42 वीं पुण्यतिथि पर वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली को दी भावपूर्ण श्रद्धान्जलि
पेशावर कांड के महानायक के वीर चंद्र सिंह गढ़वाली की 42 वीं पुण्यतिथि पर देहरादून में आज सीआइटीयू कार्यालय में उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। साथ ही उनके योगदान को याद किया।
पेशावर कांड के महानायक के वीर चंद्र सिंह गढ़वाली की 42 वीं पुण्यतिथि पर देहरादून में आज सीआइटीयू कार्यालय में उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। साथ ही उनके योगदान को याद किया। इस दौरान वक्ताओं ने बताया कि जब देश में सविनय अवज्ञा आन्दोलन प्रथम चरण में था, तभी 23 अप्रैल 1930 को पेशावर के किस्साखानी बाजार में सैनिक विद्रोह की ऐतिहासिक घटना हुई। जिसे आज भी याद रखा जाता है।भारतीय गढ़वाली सैनिकों ने अपने देश के विरूद्ध बन्दूकों का इस्तेमाल करने से इन्कार कर अंग्रेजी साम्राज्य की नीव को हिला दिया था। इसके महानायक बीर चन्द्र सिंह गढ़वाली सन् 1891 में गढ़वाल के एक साधारण किसान परिवार में पैदा हुए। पेशावर विद्रोह के बाद बिट्रिश सरकार ने उन्हें 26 सितंबर 1941 तक जेल में रखा। पेशावर विद्रोह से पहले प्रेरित होकर नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने आजाद हिन्द फौज संगठित की थी। जेल से रिहाई के बाद इस महानायक ने देश के मुक्ति आन्दोलन में भाग लिया। सन् 1946 से गढ़वाल कुमांऊ के विकास के मुद्दों पर संघर्ष किया।
1 अक्टूबर 1979 को दिल्ली में उन्होंने अन्तिम सांस ली। वे जीवन पर्यन्त मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी से जुडे़ रहे। श्रद्धांजलि सभा में सीआइटीयू महामंत्री लेखराज, सीपीएम के सचिव अनन्त आकाश, सीटू उपाध्यक्ष भगवन्त पयाल, कोषाध्यक्ष रविन्द्र नौडियाल तथा आशा यूनियन की अध्यक्ष सुनीता चौहान आदि ने विचार व्यक्त किए।





