पूर्व सीएम हरीश रावत ने रखा एक घंटे का उपवास, बोले- त्रिवेंद्रजी देखिए, नहीं तो जनता दिखा देगी
सचिवालय में आमजन के प्रवेश पर प्रतिबंध के खिलाफ पूर्व मुख्यमंत्री, कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव एवं पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत ने एक घंटे का उपवास रखा। इस दौरान उन्होंने केंद्र और प्रदेश सरकार की नीतियों पर जमकर प्रहार किए। साथ ही कहा कि भाजपा मति भ्रमित कर रही है। सत्ता के नशे में उसे कुछ दिख नहीं रहा है। वह बोले- त्रिवेंद्र जी देखिए, नहीं तो 2022 में जनता सब दिखा देगी।
हरीश रावत ने देहरादून में स्थित अपने आवास के समक्ष एक घंटे का उपवास रखा। इस दौरान पत्रकारों से सवाल पर उन्होंने कहा कि कोरोनाकाल में बंद रखा ठीक है। फिर सब कुछ खोल दिया। सचिवालय में बाहर के लोग आते हैं। लोग विकास के काम, समस्या लेकर आते हैं। उसे प्रवेश नहीं मिल रहा। दस बारह लोगों ने मुझे फोन करके कहा कि सचिवालय में प्रवेश नहीं मिल रहा। इस पर मैने दो बार ट्विट किया। सावधानी बरतें और लोगों को रोके नहीं। आप टेस्ट कराए, लेकिन प्रवेश को रोकेंगे तो लोगों में निराशा बनती है। दो बार ट्विट करने के बाद नहीं सुना तो एक घंटे का मौन उपवास राज्य सरकार को संदेश पहुंचाने के लिए किया गया। मानना न मानना उनके हाथ में है। राज्य के लोगों के लोकतांत्रिक अधिकार को लंबे समय तक नहीं रोक सकते हैं।
कर्मकांड बोर्ड पर दिया ये जवाब
कर्मकार बोर्ड के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस पर कुछ नहीं कहूंगा। जो कहना था पहले कह दिया। इसमें सबकी परीक्षा है। जीरो टालरेंस की परीक्षा है। कुछ चीजें मुखर होकर बोल रही हैं। तथ्य बोल रहे हैं। सरकार एक इम्तिहान में पहले ही फेल हुई। सीबीआइ जांच से घबरा गए। दूसरे लोकआयुक्त मामले में फेल हुए। यहां भी तथ्य ठीक कर कह रहे हैं। ये सबका इम्तिहान है।
उन्होंने कहा कि कर्मकार बोर्ड में हमने पहले काम किया। मेले भी लगाए। युवाओं के लिए। सुविधा भी बांटी। ऐसा नहीं हुआ, जैसा आज सुनने में आ रहा है। मैं 180 करोड की पूंजी छोडकर गया। ताकी दूर दराज के लोगों के लिए कुछ काम हो। ये पैसा कर्मकार के कल्याण के लिए छोड़कर आया था। इसमें कहीं भी दूसरे लोगों का जिक्र नहीं है। मैने कर्मचार के लिए किया। सिडकुल में 800 करोड की पूंजी खड़ी है। मेरा दोष है तो मानने को तैयार हूं। ये मेरा आर्ट है। वहीं, इनका आर्ट है जो आ रहा है उसे बर्बाद करो।
किसान आंदोलन पर बोले
किसानों के आंदोलन को लेकर पूछे गए सवाल पर हरीश रावत ने कहा कि किसानों को जो आंदोलनरत हैं, उसे ये एंटीनेशनल कह रहे हैं। एंटीनेशनल की कांग्रेस पर भी मुहर लगा दो। सारी मुहर भाजपा के हाथ में है। किसान की आशंका सही है। बिहार में 2006 में मंडिया खत्म की। बिहार में मक्का किसान को 11 सौ मूल्य मिला। देश भर में 1800 एमएसटी थी और 1400 मूल्य मिला। यदि मंडी व्यवस्था बेकार है तो बिहार के किसान को क्यों नहीं फायदा मिला। बिहार का किसान और ज्यादा गरीब हुआ। सबसे गरीब आय वाला किसान बिहार का है। सर्वाधिक आय वाला किसान पंजाब व हरियाणा का है। इसके बाद उत्तराखंड में उधमसिंह नगर, नैनीताल, हरिद्वार जिले आते हैं। किसान समझ रहा है। इसलिए किसान कोरोनाकाल में सर्दी में दिल्ली में खड़ा है। हम कोरोनाकाल में सार्वजनिक स्थान पर उपवास भी नहीं कर रहे हैं। किसान का उपहास उड़ाओगे तो सत्ता आनी जानी है।
नोजवानों को लेकर दिया जवाब
एक सवाल हरीश रावत ने कहा कि मैने प्रतिपक्ष को कहा किसान और नोजवान की बात उठाएं। सीएम ने कहा मैने क्या काम किया। हो सकता है 19 दिसंबर को मैं बेरोजगारों के लिए उपवास रखूं। राज्य में बेरोजागारों के लिए लाइव रहूंगा। भर्तियां खाली हैं, उस पर कहूंगा।
पलायन आयोग की रिपोर्ट पर बोले
हरीश रावत ने कहा कि पलायन पर रिपोर्ट बनाना गलत नहीं कहूंगा। पलायन रोकने के लिए कितने प्रयास किए। पलायन वहीं की मिट्टी वहीं के पानी से रुकेगा। ऐसा क्या माडल है। पलायन रोकने के लिए हमने कई योजना थी। उदाहरण मंडवा, मिर्च, राजमा, चौलाई, गहथ पर बोनस दिया। इस सरकार ने उसे समाप्त कर दिया। मंडवे की दुनिया में मांग बढ़ी और इसका फायदा उत्तराखंड नहीं उठा पाया। नेपाल उठा रहा है। उस समय हमने माल्टा, नींबू दस बारह रुपया खरीदा। आज सात रुपये बोल रहे हैं। साथ ही कह रहे हैं इस राशि पर विपणन केंद्र में लाओ। उतना तो ठुलान में लगेगा। कैसे पलायन रुकेगा। उत्पादों को प्रोत्साहित करो। हमने बोनस की व्यवस्था की। आपने समाप्त कर दी। इनके इरादों पर टिप्पणी नहीं कर रहा हूं, लेकिन भाजपा मति भ्रमित कर रही है। सत्ता के नशे में कुछ दिख नहीं रहा है। त्रिवेंद्र जी देखिए, नहीं तो 2022 में सब दिखा देंगे।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।