हॉकी खिलाड़ी वंदना कटारिया के परिजनों को ग्राफिक एरा का अभिनंदन, देगा 11 लाख, कभी जूते और स्टिक के नहीं थे पैसे
ग्राफिक एरा एजुकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. कमल घनशाला ने कहा कि वंदना कटारिया ने ओलंपिक में अपने शानदार प्रदर्शन से उत्तराखंड का गौरव बढ़ाया है। डॉ. घनशाला ने कहा कि ओलंपिक में गोल की हैट्रिक लगाने वाली पहली भारतीय महिला हॉकी खिलाड़ी वंदना कटारिया का प्रदर्शन बहुत अच्छा रहा है। भले ही भारतीय टीम हार गई है, लेकिन ओलंपिक में चौथे नंबर पर पहुंचना भी इतिहास रचने वाली उपलब्धि है। विश्वास है कि अगले ओलंपिक में तीन साल बाद भारत गोल्ड जरूर जीतेगा।
डॉ. घनशाला ने कहा कि उत्तराखंड की महिला शक्ति कठोर शारीरिक और मानसिक श्रम करती है। उत्तराखंड के विकास में महिलाओं का बहुत बड़ा योगदान है। उत्तराखंड की लड़कियों और लड़कों को अच्छी ट्रेनिंग मिले, तो उत्तराखंड खेलों में पदक पाने वाले राज्य के रूप में भी जाना जाएगा। उन्होंने ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी की ओर से वंदना कटारिया को 11 लाख रुपये की सम्मान राशि देने की घोषणा करते हुए कहा कि वंदना कटारिया को किसी ट्रेनिंग के लिए जरूरत होगी, तो ग्राफिक एरा उन्हें सहयोग करेगा। अन्तर्राष्ट्रीय खेलों में अच्छा प्रदर्शन करने वाले दूसरे खिलाड़ियों को भी प्रोत्साहित किया जाएगा। ग्राफिक एरा एजुकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. कमल घनशाला ने कहा कि ओलंपिक में गोल की हैट्रिक लगाने वाली पहली भारतीय महिला हॉकी खिलाड़ी वंदना कटारिया ने सुविधाओं की कमी के बावजूद यह साबित किया है कि लगन सच्ची हो, तो बड़ी से बड़ी मंजिल तक पहुंचा जा सकता है। भारत वापसी पर विश्वविद्यालय में वंदना कटारिया का अभिनंदन किया जाएगा।
यूनिवर्सिटी की ओर से रजिस्ट्रार ओंकार नाथ पंडित ने सम्मान राशि देने के संबंध में वंदना कटारिया के परिजन को पत्र लिखा है।
राखी घनशाला ने घर पहुंच कर वंदना के परिवार का अभिनंदन किया
ग्राफिक एरा एजुकेशनल ग्रुप की वरिष्ठ पदाधिकारी राखी घनशाला ने आज रोशनाबाद में वंदना कटारिया के घर पहुंच कर उनकी मां श्रीमती स्वर्ण देवी और भाई चंद्रशेखर कटारिया का इस गौरवशाली उपलब्धि पर अभिनंदन किया। श्रीमती राखी घनशाला ने वंदना कटारिया की मां को ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी की ओर से 11 लाख रुपये की सम्मान राशि की घोषणा का पत्र सौंपा।
राखी घनशाला ने कहा कि ये उत्तराखंड और पूरे देश के लिए गर्व के पल हैं। उत्तराखंड की बेटी वंदना कटारिया उस टीम का अहम हिस्सा है, जिसने इतिहास रचा है। हम जीते नहीं, लेकिन हमारे देश की महिला हॉकी टीम ने देश की लाखों महिलाओं और लड़कियों को आगे बढ़ने की राह दिखाई है। इस टीम ने देश को महिला हॉकी में पूरी दुनियां में चौथे स्थान पर पहुंचने का गौरव दिलाया है।
उन्होंने कहा कि वंदना को अगले मुकाबलों के लिए जिस ट्रेनिंग की आवश्यकता होगी, उसमें ग्राफिक एरा सहयोग करेगा। अगले ओलंपिक में हमारी महिला हॉकी टीम गोल्ड जरूर जीतेगी। ओलंपियन वंदना के भाई चंद्रशेखर कटारिया और मां स्वर्ण देवी ने ग्राफिक एरा की इस पहल का स्वागत करते हुए कहा कि पूरा देश इस खुशी में शामिल है। राखी घनशाला ने वंदना की बहन और परिवार के अन्य सदस्यों से भी काफी देर बातचीत की। इस अवसर पर ग्राफिक एरा के निदेशक (इंफ्रा.) डॉ. सुभाष गुप्ता और हैड मैनेजर (मार्केटिंग) साहिब सबलोक भी मौजूद थे।
राखी ने वंदना से मोबाइल पर बात की
