मशहूर लेखक सलमान रुशदी पर चाकू से हमला, 1988 में जारी हुआ था मौत का फतवा, की थी चार शादियां
रुश्दी को मंच पर ही प्राथमिक उपचार दिया गया। ऑनलाइन पोस्ट किए गए एक वीडियो में घटना के तुरंत बाद उपस्थित लोगों को मंच की ओर भागते देखा जा सकता है। न्यूज एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस की ओर से कहा गया है कि उसके रिपोर्टर ने चौटाक्वा इंस्टीट्यूशन में एक शख्स को तेजी से मंच पर आते हुए देखा। जब परिचय दिया जा रहा था तो इस शख्स ने रुश्दी पर हमला किय। इसके कारण मशहूर लेखक फर्श पर गिर गए। गौरतलब है कि भारतीय मूल के ब्रिटिश नागरिक, 75 वर्ष के रुश्दी पिछले 20 सालों से अमेरिका में रह रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
की गई सर्जरी
न्यूयॉर्क पुलिस ने एक वक्तव्य जारी कर कहा है कि वह लेखक सलमान रुश्दी पर हुए हमले की जांच कर रही है। न्यूयॉर्क पुलिस ने कहा कि 12 अगस्त, 2022 को सुबह लगभग 11 बजे, एक संदिग्ध शख्स ने मंच पर चढ़कर रुश्दी और उनका साक्षात्कार ले रहे व्यक्ति पर हमला कर दिया। रुश्दी की गर्दन पर चाकू से वार किया गया है। संदिग्ध हमलावर को तुरंत हिरासत में ले लिया गया है। रुश्दी की गर्दन में चोट आई है। एक हेलीकॉप्टर के जरिए रुश्दी को एक स्थानीय अस्पताल में ले जाया गया है। शुक्रवार को हुए हमले के बाद उनकी इमरजेंसी सर्जरी की गई गई। उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया है। बताया जा रहा है कि उन पर एक दर्जन से ज्यादा बार चाकुओं से प्रहार किए गए। वहीं, उनका साक्षात्कार लेने वाले के सिर में मामूली चोट लगी है। चौटाउक्वा काउंटी शेरिफ कार्यालय की टीम घटनास्थल पर पहुंच गई थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उपन्यास के कारण आए थे विवादों में
रुश्दी की विवादित पुस्तक द सैटेनिक वर्सेज ईरान में 1988 से प्रतिबंधित है। कई मुसलमानों का मानना है कि रुश्दी ने इस पुस्तक के जरिए ईशनिंदा की है। इसे लेकर ईरान के तत्कालीन सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्ला रूहोल्लाह खमनेई ने रुश्दी को मौत की सजा दिए जाने का फतवा जारी किया था। ईरान ने रुश्दी की हत्या करने वाले को 30 लाख डॉलर से अधिक का इनाम देने की भी पेशकश की थी। सलमान रुश्दी की पुस्तक मिडनाइट्स चिल्ड्रन के लिए उन्हें प्रतिष्ठित बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। द बुकर प्राइजेज ने रुश्दी पर हुए हमले की निंदा की है। दिल्ली स्थित ब्रिटिश लेखक विलियम डेलरिंपल ने रुश्दी पर हुए हमले पर प्रतिक्रिया देते हुए उम्मीद जताई कि उन्हें चोट नहीं आई होगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मुंबई में हुआ था जन्म
भारतीय मूल के अंग्रेजी लेखक रुश्दी का जन्म 19 जून, 1947 को मुंबई में हुआ था। वो अपनी किताबों से ज्यादा विवादों और शादियों के कारण चर्चा में रहे हैं। सलमान रुश्दी ने चार शादियां की, लेकिन इसमें से कोई भी नहीं चली। सलमान रुश्दी के पिता अनीस अहमद रुश्दी और मां का नाम नेगीन भट्ट हैं। सलमान रुश्दी जन्म के कुछ समय बाद ही ब्रिटेन चले गए थे। जहां इंग्लैंड के रगबी स्कूल में उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा ली। इसके बाद उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में इतिहास का अध्ययन किया। साहित्यकार बनने से पहले सलमान दो ऐड एजेंसियों में कॉपी राइटर का काम कर चुके थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सलमान रुश्दी ने की थी चार शादियां
सलमान रुश्दी ने पहली शादी 1976 में क्लेरिसा लुआर्ड से की थी। ये शादी करीब 11 साल (1987) तक चली। सलमान और क्लेरिसा का एक बेटा जफर है। उसका जन्म 1979 में हुआ था। 4 नवंबर, 1999 में क्लेरिसा की मौत हो गई थी। इसके बाद सलामन रुश्दी ने 1988 में अमेरिकी उपन्यासकार मारिऑन विगिंस से की, लेकिन 1993 में दोनों का तलाक हो गया था। इसके बाद रुश्दी ने 1997 में उम्र में 14 साल छोटी एलिजाबेथ वेस्ट से शादी की, लेकिन ये शादी भी ज्यादा दिन नहीं चली और 2004 में दोनों का तलाक हो गया। दोनों का एक बेटा मिलान है, जिसका जन्म साल 1999 में हुआ था। 2004 में एलिजाबेथ से तलाक के बाद सलमान रुश्दी ने उसी साल एक्ट्रेस पद्मा लक्ष्मी से शादी की, लेकिन 2 जुलाई, 2007 को ये शादी भी टूट गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सलमान रुश्दी के फेमस उपन्यास
सलमान ने अपना पहला उपन्यास ‘ग्राइमल’ साल 1975 में लिखा था, जिसे ज्यादा लोकप्रियता नहीं मिली। आधुनिक भारत के बारे में उनके अगले उपन्यास ‘मिडनाइट्स चिल्ड्रन’ (1981) ने उन्हें रातों-रात प्रसिद्धि दिला दी। रुश्दी की इस किताब को पिछले 100 सालों में लिखी गई सर्वश्रेष्ठ किताबों में से एक माना गया था। इसके लिए उन्हें 1981 में ही बुकर सम्मान प्राप्त हुआ। इसी उपन्यास के लिए उन्हें 1993 और 2008 में भी पुरस्कार मिले। इसके बाद उन्होंने ‘शेम’ (1983), ‘द जगुआर स्माइल’ (1987), ‘द सैटेनिक वर्सेज’ (1988), ‘ईस्ट-वेस्ट’ (1994), ‘द मूर्स लास्ट साई’ (1995), ‘द ग्राउंड बिनीथ हर फीट’ (1999), ‘शालीमार द क्राउन’ (2005) जैसी प्रमुख और बेहतरीन रचनाएं लिखीं, जिनके लिए उन्हें कई पुरस्कार भी मिले। अपनी चौथी पुस्तक द सैटेनिक वर्सेज The Satanic Verses (1988) के विवाद के बाद वे लंबे समय तक लोगों की नजरों से दूर रहे।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।