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August 1, 2025

पत्रकार एवं साहित्यकार दुर्गा नौटियाल की कविता-मैं झरना मीठे पानी का

दुर्गा नौटियाल उत्तराखंड के जाने माने पत्रकार हैं। वह उत्तराखंड में देहरादून जिले के ऋषिकेश में निवास करते हैं।

मैं झरना मीठे पानी का

मैं झरना का मीठे पानी का,
झरझर बहने आया हूं।
मैं ऊंचे पर्वत का वासी हूं,
कुछ गीत सुनाने आया हूं।।

पर्वत के सूने शिखरों में
मैं गीत निराले गाता हूं,
महसूस कोई मुझको कर ले
मैं मीत उसी को भाता हूं।
मीत बनाने आया हूं,
गीतों को रचने को आया हूं।
मैं झरना मीठे पानी का,
झरझर बहने आया हूं।

पर्वत के ऊंचे शिखरों पर
जो चमक रही चांदी बनकर,
अरुणिमा की आभा में जो
निखरे स्वर्ण मुकुट बनकर।
बर्फीले उन झोंकों की
मैं याद दिलाने आया हूं।
मैं झरना मीठे पानी का,
झरझर बहने आया हूं।।

पनघट की वो भोर सुहानी
पनियारियों की बातें खारी,
चूल्हे के अंगारों में तपती
मां के हाथों की रोटी प्यारी।
पगडंडी और खलिहानों की
याद दिलाने आया हूं।
मैं झरना का मीठे पानी का,
झरझर बहने आया हूं।।

गाय, बैलों के संग जंगल में
दिन खेलों में कब बीत गया,
झूले,चरखी, हिंसर, किनगोड
बेडू, तिमला, काफल छूटा गया।
शरारत भरी बचपन की
यादें फिर समेटने आया हूं।
मैं झरना का मीठे पानी का,
झरझर बहने आया हूं।।

मां की मैं लोरी बन जाऊं
दादी, नानी की कहानी हूं,
पित्र छाया छत्र सरीखी,
कहावत कोई पुरानी हूं।
लोरी याद दिलाने को,
फिर कहानी सुनने आया हूं।
मैं झरना मीठे पानी का,
झरझर बहने आया हूं।

राम मर्यादा पुरुषोत्तम की
मां जानकी की पवित्रता को,
सेवा, प्रण गाने लक्ष्मण का
उर्मिला की अनंत प्रतिक्षा को।
मैं याद दिलाने आया हूं,
फिर से दोहराने आया हूं।
मैं झरना मीठे पानी का,
झरझर बहने आया हूं।

अहसान बनूं केवट जैसा
जटायु सा कर्ज उतारू मैं,
मैं राह निहारूं सबरी सी
भरत सा दास बन जाऊं मैं।
भारत की गौरव गाथा का
मैं अंश सुनाने आया हूं।
मैं झरना मीठे पानी का,
झरझर बहने आया हूं।

गीत बनू मैं देशभक्ति का
जो बीरों में प्राण जगाऊं,
ललकार बनू, हुंकार बनूं
रग-रग, रोम-रोम जगाऊं।
बीर भूमि के अंगारों को
मैं हवा लगाने आया हूं।
मैं झरना मीठे पानी का,
झरझर बहने आया हूं।

सरहद पर हैं जो जाग रहे
मेरी नींदों की फिक्र लिए,
मैं छू आऊं एक झोंका सा
उसको मां का आशीष दिए।
भारत की इस माटी में,
स्वाभिमान जागने आया हूं।
मैं झरना मीठे पानी का,
झरझर बहने आया हूं।

मिट्टी की सौंधी खुशबू से
जो मन वर्षों से मिला नहीं,
सावन की मस्त घटाओं में
जो तन अरसे से रमा नहीं।
मैं उसे मिलाने आया हूं,
मैं उसे रमाने आया हूं।
मैं झरना मीठे पानी का,
झरझर बहने आया हूं।।

कवि का परिचय
दुर्गा नौटियाल उत्तराखंड के जाने माने पत्रकार हैं। वह उत्तराखंड में देहरादून जिले के ऋषिकेश में निवास करते हैं।

Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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