ग्राफिक एरा के मैनेजमेंट की वरिष्ठ पदाधिकारी राखी घनशाला ने ओलंपियन वंदना कटारिया से मोबाइल पर बात करते हुए कहा कि संघर्षों के बीच इस मुकाम पर पहुंचकर उन्होंने हर भारतीय को गौरवांवित किया है। श्रीमती राखी ने कहा कि मैडल न पाने की वजह से वह अपना दिल छोटा न करें, उन्होंने करोड़ों भारतीयों का दिल जीता है। वह हर भारतीय महिला के लिए प्रेरणा हैं। उन्होंने (वंदना ने) साबित किया है कि सच्ची लगन और पूरी निष्ठा से काम करने वाला इंसान हर मुकाम हासिल कर सकता है। इसके लिए हम आपको सैल्यूट करते हैं। ओलंपियन वंदना कटारिया ने उनके घर आकर प्यार और सम्मान देने के लिए राखी घनशाला का आभार व्यक्त किया।
हाकी में वंदना कटारिया का संघर्ष
भारतीय महिला हॉकी टीम भले ही ओलंपिक के अपने पहले मेडल से चूक गई, लेकिन उसने अपने प्रदर्शन से सभी फैंस को गदगद कर दिया। टीम ब्रॉन्ज के मुकाबले में ब्रिटेन से 3-4 से हार गई, लेकिन फिर भी टीम ने ओलंपिक इतिहास का सबसे अच्छा प्रदर्शन किया। टीम की सबसे बड़ी उपलब्धि ये है कि भारतीय महिला टीम पहली बार ओलंपिक में किसी पदक की लड़ाई में सेमीफाइनल तक पहुंची। टीम के यहां तक के पहुंचने के संघर्ष को समझने के लिए हमें टीम की अहम खिलाड़ी रही वंदना कटारिया के संघर्ष को समझने के लिए थोड़ा पीछे जाना होगा।
पिता की मौत के बाद भी घर नहीं आईं
वंदना कटारिया के पिता का 30 मई को निधन हो गया। इस दौरान वे नेशनल कैंप में थीं। पिता की इच्छा थी कि बेटी ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीते। इस सपने को पूरा करने के लिए वंदना पिता की मौत के बाद घर नहीं आईं और तैयारियों में जुटी रहीं। 29 साल की वंदना ने एशियन गेम्स, एशिया कप और जूनियर वर्ल्ड कप में मेडल जीता है।
वंदना कटारिया ने हैट्रिक सहित 4 गोल किए
वंदना कटारिया ओलंपिक में भारत की ओर से सबसे अधिक गोल करने वाली खिलाड़ी हैं। उन्होंने हैट्रिक सहित 4 गोल किए। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ रोमांचक मुकाबले में उन्होंने तीन गोल किए थे। इस कारण टीम 4-3 से जीतने में सफल रही और क्वार्टर फाइनल में प्रवेश किया। इसके अलावा गुरजीत कौर ने भी 4 गोल किए। वंदना और गुरजीत भारत की ओर से सबसे अधिक गोल करने वाली खिलाड़ी रहीं। ब्रॉन्ज का मुकाबला 2-2 से बराबर था, तब वंदना ने गोल करके भारतीय टीम को बढ़त दिलाई थी। हांलाकि भारतीय टीम 4-3 से हार गई।
टोकियो ओलंपिक में रचा इतिहास
भारतीय महिला हॉकी टीम की खिलाड़ी वंदना कटारिया ने टोक्यो ओलंपिक में इतिहास रचा है। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मैच में वंदना ने तीन गोल दागे और टीम को जीत दिलाने में मुख्य भूमिका निभाई। वंदना ने ओलंपिक में हैट्रिक लगाकर पहली भारतीय महिला हॉकी खिलाड़ी का यह खिताब भी अपने नाम कर लिया।
पिता की थी ये इच्छा
वंदना के पिता की इच्छा थी कि बेटी ओलंपिक में स्वर्ण पदक विजेता टीम का हिस्सा बनें। पिता के इस सपने को साकार करने के लिए भारतीय टीम के कैंप में वंदना ने अपनी तैयारियों के लिए जी-जान एक की। इसी बीच उन्हें पता चला कि अब उनके पिता नहीं रहे। उनकी अंतिम दर्शन और अंतिम इच्छा के बीच वंदना ने अंतिम इच्छा को चुना और तैयारियों में जुटी रहीं। उस वक्त वंदना की मां ने उन्हें मजबूत किया और कहा था कि जिस उद्देश्य के लिए मेहनत कर रही हो पहले उसे पूरा करो, पिता का आशीर्वाद हमेशा तुम्हारे साथ रहेगा।
हाकी के सफर में वंदना को मिला माता-पिता का साथ
