हरीश रावत ने छोड़े भगत पर शब्दों के तीर, बोले-हमारी ताक झांक के दायरे में आप भी थे

इन दिनों उत्तराखंड में नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश के बयान के बाद से भाजपा में हलचल है, वहीं, कांग्रेस और भाजपा के बीच दनादन सियासी तीर छोड़े जा रहे हैं। अब तो ये लड़ाई सीधे भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत और पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत के बीच तक पहुंच गई। हरीश रावत जहां सोशल मीडिया में ज्यादा एक्टिव रहते हैं, वहीं भगत भाजपा के प्रवक्ता की ओर से बयानबाजी करते हैं।
कुछ दिन पहले ही नेता प्रतिपक्ष व प्रदेश कांग्रेस की वरिष्ठ नेता डॉ. इंदिरा हृदयेश ने अपने बयान से प्रदेश के सियासी महकमे में हलचल पैदा कर दी थी। उन्होंने कहा है कि सत्तारूड़ भाजपा के कई विधायक कांग्रेस के संपर्क में हैं। वे जल्द ही पार्टी का दामन थामेंगे। कुमाऊं व गढ़वाल दोनों मंडल से यह विधायक आते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस में इस तरह के किसी भी निर्णय को लेने का हक पार्टी हाइकमान को है। आलाकमान तक यह बात पहुंचाई जाएगी।
इस बीच भाजपा और कांग्रेस के बीच बयानबाजी की लड़ाई शुरू हुई तो हरीश रावत का भी एक बयान आ गया। जिसमें उन्होंने विधायकों के बिखराव और टूट को लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत बताया। साथ ही उन्होंने कहा कि यदि ऐसी टूट होती है तो वह टूट के सूत्रधार को शाल ओढ़ाकर सम्मानित करेंगे।
हरीश रावत के इस बयान पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत ने कहा कि रावत परस्थितियों को अपने हिसाब से परिभाषित करने की कोशिश कर रहे हैं। कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष पार्टी की रणनीति का हिस्सा रावत को नही बना रहे है और रावत की हालात खिसियानी बिल्ली खम्बा नोचे जैसी हो गयी है। रावत की बेचैनी को इससे भी समझा जा सकता है की वह टूट के सूत्रधार नेता को भी शॉल ओढ़ाकर सम्मानित करने को तैयार है।
भगत ने कहा कि भाजपा एकजुट है और मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के नेतृत्व में विकास कार्यो की बदौलत पार्टी दोबारा सत्ता में आएगी। भाजपा में टूट का जो सपना कांग्रेस देख रही है वह कभी साकार नही हो पाएगा। बेहतर होगा कि अपने अस्तित्व के लिए तरस रही कांग्रेस अपने बचे-खुचे कुनवे के बारे में सोचे और दूसरे घरो में ताक झांक करना बन्द करे।
ऐसे में हरश रावत कहां चुप रहने वाले थे। हरीश रावत ने सोशल मीडिया में लिखा- भगत जी, मेरा तात्पर्य बंशीधर भगत जी से है। हरीश रावत ने इशारा किया कि यदि भगत को प्रदेश अध्यक्ष नहीं बनाया जाता तो वह भी कांग्रेस में होते। इस इशारे को उन्होंने कुछ इस तरह बयां किया- हमारी तांक-झांक के दायरे में तो आप भी थे। भाजपा ने समझदारी दिखाई, समय पर खिड़की बंद कर दी। दलबदल का महापाप (माननीयन्यायपालिका ने दल-बदल को महापाप कहा है) दलबदल का महापाप करवाने की एक्सपर्ट पार्टी की खुली खिड़कियों से तांक-झांक करना लोकतांत्रिक धर्म है। और देश में लोकतंत्र को बचाने के लिये भाजपा को कमजोर करना आवश्यक है। इसलिये मैंने कहा कि कोई तांक-झांक का एक्सपर्ट है, तो मैं शॉल उड़ाकर उनका अभिनंदन करूंगा।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।