Video: चारधाम यात्रा पर हाईकोर्ट की रोक राज्य सरकार की लापरवाही का नतीजा, सरकार नहीं चाहती कि यात्रा होः धस्माना

उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट लगातार सरकार से चार धाम यात्रा की तैयारियों के बारे में जवाब मांग रहा था। आरटी-पीसीआर, एन्टीजन टेस्ट, ऑक्सीजन, आइसीयू की व्यवस्था व यात्रियों की संख्या का नियंत्रण, ये माननीय उच्च न्यायालय की मुख्य चिंताएं थी। इन विषयों पर न्यायालय राज्य सरकार को फटकार लगा चुका था कि कुंभ जैसे हालात नहीं होने दिए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इसके बावजूद चार धामयात्रा के पुख्ता इंतजाम के बारे में कोर्ट को संतुष्ट जवाब दाखिल नहीं कर पाई। इसके कारण आज का निर्णय आया। धस्माना ने कहा कि वास्तविकता यह है कि एक तो राज्य सरकार की पूरी तैयारियां नहीं हैं, दूसरा देवस्थानम बोर्ड के विरोध में चारों धामों में पंडा पुरोहित इस समय सरकार के खिलाफ आंदोलन चला रहा है। इसलिए सरकार खुद ही चाहती थी कि यात्रा ना हो, किन्तु इसका दोष व अपने सर न लेकर हाई कोर्ट का बहाना चाहती थी जो उसको मिल गया।
धस्माना ने कहा कि चारधाम यात्रा उत्तराखंड के पांच लाख परिवारों के रोटी रोजी का जरिया है। पिछले दो वर्षों से कोरोना की वजह से यात्रा जिस तरह प्रभावित हुई है, उससे लाखों लोगों की रोटी रोजी खत्म हो गयी। धस्माना ने कहा कि इतनी बड़ी मुसीबत में भाजपा सरकार का गैर जिम्मेदाराना रवैय्या लाखों लोगों पर भारी पड़ रहा है।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
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