सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिलने के बाद जितेंद्र त्यागी जेल से रिहा, यति नरसिंहानंद ने धर्म संसद से की तौबा
गुरुवार को महामंडलेश्वर स्वामी यति नरसिंहानंद गिरि महाराज ने कहा कि वर्ष 2012 में उन्होंने उत्तर प्रदेश के देवबंद से धर्म संसद का सिलसिला शुरू किया था, जो आज पूरी तरह से समाप्त हो गया है। उन्होंने यह बात अपने शिष्य जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी के अंतरिम जमानत पर रिहा होने के बाद कही। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक जीवन में उन्होंने समाज में चेतना लाने की कोशिश की, लेकिन अपनी और अपने शिष्य की दुर्गति से वह बेहद क्षुब्ध हैं। इसलिए सामाजिक जीवन को छोड़ते हुए वह अब पूरी तरह से धार्मिक जीवन जीएंगे। महामंडलेश्वर स्वामी यति नरसिंहानंद गिरि महाराज ने कहा कि जितेंद्र नारायण त्यागी की रिहाई के लिए उन्होंने लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी, लेकिन समाज का जो उदासीन रवैया सामने आया है।
इससे खिन्न होकर उन्होंने अपने बचे हुए जीवन को मां और महादेव के महायज्ञ और श्रीकृष्ण की श्रीमद्भागवत गीता को समर्पित करने का संकल्प लिया है। उन्होंने जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी से क्षमा भी मांगी है कि वह उनके सम्मान की रक्षा नहीं कर पाए। कहा कि अब वे अपना समय युवकों को श्रीमद्भागवत गीता पढ़ाने और धार्मिक कार्यों में लगाएंगे। गौरतलब है कि हरिद्वार के साथ ही दिल्ली, हिमाचल सहित कई राज्यों में धर्म संसद का आयोजन किया गया था। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जब सख्ती दिखाई तब जाकर पुलिस ने भी कार्रवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे आयोजन ना करने के निर्देश दिए। इसके बाद यति नरसिंहानंद ने धर्म संसद से तौबा कर ली। ये तौबा सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद ही की गई।
वसीम रिजवी जेल से रिहा
उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष जितेंद्र नारायण त्यागी (पूर्व का नाम वसीम रिजवी) को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिलने के बाद गुरुवार को हरिद्वार जिला कारागार रोशनाबाद से रिहा कर दिया गया। त्यागी को भड़काऊ भाषण और आपत्तिजनक टिप्पणी के मामले में बीते 13 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था। सुप्रीम कोर्ट से उन्हें तीन महीने के लिए सशर्त जमानत मिली है।
हरिद्वार में भड़काऊ भाषण व आपत्तिजनक टिप्पणी के दो अलग-अलग मामलों में हरिद्वार की पुलिस ने नारसन बार्डर से जितेंद्र नारायण ङ्क्षसह त्यागी को गिरफ्तार किया था। निचली अदालत से जमानत खारिज होने के बाद उन्हें नैनीताल हाईकोर्ट से भी जमानत नहीं मिल पाई थी। जिसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। हृदय रोग के इलाज के लिए सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें तीन माह के लिए अंतरिम जमानत दी है। गुरुवार को सीजेएम कोर्ट में जमानत के दस्तावेज दाखिल करने के बाद रिहाई का परवाना जिला कारागार रोशनाबाद भेजा गया। जिसके बाद उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया।
दरअसल, जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी को जेल से जाने से पहले ही उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से सुरक्षा मिली हुई थी। इसलिए रिहाई होने पर उत्तर प्रदेश पुलिस का सुरक्षा दस्ता जिला कारागार रोशनाबाद पहुंच गया। यहां से वह लखनऊ रवाना हो गए। वहीं, गुरुवार को रिहाई से पहले इसी मामले में सीजेएम कोर्ट में उनकी पेशी भी हुई। कोर्ट ने अग्रिम कार्रवाई के लिए 26 मई की तारीख निर्धारित की है।
हरिद्वार धर्म संसद में दिए थे भड़काऊ भाषण
हरिद्वार में बीते साल 17 से 19 दिसंबर के बीच हुई धर्म संसद में कथित तौर पर भड़काउ भाषण देने के आरोपी नरसिंहानंद पर लगे थे। नरसिंहानंद और जितेंद्र नारायण त्यागी उर्फ वसीम रिजवी सहित 10 से ज्यादा लोगों के खिलाफ दो FIR दर्ज की गई थी। इस मामले में उत्तराखंड पुलिस ने यति नरसिंहानंद और जितेंद्र नारायण त्यागी (पूर्व में वज़ीम रिज़वी) को धर्म संसद में हेट स्पीच के सिलसिले में गिरफ्तार किया था। दरअसल पत्रकार कुर्बान अली और पटना हाईकोर्ट की पूर्व जज जस्टिस अंजना प्रकाश द्वारा दायर रिट याचिका में भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने 12 जनवरी को केंद्र, दिल्ली पुलिस और उतराखंड सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। इसके बाद उनकी गिरफ्तारी हुई थी।
धर्म संसद में विवादित भाषण देने का आरोप
बता दें कि धर्म संसद का आयोजन स्वामी नरसिंहानंद ने कराया था। इस सम्मेलन में वक्ता के रूप में हिंदू रक्षा सेना के अध्यक्ष स्वामी प्रमोदानंग गिरि और स्वामी आनंदास्वरूप, साध्वी अन्नपूर्णा शामिल हुए थे। तब सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में साधु-संत कहते दिख रहे थे कि धर्म की रक्षा के लिए वह शस्त्र उठाएंगे। अब मुस्लिम पीएम नहीं बनने देंगे। साथ ही वह मुस्लिम आबादी भी नहीं बढ़ने देंगे। धर्म की रक्षा के नाम पर साधुओं का यह विवादित भाषण तेजी से वायरल हुआ। वहीं साध्वी अन्नपूर्णा भी कॉपी-किताब रखकर हाथ में शस्त्र उठाने की बात कहती दिख रही हैं। इसके बाद दिल्ली के बौराड़ी और हिमाचल प्रदेश में भी धर्म संसद का आयोजन किया गया और मुस्लिमों के खिलाफ भड़काऊ भाषण दिए गए।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।