Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

November 11, 2024

सुंदर लाल बहुगुणा प्रकृति एवं पर्यावरण संरक्षण पुरस्कार को राज्यपाल ने दी स्वीकृति, जानिए पुरस्कार की विशेषता

उत्तराखंड के जाने माने पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा की स्मृति में उत्तराखंड में सुंदर लाल बहुगुणा प्रकृति एवं पर्यावरण संरक्षण पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। राज्यपाल ने इसके लिए स्वीकृति प्रदान कर दी है।

उत्तराखंड के जाने माने पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा की स्मृति में उत्तराखंड में सुंदर लाल बहुगुणा प्रकृति एवं पर्यावरण संरक्षण पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। राज्यपाल ने इसके लिए स्वीकृति प्रदान कर दी है। इसके अंतर्गत प्रकृति एवं पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में किये गये महत्वपूर्ण योगदान, उसके प्रभाव, पर्यावरण की सुरक्षा एवं उसके समग्र सुधार के सम्बन्ध में किये गये उत्कृष्ट, सराहनीय कार्यों के लिए वर्ष 2023 से प्रति वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस 05 जून के अवसर पर विभिन्न श्रेणियों में पुरस्कार प्रदान किये जायेंगे। इस संबंध में अपर मुख्य सचिव उत्तराखंड आनंद वर्द्धन ने शासनादेश जारी कर दिए।
पुरस्कार की श्रेणियाँ
सुंदर लाल बहुगुणा प्रकृति एवं पर्यावरण संरक्षण पुरस्कार प्रति वर्ष 02 श्रेणियों क्रमशः सरकारी एवं गैर सरकारी में दिया जायेगा। प्रत्येक श्रेणी में 03 पुरस्कार (प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय) दिये जायेंगे। प्रत्येक श्रेणी में प्रथम स्थान के लिए 3.00 लाख, द्वितीय स्थान हेतु 12.00 लाख एवं तृतीय स्थान हेतु 1.00 लाख की नगद धनराशि के साथ ब्रहमकमल ट्राफी भी प्रदान की जायेगी।
पात्रता
सरकारी श्रेणी के लिए उत्तराखण्ड राज्य के विभिन्न सरकारी विभाग/कार्यालय/ निगम/बोर्ड / अभिकरण आदि एवं गैर सरकारी क्षेत्र हेतु कोई भी व्यक्ति / निजी कम्पनी/ संस्थान / सानुदायिक संगठन / स्वयं सहायता समूह/एन जी ओ. आदि. जिसके द्वारा उत्तराखण्ड राज्य में प्रकृति एवं पर्यावरण की सुरक्षा की दृष्टि से उत्कृष्ट कार्य किये गये हों
एवं परिणाम परिलक्षित हुए हों, पुरस्कार हेतु पात्र होगे। “प्रकृति एवं पर्यावरण” शब्द की व्याख्या यथा संभव व्यापक परिप्रेक्ष्य में की जाएगी।
आवेदन की प्रक्रिया
उक्त पुरस्कार के आमंत्रण हेतु प्रत्येक वर्ष विस्तृत प्रचार एवं प्रसार किया जाएगा। आवेदन प्राप्त करने की कुल अवधि विज्ञापन के प्रकाशन की तारीख से 45 दिन की होगी। पर्याप्त प्रचार के लिए प्रमुख क्षेत्रीय समाचार पत्रों में विज्ञापन प्रकाशित किया जायेगा। इस विज्ञापन को राज्य पर्यावरण संरक्षण एवं जलवायु परिवर्तन निदेशालय, उत्तराखण्ड की वैबसाईट पर भी प्रदर्शित किया जाएगा। उत्तराखण्ड सरकार के विभिन्न विभागों/कार्यालयों/
निगमों/बोझै /अभिकरणों आदि तथा कोई भी नागरिक/निजी कम्पनी/संस्थानों/ सामुदायिक संगठनों / स्वयं सहायता समूहों/एन.जी.ओ. आदि जिनके द्वारा पर्यावरण के क्षेत्र में सराहनीय/ उत्कृष्ट कार्य किये गये हों, “सुंदर लाल बहुगुणा प्रकृति एवं पर्यावरण संरक्षण पुरस्कार हेतु आवेदन के पात्र होंगे। स्वतः भिजवाए गए अथवा किसी अन्य के द्वारा आवेदित आवेदनों पर भी विचार किया जाएगा। आवेदन कर्ता द्वारा आवेदन के साथ निम्नलिखित
सूचनाएं भेजी जाएँगी-
1.आवेदन कर्ता व्यक्ति/समूह (सरकारी अथवा गैर सरकारी) का नाम, पता तथा अन्य विवरण।
2.कार्य का क्षेत्र
3. आवेदन कर्ता व्यक्ति/ समूह द्वारा किया गया उल्लेखनीय योगदान,
4. आवेदन कर्ता व्यक्ति/ समूह द्वारा किए गए कार्यों से उत्पन्न प्रभाव अथवा संभावित प्रभाव।
5.आवेदन कर्ता व्यक्ति/समूह को पूर्व में प्रकृति एवं पर्यावरण के क्षेत्र में प्राप्त पुरस्कार, प्रशस्ति-पत्र, अनुशंसा, प्रिन्ट-मीडिया / सोशल-मीडिया में प्राप्त मान्यता संबंधी प्रमाण-पत्र आदि।
6.आवेदन कर्ता व्यक्ति/समूह द्वारा किये गये उत्कृष्ट / सराहनीय कार्य संबंधी फोटो एवं वीडियो आदि।
विज्ञापन प्रतिवर्ष जनवरी के प्रथम सप्ताह में जारी किया जाएगा। आवेदन प्राप्त किए जाने हेतु 45 दिन का समय दिया जायेगा। आवेदनकर्ता द्वारा स्वहस्ताक्षरित आवेदन, ऑफ लाईन अथवा ऑन लाईन माध्यम से निदेशक, राज्य पर्यावरण संरक्षण एवं जलवायु परिवर्तन निदेशालय को भेजा जायेगा।
आवेदनों का परीक्षण एवं सत्यापन
प्राप्त आवदनों के परीक्षण एवं सत्यापन हेतु राज्य, पर्यावरण संरक्षण एवं जलवायु परिवर्तन निदेशालय, उत्तराखण्ड नोडल विभाग के रूप में कार्य करेगा। राज्य, पर्यावरण संरक्षण एवं जलवायु परिवर्तन निदेशालय, उत्तराखण्ड द्वारा प्राप्त आवेदनों का पुरस्कार हेतु निर्धारित पात्रता के आधार पर परीक्षण एवं सत्यापन करते हुए. सरकारी एवं गैर सरकारी श्रेणियों में वर्गीकरण का कार्य 15 मार्च तक सम्पन्न किया जायेगा।
सुंदर लाल बहुगुणा प्रकृति एवं पर्यावरण संरक्षण पुरस्कार चयन समिति
राज्य, पर्यावरण संरक्षण एवं जलवायु परिवर्तन निदेशालय द्वारा प्राप्त आवेदनों के परीक्षण एवं सत्यापनोपरान्त वर्गीकृत आवेदनों की सूची, कार्यों तथा उपलब्धियों का विवरण चयन समिति के समक्ष रखा जायेगा। चयन समिति निम्नानुसार होगी।
पूरा विवरण देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें-

