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October 18, 2025

हल्द्वानी में 4365 मकानों पर सुप्रीम कोर्ट में आज होगी सुनवाई, बीजेपी और सरकार ने किया किनारा, कांग्रेस का साथ, कहीं धर्म का चश्मा तो नहीं

एक तरफ देहरादून में अतिक्रमण हटाने को लेकर हाईकोर्ट के आदेश होते हैं और सरकार बस्तियों को बचाने के लिए अध्यादेश लाती है। वहीं उत्तराखंड के नैनीताल जिले के हल्द्वानी में बनभूलपुरा व गफूर बस्ती में रेलवे की 78 एकड़ जमीन से 4365 अवैध कच्चे-पक्के भवनों को हटाने के लिए हाईकोर्ट के निर्देश पर बीजेपी संगठन और सरकार दोनों ने ही किनारा कर लिया है। कांग्रेस सहित अन्य दलों के लोगों का कहना है कि मानवीय दृष्टिकोण के मद्देनजर सरकार को इस मुद्दे को सुलझाया जा सकता है। ऐसे लोगों के कहीं और बसाया जा सकता है। हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ कांग्रेस के सहयोग के प्रभावित होने वाले लोग सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुके हैं। वहीं, कई लोग इस मामले में सरकार और बीजेपी के तटस्थ रूप को राजनीति के रूप में भी देख रहे हैं। क्योंकि इन बस्तियों में रहने वाली अधिकांश आबादी मुस्लिम है। ऐसे में इसे लेकर कई लोग धर्म के आधार पर समीक्षा कर रहे हैं। वहीं, रेलवे, पुलिस व प्रशासन ने पूरी तैयारी कर ली है। आरपीएफ व पीएसी की पांच-पांच कंपनियां तैनात हो गई हैं और चार दिन बाद पैरामिलिट्री फोर्स की 14 कंपनियां भी पहुंच जाएगी। वहीं, प्रभावित होने वाले परिवार सड़क पर पिछले कई दिनों से धरना दे रहे हैं। पूरी रात भर घरों को बचाने के लिए दुआओं का दौर चला। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को होगी सुनवाई
हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ जमीन से अतिक्रमण हटाने की उत्तराखंड हाईकोर्ट की याचिका को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को सुनवाई करेगा। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस एस ए नजीर और पीएस नरसिम्हा की पीठ ने अधिवक्ता प्रशांत भूषण द्वारा मामले का उल्लेख करने के बाद मामले को सुनवाई के लिए स्‍वीकृति दी है। दरअसल, अतिक्रमण हटाने की यह कवायद 2007 में हो गई थी लेकिन तब रेलवे अपनी भूमि खाली नहीं करा सका था। अब नैनीताल हाई कोर्ट के सख्त आदेश के चलते 16 साल बाद बदले हालात में अतिक्रमण के बढ़ चुके दायरे को आठ जनवरी के बाद ध्वस्त करने की तैयारी हो चुकी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मुस्लिम बाहुल्य हैं बस्तियां
वनभूलपुरा व गफूर बस्ती मुस्लिम बहुल क्षेत्र है। यहां 90 फीसद मुल्लिम परिवार हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि इसे कहीं धार्मिक चश्मे से तो नहीं देखा जा रहा है। अतिक्रमण हटाने से 4365 घरों के करीब 50 हजार से ज्यादा लोग प्रभावित होंगे। हालांकि, अतिक्रमण की जद में सिर्फ यही समुदाय नहीं है। यहां 35 हिंदू परिवार भी अतिक्रमणकारियों में शामिल हैं। सभी लोग घरों को बचाने के लिए राज्य सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं। बताया जा रहा है ये परिवार करीब 50 साल से ज्यादा उक्त भूमि पर बसे हैं। यहां नगर पालिका की ओर से सारी सड़क, सफाई आदि की सारी सुविधाएं दी हैं। बिजली, पानी की मूलभूत सुविधा के साथ ही इस क्षेत्र में तीन सरकारी स्कूल, 11 निजी स्कूल, 10 मस्जिद, 12 मदरसे, एक मंदिर, एस पीएचसी है। उत्तराखंड में बारी बारी से बीजेपी और कांग्रेस की सरकार रही हैं। ऐसे में इतने साल बाद भी किसी भी सरकार ने इस संबंध में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। साथ ही सवाल ये उठ रहा है कि जब ये बस्तियां बस रही थी तब रेलवे प्रशासन और नगर पालिका और जिला प्रशासन क्या कर रहा था। वहीं, उन मासूमों के भविष्य का क्या होगा, जिनके स्कूल टूट जाएंगे और सिर पर छत भी नही रहेगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
