कोरोना नियंत्रण को लेकर हाईकोर्ट नैनीताल के सख्त निर्देश, सरकार को जारी करना पड़ा बयान, टेस्टिंग और कोविड सेंटर पर जोर
उत्तराखंड में हाइकोर्ट नैनीताल ने जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कोरोना की रोकथाम के लिए सरकार को आवश्यक निर्देश दिए।

उत्तराखंड में हाइकोर्ट नैनीताल ने प्रदेश में कोरोना महामारी के बढ़ते स्तर को देखते हुए उत्तराखंड की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्थाओ के खिलाफ दायर जनहित याचिकाओ की सुनवाई वीडियो कॉंफ्रेंसनिंग के माध्यम से की। इस दौरान हाईकोर्ट ने सरकार को कई निर्देश दिए। इन निर्देश का नतीजा ये हुआ कि सोमवार की शाम को ही मुख्य सचिव को बयान जारी करना पड़ा कि अब ग्रामीण क्षेत्र में मोबाइल टेस्टिंग की सुविधा शुरू की जा रही है। हाईकोर्ट ने कोरोना टेस्टिंग लैब की संख्या बढ़ाने के निर्देश दिए। साथ ही तीसरी लहर की संभावनाओं पर चिंता भी जाहिर की।
हाईकोर्ट नैनीताल में स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने पूर्व के आदेश के क्रम में शपथपत्र पेश किया। इस पर कोर्ट सन्तुष्ट नहीं हुई। कोर्ट ने 20 मई तक दुबारा से शपथपत्र पेश करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 20 मई की तिथि नियत की है।
अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली व देहरादून निवासी सच्चिदानंद डबराल ने क्वारन्टीन सेंटरों व कोविड अस्पतालों की बदहाली और उत्तराखंड वापस लौट रहे। प्रवासियों की मदद और उनके लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने को लेकर हाईकोर्ट में अलग अलग जनहित याचिकायें दायर की थी।
बदहाल क्वारंटाइन सेंटरों के मामले में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर माना था कि उत्तराखंड के सभी क्वारंटाइन सेंटर बदहाल स्थिति में हैं। सरकार की ओर से वहां पर प्रवासियों के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं की गई है। इसका संज्ञान लेकर कोर्ट अस्पतालों की नियमित मॉनिटरिंग के लिये जिलाधिकारियों की अध्यक्षता में जिलेवार निगरानी कमेटी गठित कर सुझाव मांगे थे।
मुख्य न्यायधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान अपनी टिप्पणी में कहा कि पिछले डेढ़ साल से संसाधनों के अभाव में डॉक्टर, नर्से, सफाई कर्मचारी व अन्य मेडिकल स्टाफ कार्य कर रहे है, उनका यह कार्य सराहनीय है। खंडपीठ ने राज्य सरकार को कई बिंदुओं पर निर्देश दिए।
ये हैं निर्देश
– टेस्टिंग लैबों की संख्या बढ़ाई जाए और सरकार पर्वतीय क्षेत्रों में टेस्ट कराने हेतु मोबाइल सेवा उपलब्ध कराए तथा शीघ्र आईसीएमआर की अनुमति ले।
– जो कालेज बंद हैं उनको शीघ्र कोविड सेंटर बनाने पर विचार किया जाए।
– हरिद्वार, हल्द्वानी, व देहरादून में आईसीयू बेड़ों की संख्या बढ़ाए और रामनगर जैसे छोटे शहरों में हैल्थ सेंटर युद्ध स्तर पर खोलें जाए।
– ऑक्सीजन कॉन्संट्रेटर सीधे विदेशो से मंगाने हेतु सरकार केंद्र से परमिशन ले।
– सिटी स्कैन देहरादून, हरिद्वार व पौड़ी में दस दिन के भीतर स्थापित करें।
– जिन दवाओं की कलाबाजारी हो रही है और जो प्राइवेट हॉस्पिटल अधिक चार्ज कर रहे है, नोडल अधिकारी आईजी अमित सिन्हा उन पर कार्यवाही कर 20 मई तक अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें।
– कोविड वेक्सिनेशन सेंटर अधिकतर हॉस्पिटलों में बनाये गए है उनको वहां से हटाकर अन्य जगह पर स्थापित करें जिससे लोग भीड़ देखर कर डरें नही।
– भवाली सेनेटोरियम टीवी सेंटर को भी कोविड हॉस्पिटल बनाने पर विचार करें।
– खंडपीठ ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि महामारी को देखते हुए सरकार डॉक्टरों व नर्सो की भर्ती शीघ्र करे चाहे उन्हें कितना भी वेतन क्यों न देना पड़े।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।