वंदना कटारिया का परिवार हरिद्वार के रोशनाबाद में रहता है। हरिद्वार भेल से सेवानिवृत्त के बाद वंदना के पिता ने रोशनाबाद में दूध का व्यवसाय शुरू किया था। उनकी सरपरस्ती में वंदना कटारिया ने रोशनाबाद से अपनी हाकी की यात्रा शुरू की। उस वक्त गांव में वंदना के इस कदम को लेकर स्थानीय लोगों ने परिवार के साथ उनका भी मजाक उड़ाया था। पिता नाहर सिंह और माता सोरण देवी ने इसकी परवाह न करते हुए वंदना के सपने को साकार करने के लिए हर कदम पर उसकी सहायता की।
यहां से शुरू हुआ था सफर
हरिद्वार के रोशनाबाद से उनकी हाकी की शुरुआत हुई। इसके बाद वह हरिद्वार में ही हाकी का प्रशिक्षण लेने लगी। प्रोफेशनल तौर पर मेरठ से उनकी हाकी की शुरुआत हुई। इसके बाद वह लखनऊ स्पोर्ट्स हास्टल पहुंची। घर की आर्थिक हालत ठीक न होने के कारण उन्हें अच्छी किट और हाकी स्टिक खरीदने में दिक्कत होती थी। कई ऐसे भी मौके आए जब हास्टल की छुट्टियों में साथी खिलाड़ी घर चले जाते थे, लेकिन पैसे न होने के कारण वह घर नहीं जा पाती थीं। ऐसे में कोच पूनम लता राज और विष्णुप्रकाश शर्मा से उन्हें काफी मदद मिली।
नहीं होते थे जरूरत पूरी करने के पैसे
वंदना कटारिया के पास अपनी छोटी-छोटी जरूरतें पूरी करने के लिए भी पैसे नहीं होते थे। यहां तक कि वह हाकी स्टिक और जूते नहीं खरीद पाती थी। हास्टल की छुट्टी होने पर जब सभी लड़कियां अपने घर चली जाती थीं, तब वंदना अकेले ही हास्टल में रहती थीं। बकौल वंदना इस मौके पर हमेशा उनकी कोच पूनम लता ने उसकी मदद की।
यही है बड़े खिलाड़ी की निशानी
कोच पूनम लता को अपना आइडियल मानने वाली वंदना की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। 2004 से 2010 तक लखनऊ स्पोर्ट्स हास्टल में वंदना की कोच रहीं पूनम लता के मुताबिक, वंदना जैसी पहले थी, आज भी दो ओलिंपिक खेलने के बाद भी उसमें कुछ बदलाव नहीं आया है। आज भी वह मुझे वैसा ही सम्मान देती है, जैसा पहले दिया करती थी। यह एक बड़े खिलाड़ी की निशानी है।
रोशनाबाद से शुरू हुआ सफर टोक्यो तक पहुंचा
उत्तराखंड के रोशानाबाद (हरिद्वार) में एक साधारण से परिवार में जन्मीं वंदना कटारिया के पिता नाहर सिंह ने भेल से सेवानिवृत्त होकर दूध का व्यवसाय शुरू किया था। उनकी सरपरस्ती में वंदना कटारिया ने रोशनाबाद से हाकी की यात्रा शुरू की। उस वक्त गांव में वंदना के इस कदम को लेकर स्थानीय लोगों ने परिवार के साथ उनका भी मजाक उड़ाया था। पिता नाहर सिंह और माता सोरण देवी ने इसकी परवाह न करते हुए वंदना के सपने को साकार करने के लिए हर कदम पर उसकी सहायता की।
कुछ लोगों ने की शर्मनाक हरकत
भारतीय महिला हाकी टीम की खिलाड़ी वदंना कटारिया के घर के बाहर पटाखे फोड़ने और जातिसूचक शब्द कहने की शर्मनाक हरकत भी सामने आई। हरिद्वार की रहने वाली वंदना कटारिया के घर पर हमला किया गया। सेमीफाइनल में जब भारतीय महिला हाकी टीम अर्जेंटीना से हार गई तो हार के बाद वंदना के परिवारवालों को जातिसूचक गालियां दी गईं। हालांकि इसकी शिकायत पुलिस से की गई है और मामला भी दर्ज किया गया है। पुलिस ने दो आरोपित को गिरफ्तार भी कर लिया। इनमें से एक विजयपाल सिंह भी हाकी खिलाड़ी है। इससे समझा जा सकता है कि कोई खिलाड़ी जब दूर देश में आपका प्रतिनिधित्व कर रहा हो और उसके परिवारवालों के साथ ऐसा व्यवहार होता है, तो वह कितने दबाव में खेलता होगा। इसके बाद भी ब्रॉन्ज के मुकाबले में वंदना कटारिया ने ब्रिटेन के खिलाफ एक गोल किया।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
बंदना को बधाई??