आय से अधिक संपत्ति के मामले में आइएएस रामविलास यादव गिरफ्तार, एक दिन पहले किया था निलंबित
आय से अधिक संपत्ति के मामले में विजिलेंस जांच में सहयोग न करने पर उत्तराखंड में आइएएस अधिकारी डॉ. राम विलास यादव को गिरफ्तार कर लिया गया है। एक दिन पहले उन्हें उत्तराखंड सरकार ने निलंबित कर दिया था।

थाना सतर्कता सैक्टर देहरादून की टीम की ओर से रामविलास यादव से पारिवारिक सदस्यों के नाम अर्जित सम्पत्तियों के बारे में पूछे गये प्रश्नों के उत्तर संतोषजनक नहीं मिले। आरोपी अधिकारी अपने, दिलकश विहार रानीकोठी लखनऊ स्थित आवास, गुडम्बा में स्थित संचालित जनता विद्यालय, नोएडा में क्रय किये गये भूमि की रजिस्ट्री, गाजीपुर जिले में 10 बीघा जमीन, एफडी/खातों में जमा धनराशि, पारिवारिक सदस्यों के बैक खातों में जमा धनराशि एवं पारिवारिक खर्चो के बारे में कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाये। न ही कोई अभिलेख प्रस्तुत कर पाये।
अब तक की विवेचना में उपलब्ध अभिलेखों व आरोपी से पूछताछ पर चैक पीरियड में कुल आय 5048204 रूपये तथा व्यय 31237756 रुपये होना पाया गया। जो अनानुपातिक सम्पत्ति अर्जित की गयी है। आरोपी अधिकारी को आय-व्यय की उपरोक्त रकम बतायी गयी तो कुछ भी स्पष्ट नही बता पाये। सतर्कता की जांच में पाया गया कि तमाम अभिलेखीय साक्ष्यों के आधार पर उनके द्वारा आय से अधिक सम्पत्ति अर्जित करना स्पष्ट होता है कि आरोपी अधिकारी के द्वारा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 (संशो0अधि0 2018) की धारा 13(1)ख सपठित धारा 13 (2) का जुर्म किया गया है। विजिलेंस के प्रेस नोट में बताया गया है कि जुर्म के समबन्ध में आरोपी अधिकारी को अवगत कराते हुये आज 23 जून की रात 2:15 AM पर लम्बी पूछताछ के बाद सतर्कता अधिष्ठान की ओर से उन्हें गिरफ्तार किया गया। नियमानुसार आरोपी की गिरफ्तारी की सूचना उनकी पुत्री के मोबाइल नंबर पर दी गयी । आरोपी अधिकारी रामविलास यादव को सतर्कता अधिष्ठान की ओर से आज ही न्यायालय के समक्ष पेश किया जायेगा।
कई ठिकानों में की गई थी छापेमारी
यादव पहले लखनऊ विकास प्राधिकरण के सचिव रह चुके हैं । लखनऊ के ही एक व्यक्ति ने उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति रखने की शिकायत दर्ज कराई थी। इसके आधार पर उत्तराखंड के सतर्कता विभाग ने जांच शुरू की। सतर्कता विभाग की टीम ने उनके देहरादून, लखनऊ, गाजीपुर समेत कई ठिकानों पर छापा मारे थे। जहां उनके पास कथित रूप से आय से 500 गुना अधिक संपत्ति होने का पता चला। इस आधार पर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए यादव ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। हांलांकि, न्यायालय ने उन्हें इससे कोई राहत न देते हुए उन्हें सतर्कता के समक्ष बयान दर्ज कराने का आदेश दिया।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।