गांधी ग्राम गुरुद्वारे में मनाया गया गुरु तेग बहादुर जी का शहीदी पर्व, गुरु तेग बहादुर के बलिदान की दुनिया में मिसाल नहींः धस्माना

धस्माना ने कहा कि गुरु तेगबहादुर जी को पता था कि उनको अपने धर्म न त्यागने व इस्लाम कुबूल न करने पर मौत की सज़ा मिलेगी। फिर भी वह अपने धर्म पथ पर अडिग रहे और बिना सी किये उन्होंने अपना शीश देश व धर्म के लिए कुर्बान कर दिया। उन्होंने कहा कि गुरु तेगबहादुर जी का जीवन ध्यान, भजन भक्ति व सेवा में बीता तथा उन्होंने 26 वर्षों तक ध्यान साधना की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि गुरु तेगबहादुर जी के सुपुत्र सिख पंथ के दसवें व अंतिम देहधारी गुरु श्री गोबिंद सिंह ने अपने पिता की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए देश व धर्म की रक्षा के लिए खालसा पंथ की स्थापना की व अपना सर्वस्व देश और काम के लिए कुर्बान कर दिया। इस अवसर पर गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के राजा सिंह अशोक गोलानी , शिव सेना के उत्तराखंड प्रमुख गौरव कुमार, अनुज दत्त शर्मा आदि उपस्थित रहे।

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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।