण्ड नाम गढ़वाल प्रख्यात।
देवभूमि और तपोभूमि नाम से,
सम्पूर्ण धरा पर है विख्यात।
बद्री-केदार, गगोत्री-यमुनोत्री,
पतित पावनी गंगा का उद्गम यहाँ।
भारत का रजत ताज सुशोभित,
शिव-पार्वती का कैलाश यहाँ।
कत्यूरी,पाल ,चंद और परमार,
कई राजाओं ने राज किया ।
फिर अंग्रेजों के मन को भाया
साम्राज्य अपना स्थापित किया।
अंग्रेजों के आगमन से,
गोरखा राज का हुआ अंत।
स्वतंत्रता के बाद बना, देखो
उत्तर-प्रदेश का अभिन्न अंग।
फिर मैदान पहाड़ में हुई रुसवाई,
पहाड़ ने खुद को हासिये पर पाया।
जनता ने भी आक्रोश जताया,
9 नवम्बर 2000 कोअस्तित्व में आया।
तेरह जिले और दो मण्डल,
नाम से उत्तरांचल कहलाया।
लेकिन नाम ये बिल्कुल न भाया,
अंततः उत्तराखण्ड नया नाम पाया।
अलग राज्य का गौरव पाकर,
अपना सब कुछ अलग बनाया।
देहरादून राजधानी बसायी,
नैनीताल उच्च न्यायालय बनाया।
पानी में न खिलता हिमालयी कमल,
वो ब्रह्मकमल राज्यपुष्प कहलाया।
दुर्लभ अप्रतिम खुशबू लिए विचरता,
कस्तूरी मृग को राज्यपशु बनाया।
मधुमासों में अनुपम छटा बिखेरता,
पुष्पगुच्छों से सजा बुरांश राज्यवृक्ष मनभाया।
इन्द्रधनुषी रंगों सा हिमालय, जिसकाआवास,
राज्यपक्षी मोनाल मनमोहक इसकी काया।
कवयित्री की परिचय
नाम-सन्नू नेगी
सहायक अध्यापिका
राजकीय कन्या उच्चतर प्राथमिक विद्यालय सिदोली
कर्णप्रयाग, चमोली, उत्तराखंड
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।