Sunder Lal Bahuguna adhisuchana
21 मई को हुआ था निधन
गौरतलब है कि 21 मई 2021 को 94 वर्ष की उम्र में कोरोना के चलते सुंदरलाल बहुगुणा का एम्स ऋषिकेश में निधन हो गया था। वे काफी समय से बीमार थे।
चिपको आंदोलन के हैं प्रणेता
चिपको आंदोलन के प्रणेता सुंदरलाल बहुगुणा का जन्म नौ जनवरी सन 1927 को देवभूमि उत्तराखंड के मरोडा नामक स्थान पर हुआ। प्राथमिक शिक्षा के बाद वे लाहौर चले गए और वहीं से बीए किया। सन 1949 में मीराबेन व ठक्कर बाप्पा के सम्पर्क में आने के बाद ये दलित वर्ग के विद्यार्थियों के उत्थान के लिए प्रयासरत हो गए। उनके लिए टिहरी में ठक्कर बाप्पा होस्टल की स्थापना भी की। दलितों को मंदिर प्रवेश का अधिकार दिलाने के लिए उन्होंने आन्दोलन छेड़ दिया।
अपनी पत्नी श्रीमती विमला नौटियाल के सहयोग से इन्होंने सिलयारा में ही ‘पर्वतीय नवजीवन मण्डल’ की स्थापना भी की। सन 1971 में शराब की दुकानों को खोलने से रोकने के लिए सुंदरलाल बहुगुणा ने सोलह दिन तक अनशन किया। चिपको आन्दोलन के कारण वे विश्वभर में वृक्षमित्र के नाम से प्रसिद्ध हो गए। उत्तराखंड में बड़े बांधों के विरोध में उन्होंने काफी समय तक आंदोलन भी किया। सुन्दरलाल बहुगुणा के अनुसार पेड़ों को काटने की अपेक्षा उन्हें लगाना अति महत्वपूर्ण है। बहुगुणा के कार्यों से प्रभावित होकर अमेरिका की फ्रेंड ऑफ नेचर नामक संस्था ने 1980 में उन्हें पुरस्कृत भी किया। इसके अलावा उन्हें कई सारे पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। पर्यावरण को स्थाई सम्पति माननेवाला यह महापुरुष आज ‘पर्यावरण गाँधी’ बन गया है।

Website | + posts

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

2 thoughts on “सुंदर लाल बहुगुणा प्रकृति एवं पर्यावरण संरक्षण पुरस्कार को राज्यपाल ने दी स्वीकृति, जानिए पुरस्कार की विशेषता

  1. अच्छा आलेख ! पर्यावरणविद श्रद्धेय सुन्दरलाल बहुगुणा जी की पुण्य स्मृति में “प्रकृति एवं पर्यावरण संरक्षण पुरस्कार” की घोषणा प्रदेश सरकार द्वारा बहुत ही सराहनीय प्रयास है ! आदरणीय बहुगुणा जी के द्वारा पर्यावरण के क्षेत्र मे किये गये अमुल्य योगदान को समस्त भारतवर्ष में एक अलग ही पहचान मिली है और सरकार द्वारा लिया गया यह निर्णय बेहद सराहनीय है, प्रकृति एवं पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में किये गये महत्वपूर्ण योगदान, पर्यावरण की सुरक्षा आदि को लेकर भविष्य में जन मानस मे इस सम्मान के तहत आदरणीय बहुगुणा जी छवि हमेशा स्मृति पटल पर बनी रहेगी !
    श्रीमन् आलेख मे द्वितीय श्रेणीके लिए लिखी गई पुरस्कार राशि (12.00 लाख) शायद गलत अंकित की गई है ! कृपया सुधार करें !
    ??

  2. सराहनीय। प्रख्यात पर्यावरणविद स्व0 सुंदर लाल बहुगुणा के नाम पर पुरस्कार की घोषणा किया जाना अच्छी बात है। बस जरूरत इस बात की है कि पुरस्कारों की बंदरबांट न होवे। सम्यक संस्था या व्यक्ति को पुरस्कारों को दिया जाना चाहिए। इसी में पुरस्कारों का महत्व है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page