नहीं हो रही है पुनर्वास पर बात
50 हजार से ज्यादा लोगों का क्या होगा। इसे लेकर सरकार का कोई साफ दृष्टिकोण नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कई मामलों में ऐसी बस्तियां हटाने से पहले से पहले सभी परिवारों का पुनर्वास करने को कहा था। उत्तराखंड में हाईकोर्ट ने ऐसा कोई आदेश नहीं दिया है। आदेश सिर्फ अतिक्रमण को हटाने के लिए हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि सर्दियों के इस मौसम में हजारों लोग कहां शरण लेंगे। यहां खुद अतिक्रमण हटाने के लिए सात दिन की मोहलत दी गई थी। बाद में अतिक्रमण हटाने पर इसका खर्च भी अतिक्रमणकारियों से वसूला जाएगा। अतिक्रमण तोड़ने के दौरान अगर गिरफ्तार करने की नौबत आई, तो इसके लिए ऊधमसिंह नगर में जेल बनाने की योजना बनाई जा रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सीएम धामी ने किया किनारा
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस मुद्दे से किनारा किया हुआ है। उन्होंने कहा कि यह न्यायालय और रेलवे के बीच की बात है। राज्य सरकार इसमें कोई पार्टी नहीं है। उच्चतम न्यायालय का जो भी निर्णय आएगा, राज्य सरकार उसपर काम करेगी।
बीजेपी ने कांग्रेस पर लगाए आरोप, लेकिन मानवीय दृष्टिकोण पर चुप्पी
उत्तराखंड भाजपा ने हल्द्वानी के वनभूलपुरा रेलवे भूमि विवाद के लिए कांग्रेस को पूरी तरह से जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस जबाबदेही से बचने के लिए आरोप प्रत्यारोप तथा मुद्दे का राजनीतिकरण करना चाहती है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा कि इसमें राज्य सरकार पक्ष नही है और न ही भाजपा की कोई भूमिका है। उन्होंने कहा कि इसमे कांग्रेस इसलिए दोषी है, क्योंकि उसने समय रहते कोई प्रयास नहीं किया और मामला कोर्ट में जाने दिया। उन्होंने पार्टी और सरकार इस पूरे मामले को राजनैतिक चश्मे से नहीं देखती है। मामला न्यायालय में विचाराधीन है इसलिए सभी पक्षों को उच्चतम न्यायालय के फैसले का इंतजार करना चाहिए। वहीं, उन्होंने बयान में ये कहीं नहीं कहा कि इतने सारे लोगों के सड़क पर आने के बाद क्या व्यवस्था होगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कांग्रेस कर रही है सीएम से मानवीय दृष्टिकोण अपनाने की मांग
उत्तराखंड में कांग्रेस नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, पूर्व नेता प्रतिपक्ष एवं चकराता विधायक प्रीतम सिंह इस मुद्दे पर सरकार से मानवीय दृष्टिकोण अपनाने की मांग कर चुके हैं। प्रीतम सिंह ने तो हाल ही में मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी। उन्होंने मुख्यमंत्री को सुझाव दिया था कि देहरादून की बस्तियों की तरह हल्द्वानी की बस्तियों को भी बचाया जा सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कई कांग्रेसी नेताओं ने डाला दिल्ली में डेरा
हल्द्वानी के वनफूलपुरा मामले को लेकर उत्तराखंड कांग्रेस के शीर्ष नेता दिल्ली पहुंचे हुए हैं। उत्तराखंड कांग्रेस के अध्यक्ष करण माहरा, उत्तराखंड विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के उपनेता भुवन कापड़ी, हल्द्वानी के विधायक सुमित हृदेयेश, कांग्रेस उपाध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप, कांग्रेस महामंत्री संगठन विजय सारस्वत राजधानी दिल्ली पहुंचे हैं। वह सुप्रीम कोर्ट में आज होने वाली सुनवाई में प्रभावित होने वालों के पक्ष को मजबूती से रखने की तैयारी कर रहे हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं जाने माने वकील सलमान खुर्शीद व अन्य वकीलों का पैनल इस मामले में पैरवी करेगा।

Bhanu Prakash

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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