केदारनाथ धाम प्रतिष्ठा रक्षा यात्रा का उप चुनाव से कोई लेना देना नहीं, फिर भी दहशत में बीजेपीः सूर्यकांत धस्माना
उत्तराखंड कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि श्री केदारनाथ धाम प्रतिष्ठा रक्षा यात्रा का आगामी केदारनाथ विधानसभा सीट पर होने वाले उप चुनाव से कोई भी लेना देना नहीं है। यह यात्रा पूरी तरह से श्री केदारनाथ धाम समेत उत्तराखंड के पवित्र धामों की प्रतिष्ठा के साथ भाजपा सरकार व उनके समर्थकों द्वारा किए जा रहे खिलवाड़ से रक्षा करने के उद्देश्य से की जा रही है। साथ ही उत्तराखंड, देश व दुनिया के सनातनी लोगों को भाजपा का असली चेहरा दिखाने का प्रयास है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गौरतलब है कि दिल्ली में केदारनाथ मंदिर निर्माण का कांग्रेस विरोध कर रही है। कांग्रेस का कहना है कि केदारनाथ धाम का प्रतीकात्मक स्वरूप कहीं ओर नहीं बनाया जा सकता है। साथ ही कांग्रेस इसे बीजेपी की सनातन विरोधी मानसिकता करार दे रही है। कांग्रेस का आरोप है कि धर्म के नाम पर बीजेपी और उससे जुड़े लोग बिजनेस कर रहे हैं। दिल्ली में केदारनाथ मंदिर का शिलान्यास उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने किया था। इसके विरोध में 24 जुलाई को हरिद्वार स्थित हरकी पैड़ी से कांग्रेस की ओर से केदारनाथ तक के लिए पदयात्रा शुरू की गई। इसे केदारनाथ प्रतिष्ठा रक्षा यात्रा का नाम दिया गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सूर्यकांत धस्माना केदारनाथ धाम प्रतिष्ठा रक्षा यात्रा में सम्मिलित होने के लिए गुप्तकाशी रवाना होने से पूर्व अपने कैंप कार्यालय में आयोजित पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भाजपा समर्थक कुछ लोगों द्वारा दिल्ली में बनाए गए केदारनाथ धाम मंदिर ट्रस्ट द्वारा केदारनाथ धाम मंदिर का प्रतिरूप बनाया जा रहा है। उसके शिलान्यास में स्वयं राज्य के मुख्यमंत्री केदारनाथ जी से शिला ले कर मंदिर के शिलान्यास में पहुंचे। साथ ही उन्होंने अपने संबोधन में यह तक कह दिया कि जो लोग उत्तराखंड में श्री केदारनाथ जी नहीं जा सकते, वे दिल्ली में बनने वाले केदारनाथ धाम मंदिर में पहुंच कर वही पुण्य ले सकते हैं, जो श्री केदार धाम पहुंच कर मिलता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
धस्माना ने कहा कि इसके अलावा इस ट्रस्ट द्वारा उत्तराखंड के चारों धामों का प्रतिरूप दिल्ली में बनवाने की घोषणा से उत्तराखंड के चारों धामों के तीर्थ पुरोहितों व श्रद्धालुओं की आस्था पर गहरी चोट लगी है। यह सीधे सीधे धर्म विरुद्ध भी है। ज्योर्तिमठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद गिरी ने भी इसे धर्म विरुद्ध कहा है। उन्होंने कि हमारे धर्म शास्त्रों में पांच बद्री पांच केदार का स्पष्ट उल्लेख है तो छठा केदार कैसे बन सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
धस्माना ने कहा कि इसके अलावा श्री केदारनाथ धाम मंदिर में सोने की चोरी के मुद्दे ने देश और दुनिया में उत्तराखंड की प्रतिष्ठा पर चोट पहुंचाई है जिस पर आज तक राज्य की सरकार ने कोई जांच नहीं करवाई । उन्होंने कहा कि इसके अलावा केदारनाथ मंदिर के गर्भ गृह की मर्यादा का भी अनेक बार राज्य सरकार व मंदिर समिति के गैर जिम्मेदाराना रवैया के कारण उलंघन हुआ है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
धस्माना ने कहा कि इन सब मुद्दों पर केंद्र की मोदी व राज्य की धामी सरकार खामोश हैं। इसलिए कांग्रेस ने श्री केदारनाथ जी समेत उत्तराखंड के चारों धामों की प्रतिष्ठा की रक्षा करने के उद्देश्य से 11 दिवसीय हरिद्वार से श्री केदारनाथ जी की 239 किलोमीटर लंबी पैदल यात्रा तय की। जो पिछले आठ दिनों से निरंतर अपने गंतव्य श्री केदारनाथ की ओर बढ़ रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
धस्माना ने कहा कि जैसे जैसे यात्रा आगे बढ़ रही है, वैसे वैसे भाजपाइयों के पेट में दर्द तेज हो रहा है। क्योंकि पूरे रूट में जनता का अपार समर्थन व प्यार यात्रा में शामिल कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं को मिल रहा है। भाजपा सरकार के मंत्रियों दायित्वधारियों व प्रवक्ताओं ने श्री केदारनाथ धाम प्रतिष्ठा रक्षा यात्रा के खिलाफ बयानों की श्रृंखला चला रखी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि भाजपा ने इस यात्रा को प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा के गुट की यात्रा कह कर प्रचारित किया। वहीं, यात्रा में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह समेत अनेक विधायकों पूर्व विधायकों पार्टी पदाधिकारियों के लगातार यात्रा में चलने से अब भाजपा की बौखलाहट व बेचैनी बढ़ गई है। अब उन्होंने यात्रा को आगामी उप चुनाव से जोड़ने का शिगूफा छोड़ दिया है। धस्माना ने कहा कि उत्तराखंड के सभी प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष देवी देवताओं पितरों और जनता के आशीर्वाद से यह यात्रा ऐतिहासिक व पूर्ण रूप से सफल होगी।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।