पुत्र के वियोग में राजा दशरथ सिधार जाते हैं स्वर्ग, राम को वापस लाने भरत जाते हैं वन, खड़ाऊं लेकर लौटे
इन दिनों उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में सरस्वती विहार विकास समिति अजबपुर खुर्द की ओर से रामलीला का मंचन किया जा रहा है। इस रामलीला की खासियत है कि इसमें सारे पात्र महिलाएं हैं। आज रामलीला के पांचवें दिन दशरथ के स्वर्ग सिधारने और राम के वन में जाने का समाचार सुनने पर भरत के दुखी होने की लीला का मंचन किया गया। भरत राम को वापस लाने और मनाने के लिए वन पहुंचते हैं, लेकिन राम नहीं मानते और इसे पिता की आज्ञा बताते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आज सबसे पहले सुमंत का बड़े दुखी मन से अयोध्या लौटना दर्शाया गया। वहीं, दूसरी ओर अयोध्या में राजा दशरथ बिस्तर में लेते हुए हैं। जब उन्हें पता लगता है कि राम वापस नहीं आए तो बेटे के व्योग में राजा दशरथ के प्राण पखेरु उड़ जाते हैं। गुरु वशिष्ट ननिहाल गए भरत शत्रुघ्न को बुलवाते हैं। राम लक्ष्मण तथा सीता की वन जाने की खबर सुनकर भरत माता कैकई पर बहुत नाराज हो जाते हैं और राम, लक्ष्मण, सीता को ढूंढने के लिए वन की ओर प्रस्थान करते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
भरत के साथ पूरा परिवार और अयोध्यावासी भी चल पड़ते हैं। भरत राम से मिलकर उन्हें पिता दशरथ की मृत्यु का समाचार भी देते हैं और साथ ही उन्हें अयोध्या आने की विनती करने लगते हैं। राम ने कहा कि मुझे 14 वर्ष का बनवास की आज्ञा पिता से मिली है और पिताजी अब इस दुनिया में नहीं है। इसलिए मैं उनकी आज्ञा का पालन करूंगा। इसलिए भरत तुम माताओं, गुरुजी और प्रजा को लेकर वापस अयोध्या लौट जाओ। राम जी की आज्ञा पर भरत राम जी की खड़ाऊ अपने सिर पर रखकर अयोध्या वापस लौट आते हैं। भरत भी अयोध्या में न रहकर एक कुटिया में रहने लगे और खड़ाऊ की पूजा 14 साल तक करने का संकल्प लेते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस अवसर पर कुसुम पटवाल, सोना राणा, उषा रावत, आरती नेगी, रंजना बिष्ट, निर्मला बेडवाल, विद्या भंडारी, रेणु बिष्ट, सरस्वती बिष्ट, शोभा सुंदरियाल, लक्ष्मी रावत, रीना रावत, सुषमा रावत उपस्थित थे।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।