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November 10, 2024

टोक्यो ओलंपिक में भारत को पहला पदक, वेटलिफ्टर मीराबाई चानू ने रजत पदक पर जमाया कब्जा

टोक्यो ओलंपिक 2020 में मीराबाई चानू ने भारत की तरफ से वेटलिफ्टिंग में भारत को रजत पदक दिलाया। चानू ने 49 किलोग्राम वर्ग में भाग लेकर ये कामयाबी हासिल की।

टोक्यो ओलंपिक 2020 में मीराबाई चानू ने भारत की तरफ से वेटलिफ्टिंग में भारत को रजत पदक दिलाया। चानू ने 49 किलोग्राम वर्ग में भाग लेकर ये कामयाबी हासिल की। ये भी भारत के लिए इतिहास में दर्ज हो गया कि पहले दिन जब ओलंपिक में भारत को कोई पदक मिला हो। मीराबाई चानू ने स्नेच में बेहतर प्रदर्शन करते हुए दूसरा स्थान पाया था। स्नैच इवेंट में चानू दूसरे स्थान पर रहीं। उनके तीन में से दो प्रयास सफल रहे। उन्होंने पहले प्रयास में 84 किलो और दूसरे में 87 किलो वजन उठाया। चीन की वेटलिफ्टर हाऊ झिहू पहले स्थान पर रहीं। फिर क्लीन एंड जर्क चानू ने   115 किलो वजन उठाया। चानू 2017 में विश्व चैंपियन भी रही। भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विट कर चानू को बधाई दी।
क्लीन एंड जर्क राउंड की शुरुआत मीराबाई चानू ने 110 किलो वजन उठाकर की। उन्होंने दूसरे प्रयास में 115 किलो वजन उठाया। वहीं तीसरे प्रयास में 117 किलो वजन उठाने में नाकाम रहीं। दूसरी ओर चीनी वेटलिफ्टर ने क्लीन एंड जर्क में 116 किलो का भार उठाते हुए स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया।
चानू का परिचय
8 अगस्त 1994 को जन्मी और मणिपुर के एक छोटे से गाँव में पली बढ़ी मीराबाई बचपन से ही काफ़ी हुनरमंद थीं। बिना ख़ास सुविधाओं वाला उनका गांव इंफ़ाल से कोई 200 किलोमीटर दूर था। उन दिनों मणिपुर की ही महिला वेटलिफ़्टर कुंजुरानी देवी स्टार थीं और एथेंस ओलंपिक में खेलने गई थीं। बस वही दृश्य छोटी मीरा के ज़हन में बस गया और छह भाई-बहनों में सबसे छोटी मीराबाई ने वेटलिफ़्टर बनने की ठान ली।
मीरा की ज़िद के आगे माँ-बाप को भी हार माननी पड़ी। 2007 में जब प्रैक्टिस शुरू की तो पहले-पहल उनके पास लोहे का बार नहीं था तो वो बाँस से ही प्रैक्टिस किया करती थीं।
गाँव में ट्रेनिंग सेंटर नहीं था तो 50-60 किलोमीटर दूर ट्रेनिंग के लिए जाया करती थीं। डाइट में रोज़ाना दूध और चिकन चाहिए था, लेकिन एक आम परिवार की मीरा के लिए वो मुमकिन न था। उन्होंने इसे भी आड़े नहीं आने दिया।
11 साल में वो अंडर-15 चैंपियन बन गई थीं और 17 साल में जूनियर चैंपियन। जिस कुंजुरानी को देखकर मीरा के मन में चैंपियन बनने का सपना जागा था, अपनी उसी आइडल के 12 साल पुराने राष्ट्रीय रिकॉर्ड को मीरा ने 2016 में तोड़ा- 192 किलोग्राम वज़न उठाकर।
हालांकि सफ़र तब भी आसान नहीं था क्योंकि मीरा के माँ-बाप के पास इतने संसाधन नहीं थे। बात यहां तक आ पहुँची थी कि अगर रियो ओलंपिक में क्वालीफ़ाई नहीं कर पाईं तो वो खेल छोड़ देंगी। खैर यहाँ तक नौबत नहीं आई। वर्ल्ड चैंपियनशिप के अलावा, मीराबाई ग्लासगो कॉमनवेल्थ गेम्स में सिल्वर मेडल जीत चुकी हैं।
अन्य खेलों में भारत 
वहीं, शूटिंग में भारतीय निशानेबाजों ने निराश किया। इलावेनिल वालारिवन और अपूर्वी चंदेला महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा के फाइनल्स में जगह नहीं बना सकीं। भारतीय तीरंदाज दीपिका कुमारी और प्रवीण जाधव की जोड़ी भी क्वार्टर फाइनल में बाहर हो गई। उधर, सुबह पुरुष हॉकी में भारतीय टीम ने न्यूजीलैंड को 3-2 से हराकर ओलंपिक के सफर की शानदार शुरुआत की। बैडमिंटन में भारत का निराशाजनक आगाज हुआ। बी साईं प्रणीत पुरुष एकल के पहले राउंड में जिल्बरमैन हाथों पहला गेम 17-21 से हार गए हैं। वहीं, 10 मी. एयर पिस्टल वर्ग के फाइनल में पहुंचे युवा शूटर सौरभ चौधरी स्वर्ण की लड़ाई में चूक गए और वह आठ में से सातवें नंबर पर रहे। सौरभ ने 137.4 का स्कोर किया। वहीं, टेबल टेनिस युगल स्पर्धा में पदक जीतने की भारत की उम्मीदों पर शनिवार को पानी फिर गया।  अचंत शरत कमल और मनिका बत्रा मिश्रित युगल वर्ग के अंतिम 16 में हार गए। वहीं टेटे की सिंगल प्रतियोगिता में मोनिका बत्रा ने पहला मैच जीतकर उम्मीद कायम रखी है।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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