एसजीएचएस गोल्डन कार्ड योजना के क्रियान्वयन में सरकार की अनदेखी, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने जताई नाराजगी

उत्तराखंड में राज्य कार्मिकों के लिए लागू अंशदान आधारित एसजीएचएस गोल्डन कार्ड योजना के क्रियान्वयन में सरकार की ओर से हो रही घोर अनदेखी पर राज्य कर्मचारियों ने गहरी नाराजगी जताई। इस संबंध में राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उत्तराखंड की ओर से प्रेस विज्ञप्ति जारी कर मुख्यमंत्री एवं उत्तराखंड के मुख्य सचिव से तत्काल दखल दिए जाने की मांग की है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
परिषद के प्रदेश अध्यक्ष अरुण पाण्डे ने कहा कि यह व्यवस्था पूर्व से ही कुप्रबन्धन का शिकार रही। इससे राज्य कार्मिकों का इसका उचित लाभ प्राप्त नहीं हो पाया। राज्य कार्मिकों एवं पेंशनरों को न्यायालय की शरण में जाने को बाध्य होना पड़ा। वहीं, वर्तमान में यह व्यवस्था सरकार की अनदेखी का शिकार हो रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अरुण पाण्डे ने कहा कि पूर्व में अपर मुख्य सचिव कार्मिक उत्तराखंड शासन की अध्यक्षता में हुई बैठक में परिषद की ओर से यह मांग रखी थी कि उक्त योजना अंशदान आधारित है और इसमें कार्मिक चिकित्सा प्रतिपूर्ति के भी हकदार हैं। सरकार को कार्मिकों के अंशदान के अतिरिक्त चिकित्सा प्रतिपूर्ति पर आने वाले अतिरिक्त व्यय को वहन करना चाहिए। इस पर तत्कालीन अपर मुख्य सचिव व वर्तमान में मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने सैद्धान्तिक सहमति भी व्यक्त की थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि इसके बावजूद परिषद के संज्ञान में यह आया है कि उत्तराखंड सरकार की ओर से वर्ष 2025-26 के बजट में इस संबंध में कोई धनराशि नहीं रखी गई है, जो कि घोर आपत्तिजनक है। इसके कारण कार्मिकों के उपचार में हुए व्यय के देयको का भुगतान न होने के कारण देश व प्रदेश के बड़े अस्पतालों जैसे मेदांता अस्पताल गुरुग्राम, महंत इंदिरेश अस्पताल देहरादून, हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट सहित कई अन्य अस्पतालों ने गोल्डन कार्ड योजना से हाथ खींचा जा रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
परिषद के अध्यक्ष ने कहा कि परिषद की ओर से पूर्व में चेताने के उपरांत भी सरकार की ओर से स्थिति को बिस्फोटक होने दिया जाना आश्चर्यजनक एवं दुर्भाग्यपूर्ण है। परिषद के प्रदेश महामंत्री शक्ति प्रसाद भट्ट ने कहा कि सरकार में बैठ जिम्मेदार अधिकारी कार्मिकों के अंशदान मात्र से ही कार्मिकों का उपचार करा रहे हैं। पूर्व में बगैर अंशदान दिए ही राज्य कार्मिकों को चिकित्सा प्रतिपूर्ति का भुगतान राज्य सरकार के बजट से किया जाता था। इससे यह प्रतीत होता है कि सरकार अपनी ओर से कोई अंशदान उक्त योजना के लिए नहीं देना चाहती है, जो कि ठीक नही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
परिषद महामंत्री ने कहा कि कि कई अस्पतालों की ओर से उपचार में खर्च को बढ़ा चढ़ाकर दिखाया जा रहा है। इससे भी व्यय भार अप्रत्याशित रुप से बढ़ गया है। अपर मुख्य सचिव कार्मिक की अध्यक्षता में पूर्व में हुई बैठक में यह भी तय हुआ था कि इसकी भी समीक्षा की जाए कि अचानक से यह वृद्धि कैसे हुई, किन्तु इस पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
परिषद ने कहा कि अपुष्ट सूत्रों से यह जानकारी भी मिली है कि राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के प्रबन्धन को समय-समय पर अवगत कराया गया कि कतिपय अस्पतालो की ओवर बिलिग की शिकायत है। ऐसे अस्पतालों के फर्जी उपचार के देयकों के भुगतान पर रोक लगाई जाए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
परिषद के प्रदेश अध्यक्ष एवं प्रदेश महामंत्री ने प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव से इसमें तत्काल दखल देने की मांग की है। कहा कि यह प्रतीत हो रहा है कि प्रदेश के कार्मिकों के लिए लाभकारी उक्त गोल्डन कार्ड योजना को बंद करने की साजिश में सरकार एवं शासन में बैठे हुए कई अधिकारी लगे हुए हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
परिषद ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि राज्य सरकार अपने स्तर से पूर्व की भांति इस योजना में चिकित्सा प्रतिपूर्ति के लिए बजट स्वीकृत करे। साथ ही राज्य कार्मिकों के चिकित्सा प्रतिपूर्ति के लंबित देयकों का तत्काल भुगतान सुनिश्चित कराए। उन्होंने मांग की है कि सरकार इस गोल्डन कार्ड की योजना को और अधिक सुदृढ़ बनाने का प्रयास करे।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।

Bhanu Bangwal
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।