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November 22, 2024

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस: अद्भुत योगी थे डॉ. स्वामी राम, रोक सकते थे दिल की धड़कनें, सपनों का साकार कर रहे डॉ. धस्माना

डॉ. स्वामीराम

21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में देहरादून के जौलीग्रांट स्थित स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय (एसआरएचयू) में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। डॉ. स्वामीराम हिमालय के अद्भुत योगी थे। वह अपने दिल की धड़कनें तक रोक सकते थे। उन्होंने भारतीय योग परंपरा को विदेशों में प्रचारित किया और विदेशियों ने भी उनकी योग कला का लोहा माना था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

एसआरएचयू में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के सफल आयोजन को लेकर व्यापक तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। कुलसचिव डॉ. सुशीला शर्मा ने बताया कि विश्वविद्यालय के अधीन हिमालयन स्कूल ऑफ योगा साइंसेज (एचएसवाईएस) सहित विश्वविद्यालय मेडिकल, मैनेजमेंट, इंजीनियरिंग, नर्सिंग, बायो साइंसेज कॉलेज को भी दिशा-निर्देश दिए गए हैं। कुलसचिव डॉ. सुशीला शर्मा ने बताया कि विश्वविद्यालय के समस्त कॉलेजों के शिक्षक व छात्र-छात्राएं प्रतिभाग करेंगे। गुरु पूजन व गुरू वंदना के साथ समारोह का शुभारंभ किया जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

इसके बाद हिमालयन स्कूल ऑफ योगा साइंसेज (एचएसवाईएस) के छात्र-छात्राएं योग कलाएं प्रस्तुत करेंगे। डॉ.प्रकाश केशवया पंचकोश व प्राण योग विषय के संबंध में जानकारी देंगे। कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए कमेटी का गठन किया। शांति पाठ के साथ कार्यक्रम का समापन होगा। आखिर में प्रसाद वितरण किया जाएगा। इसके अलावा विश्वविद्यालय के ही ग्राम तोली, पौड़ी गढ़वाल स्थित हिल कैंपस गौरी हिमालयन स्कूल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (जीएचएसएसटी) में योग दिवस पर कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

डॉ. स्वामी राम हिमालय के अद्भुत योगी
भारत में ऐसे अनगिनत योगी और तपस्‍वी हुए हैं, जिन्‍होंने विदेशों में भारतीय योग और आध्‍यात्‍म का डंका बजाया है। ऐसे ही थे डॉ. स्‍वामी राम। स्‍वामी राम ने विदेशों में भारतीय यौगिक क्रियाओं का प्रत्‍यक्ष प्रदर्शन करके दिखाया। स्‍वामी राम की गिनती भारत के ऐसे योगियों में होती है, जिन्‍होंने पश्चिम में भारतीय संस्‍कृति, योग और शास्‍त्र का प्रचार प्रसार किया। उन्‍होंने बताया कि योग के माध्‍यम से बहुत‍ से ऐसे काम किए जा सकते हैं, जिन्‍हें आधुनिक विज्ञान असंभव मानता है। उनकी आत्‍मकथा बहुत प्रसिद्ध है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

किशोरावस्था में दी सन्यास की दीक्षा
वर्ष 1925 में पौड़ी जनपद के तोली-मल्ला बदलपुर पौड़ी गढ़वाल में स्वामीराम का जन्म हुआ। किशोरावस्था में ही स्वामीराम ने संन्यास की दीक्षा ली। 13 वर्ष की अल्पायु में ही विभिन्न धार्मिक स्थलों और मठों में हिंदू और बौद्ध धर्म की शिक्षा देना शुरू किया। 24 वर्ष की आयु में वह प्रयाग, वाराणसी और लंदन से उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद कारवीर पीठ के शंकराचार्य पद को सुशोभित किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

