ललित मोहन गहतोड़ी की कलम से होली लोकगीत
धन्य धन्य तेरो भाग्य सिरतोली
तेरी महिमा सबमें न्यारी छै
पूरव में कुकड़ी कोट बसत है।।२।।
पश्चिम में पत्थर कोट… सिरतोली तेरी महिमा…
दक्षिण में मल्ल कोट बसत है।।२।।
उत्तर में कान कोट… सिरतोली तेरी महिमा…
चारों दिशाएं बीच कोट में।।२।।
ब्रह्मा जी को थान… सिरतोली तेरी महिमा…
सिरतोली खुलो वेद विद्यालय।।२।।
वेद पढ़े मिटे भेद… सिरतोली तेरी महिमा…
कवि का परिचय
नाम-ललित मोहन गहतोड़ी
शिक्षा :
हाईस्कूल, 1993
इंटरमीडिएट, 1996
स्नातक, 1999
डिप्लोमा इन स्टेनोग्राफी, 2000
निवासी-जगदंबा कालोनी, चांदमारी लोहाघाट
जिला चंपावत, उत्तराखंड।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।