सरकार का चेहरा आया सामने, उपनल मामले में विभागों को सर्वोच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने के आदेशः धस्माना
उत्तराखंड कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने एक बार फिर से उत्तराखंड सरकार की नीयत पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि उपनल मामले में विभागों को सर्वोच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने के आदेश देने से सरकार का असली चेहरा सामने आ गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि सैनिक कल्याण सचिव दीपेंद्र चौधरी की ओर से राज्य के जिन विभागों में उपनल कर्मचारी सेवाएं दे रहे हैं, ऐसे विभागों को सर्वोच्च न्यायालय में 15 अक्टूबर 2024 को आए फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करने के आदेश दिए हैं। ऐसे में धामी सरकार की असली नीयत और असली चेहरा सामने आ गया है। साथ ही यह सिद्ध हो गया है कि प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी सरकार राज्य के युवाओं व बेरोजगारों तथा उपनल कर्मचारियों की घोर विरोधी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत करते हुए सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि वर्ष 2019 के राज्य में कार्यरत उपनल कर्मचारियों को नियमित करने और समान कार्य के लिए समान वेतन देने के उच्च न्यायालय नैनीताल के आदेश के खिलाफ राज्य की भाजपा सरकार सर्वोच्च न्यायालय में एसएलपी में गई थी। इसे छह साल बाद 15 अक्टूबर 2014 को सर्वोच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कांग्रेस नेता धस्माना ने कहा कि इस आदेश के बाद वे 16 अक्टूबर को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से इस आग्रह के साथ मिले थे कि प्रदेश सरकार उच्च न्यायालय नैनीताल के आदेश का सम्मान करते हुए राज्य के उपनल कर्मचारियों को नियमित करने के लिए एक दीर्घ कालीन नीति बनाए। वरिष्ठता क्रम में उपनल कर्मचारियों को विभागों में नियमित करने की घोषणा करे। धस्माना ने कहा कि मुख्यमंत्री ने उनको यह आश्वाशन दिया था कि वे इस पर कानूनी राय ले कर कर्मचारियों के हित में निर्णय करेंगे। साथ ही उन्होंने आश्वस्त किया था कि किसी भी उपनल कर्मचारी को सेवा से हटाया नहीं जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि एक महीना बीत जाने पर भी सरकार ने बजाय उच्च न्यायालय के आदेशों का सम्मान करने के विभिन्न विभागों में उपनल कर्मचारियों को निकालने के लिए नई नियुक्तियों के लिए विज्ञप्ति की तैयारियां शुरू कर दीं। अब तो सैनिक कल्याण सचिव दीपेंद्र चौधरी द्वारा विभिन्न विभागों के अधिकारियों को माननीय सर्वोच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने के आदेश जारी करने से यह बात स्पष्ट हो गई है कि प्रदेश की भाजपा सरकार उपनल कर्मचारियों को केवल वार्ता के नाम पर गुमराह कर रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि वास्तविकता यह है कि सरकार उपनल कर्मचारियों को नियमित करने में कोई रुचि नहीं रखती। धस्माना ने कहा कि पुलिस भर्ती में युवाओं को उम्र की छूट न देना, पिथौरागढ़ में प्रादेशिक सेना में भर्ती में युवाओं के ठहरने, पानी भोजन आदि की व्यवस्था ना करना और उन पर उल्टे लाठी चार्ज करना यह साबित करता है कि यह सरकार व भाजपा युवा बेरोजगार व उपनल कर्मचारी विरोधी है। उन्होंने कहा कि वे इस मामले को तब तक उठाते व इसके लिए संघर्ष करते रहेंगे, जब उपनल कर्मचारियों को न्याय नहीं मिल जाता।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।