कृषि कानूनो के खिलाफ किसान सभा ने देहरादून में किया प्रदर्शन, फूंका केंद्र का पुतला
कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों का आक्रोश थमने का नाम नहीं ले रहा है। जहां देश भर के किसान दिल्ली में जुट रहे हैं। वहीं, जिला व शहरों में भी किसान आंदोलन कर रहे हैं। देहरादून के सहसपुर क्षेत्र में किसानों ने प्रदर्शन कर केंद्र सरकार का पुतला जलाया। साथ ही इन कानूनों को किसान विरोधी करार देते हुए वापस लेने की मांग की।
इस मौके पर किसान सभा के जिला महामन्त्री कमरूद्दीन ने कहा कि ये कानून खेती के खिलाफ हैं और कारपोरेट घरानों के हितों को साधने वाले हैं। इन कानून 2020 को वापस लेने की मांग को लेकर पूरे देश का किसान आंदोलन कर रहा है। इसमें मुख्य भूमिका पंजाब के किसानों की है। सांगठनिक नेतृत्व अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति का है।
सभा में वक्ताओं ने कहा कि केन्द्र की मोदी सरकार ने जिन तीन कृषि कानूनों को अध्यादेश लाकर संख्याबल के आधार कानूनी जामा तो पहना लिया है, लेकिन इस पूरी प्रकिया में न तो किसान संगठनों से बात की। ना ही किसानों से रायशुमारी करनी वाजिब समझी। अब जब किसान अपने हकों की मांग को लेकर आगे आये हैं, तो केन्द्र सरकार व भाजपा की राज्य सरकारे भी किसानों को डंडे की ताकत पर धमकाने का काम कर रही है। आन्दोलन की गलत व्याख्या प्रस्तुत कर रही है।
इसे लेकर आंदोलनरत किसान व किसान संगठन सचेत हैं। क्योंकि यह संघर्ष सरकार वनाम किसान हो गया है। यदि इसमें किसानों की हार होगी तो यह अवाम की हार भी होगी। इसलिए इस संघर्ष में सरकार को पीछे धकेलना व तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने पर विवश करना बहुत जरूरी है। सभी देशभक्त ताकतों को किसानों के इस आन्दोलन के साथ खड़ा होना होगा।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।