रोक दिया था दिल में खून के बहाव को कुछ देर तक
गुरु के आदेश पर पश्चिम सभ्यता को योग और ध्यान का मंत्र देने 1969 में अमेरिका पहुंचे। 1970 में अमेरिका में उन्होंने कुछ ऐसे परीक्षणों में भाग लिया, जिनसे शरीर और मन से संबंधित चिकित्सा विज्ञान के सिद्धांतों को मान्यता मिली। जब उन्‍होंने अपने दिल में खून के बहाव को कुछ देर तक अपनी इच्‍छा के अनुसार रोक लिया, तो डॉक्‍टर और वैज्ञानिक हैरान रह गए। 17 सेकेंड तक अपनी दिल की धड़कनों को रोक लिया। इतना ही नहीं उन्‍होंने यह भी दिखाया कि एक ही समय में दाहिने हाथ की हथेली का टेंपरेचर एक जगह ठंडा और एक जगह गर्म किया जा सकता है। दोनों बिंदुओं के बीच कम से कम 5 डिग्री सेल्‍सियस का अंतर नापा गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

भारतीय उपनिषद, दर्शन के भी विद्वान
डॉ. स्वामी राम के इस शोध को 1973 में इन्साइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका ईयर बुक ऑफ साइंस व नेचर साइंस एनुअल और 1974 में वर्ल्ड बुक साइंस एनुअल में प्रकाशित किया गया। वह अपनी इच्‍छा मात्र से अल्‍फा, थीटा, डेल्‍टा ब्रेन वेव पैदा कर सकते थे। स्‍वामी राम भारतीय उपनिषद, दर्शन के विद्वान थे। लेकिन आधुनिक विज्ञान से भी उन्‍हें लगाव था। उनकी आत्‍मकथा ‘लिविंग विद हिमालयन मास्‍टर्स’ बहुत प्रसिद्ध है। इसमें उन्‍होंने अनेक चमत्‍कारिक संतों का उल्‍लेख किया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

एचआईएचटी की स्थापना
स्वास्थ्य सुविधाओं से महरुम उत्तराखंड में विश्व स्तरीय चिकित्सा संस्थान बनाने का स्वामीराम ने सपना देखा था। उन्होंने अपने सपने को आकार देना शुरू किया 1989 में। इसी साल उन्होंने गढ़वाल हिमालय की घाटी में हिमालयन इंस्टिट्यूट हॉस्पिटल ट्रस्ट (एचआईएचटी) की स्थापना की। ग्रामीण क्षेत्रों तक स्वास्त्य सुविधाओं के पहुंचाने के मकसद से 1990 में रुरल डेवलपमेंट इंस्टिट्यूट (आरडीआई) व 1994 में जौलीग्रांट में हिमालयन अस्पताल की स्थापना की। प्रदेश में डॉक्टरों की कमी को महसूस करते हुए स्वामी जी ने 1995 में मेडिकल कॉलेज की स्थापना की। नवंबर 1996 में स्वामी राम ब्रह्मलीन हो गए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

डॉ. विजय धस्माना

सपनों को साकार कर रहे हैं डॉ. धस्माना
इसके बाद स्वामी जी के उद्देश्य व सपनों को साकार करने का जिम्मा उठाया ट्रस्ट के अध्यक्षीय समिति के सदस्य व स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय (एसआरएचयू) के कुलाधिपति डॉ. विजय धस्माना ने। डॉ. धस्माना की अगुवाई में ट्रस्ट निरंतर कामयाबी के पथ पर अग्रसर है। 2007 में कैंसर रोगियों के लिए अत्याधुनिक अस्पताल कैंसर रिसर्च इंस्टिट्यट (सीआरआई) की स्थापना की। 2013 में शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए जॉलीग्रांट में स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय (एसआरएचयू) स्थापना की गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इसके तहत विश्वविद्यालय की जॉलीग्रांट व तोली पौड़ी में सभी शिक्षण संस्थाएं संचालित की जा रही हैं। विश्वविद्यालय में संस्थापित हिमालयन स्कूल ऑफ योगा साइंसेज (एचएसवाईएस) सहित तमाम छात्र-छात्राओं को संस्थापक स्वामी राम जी के योग दर्शन की शिक्षा दी जाती है।
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