उत्तराखंड में कैसे होगा अपराधों पर नियंत्रण, जेलों से 581 दुर्दांत कैदी फरार, पुलिस प्रशासन नींद मेंः गरिमा मेहरा दसौनी
उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने राज्य में बिगड़ती कानून व्यवस्था और अपराधों पर नियंत्रण ना होने पर सरकार को घेरा है। उन्होंने कहा कि राज्य की जेलों से 581 दुर्दांत कैदी फरार हैं। उन्हें वापस लाने में ठोस प्रयास नहीं हुए। उन्होंने कहा कि कोरोना काल के दौरान संक्रमण के डर से न्यायालय ने उत्तराखंड की विभिन्न जेलों में कैद 581 कैदियों को पैरोल पर घर भेजने के लिए उत्तराखंड सरकार और पुलिस प्रशासन को हरी झंडी दे दी थी। कोरोना काल समाप्त होने के बाद पुलिस प्रशासन उन कैदियों को भूल ही गया और कुंभकरण की नींद में सो गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दसौनी ने कहा कि प्रदेश में होने वाले हर अपराध में डेमोग्राफिक चेंज की बात करने वाली सरकार आज तक प्रदेश की जनता को साफ-साफ यह नहीं बता पाई है कि किस जिले में कितना डेमोग्राफिक चेंज हुआ है। आज प्रदेश में होने वाले अपराधों में एकायक बढ़ोतरी की वजह जरूर मिल चुकी है। ये वजह उत्तराखंड सरकार और पुलिस प्रशासन की उदासीनता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दसौनी ने कहा कि पिछले दो महीने में उत्तराखंड जैसा शांत प्रदेश अपराधियों की शरणस्थली बन चुका है। दुष्कर्मों, डकैतियों, हत्याओं की बाढ़ आ गई है। प्रदेश में हो रहे कई अपराधों में सत्तारूढ़ दल के नेताओं और कार्यकर्ताओं के हाथ होने के मामले भी सामने आ रहे हैं। इनमें कई जेल की सलाखों के पीछे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि 581 खतरनाक कैदी पिछले तीन सालों से उत्तराखंड की वादियों में खुला घूम रहे हैं। पुलिस प्रशासन के पास कोई जवाब नहीं। उनको पैरोल पर घर भेजने के बाद कोई फॉलोअप नहीं किया गया। अब पुलिस प्रशासन उनमें से कुछ अपराधियों के पर इनामी राशि भी घोषित करने जा रही है। कुल मिलाकर इस सबमें नुकसान सिर्फ और सिर्फ उत्तराखंड का हुआ है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दसौनी ने कहा कि जितनी फुर्ती ऊर्जा और मुस्तैदी पुलिस विभाग विपक्षी नेताओं और कार्यकर्ताओं का उत्पीड़न और प्रताड़ित करने में गंवाता है, उतना यदि इन अपराधियों पर ध्यान केंद्रित किया होता, तो उत्तराखंड में इतनी बड़ी संख्या में अपराध ना हो रहे होते। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि एक तरफ तो उत्तराखंड सरकार भ्रष्टाचार मुक्त शासन देने की बात करती है, विजिलेंस विभाग को सशक्त बनाने की बात करती है। अपराधियों पर नकेल कसने की बात करती है। वही उत्तराखंड की जनता को 581 खतरनाक कैदियों के मुंह का निवाला बनने के लिए छोड़ दिया गया है। जो उत्तराखंड शासन में कानून व्यवस्था का हाले बयां करने के लिए काफी है।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।