हाईकोर्ट का फैसलाः पत्नी के साथ जबरन यौन संबंध रेप नहीं, आरोपी पति को किया दोषमुक्त
छत्तीसगढ़ राज्य में बिलासपुर हाईकोर्ट ने आज एक अहम फैसले में कहा कि कानूनी रूप से विवाहित पत्नी के साथ पति की ओर से यौन संबंध या कोई भी यौन कृत्य बलात्कार नहीं है।
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उन्होंने आगे कहा कि-इसलिए आइपीसी की धारा 376 के तहत पति पर लगे आरोप गलत और अवैध हैं। वह आइपीसी की धारा 376 के तहत आरोप से मुक्त होने का हकदार है। आवेदक नंबर 1 को उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 376 के तहत लगाए गए आरोप से मुक्त किया जाता है। इस मामले में अधिवक्ता वाईसी शर्मा ने बताया कि कि हाईकोर्ट ने पति की ओर से पत्नी के साथ जबरिया बनाये गए संबंध को रेप की श्रेणी में नहीं माना है। हाईकोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में पति को वैवाहिक बलात्कार के आरोप से मुक्त कर दिया है। पीड़ित पति के अधिवक्ता के मुताबिक अब किसी भी पति के खिलाफ इस आदेश के बाद कही भी ऐसा अपराध पंजीबद्ध नही होगा। यह आदेश ऐतिहासिक के साथ ही न्यायदृष्टांत साबित होगा।
पूरा मामला छत्तीसगढ़ राज्य के बेमेतरा जिले का है। जहां एक पत्नी ने अपने पति के खिलाफ उसके साथ जबरन संबंध बनाने का मुकदमा बलात्कार के अपराध में दर्ज करा दिया। निचली अदालत में चालान पेश हुआ। निचली अदालत ने पति को इस कृत्य के लिए आरोपी करार दिया। इसके खिलाफ पीड़ित पति ने अपने अधिवक्ता वाई सी शर्मा के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की। अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट समेत कई जजमेंट का हवाला दिया। मामले की सुनवाई जस्टिस एनके चंद्रवंशी की सिंगल बेंच में हुई। जस्टिस चंद्रवंशी ने सारे तर्क और जजमेंट को देखने के बाद एक बड़ा और ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए याचिकाकर्ता पीड़ित पति को वैवाहिक बलात्कार के आरोप से मुक्त कर दिया।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।