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June 23, 2025

प्राइमरी शिक्षक बनाने के लिए डीएलएड कोर्स पर भी ध्यान दे सरकार, नहीं तो युवा करेगा पलायनः डॉ. सुनील अग्रवाल

एसोसिएशन ऑफ सेल्फ फाइनेंसड इंस्टीट्यूटस उत्तराखंड के अध्यक्ष डॉ सुनील अग्रवाल ने प्राइमरी शिक्षक बनाने के लिए सरकार से विशेष ध्यान देने की मांग की। कहा कि इसके लिए डीएलएड कोर्स की जरूरत है। वहीं, प्रदेश के कई कॉलेजों में इस कोर्स को चालू नहीं किया गया है। निजी कॉलेजों की फाइलें भी शासन में धूल फांक रही हैं। ऐसे में उत्तराखंड का छात्र पढ़ाई के लिए दूसरे राज्यों में पलायन करने को मजबूर है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

आज देहरादून में न्यू कैंट रोड स्थित अपने कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत में डॉ. सुनील अग्रवाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश अनिरुद्ध बोस और सुधांशु धूलिया की खंडपीठ ने 11 अगस्त 2023 को निर्णय दिया कि प्राइमरी शिक्षक बनने के लिए डीएलएड उपाधि प्राप्त उम्मीदवार ही मान्य होंगे, बीएड उपाधि धारक नहीं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि इस संबंध में 28 जून 2018 को राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद द्वारा नोटिफिकेशन जारी किया गया था कि प्राइमरी क्लासेस के लिए बीएड उपाधि धारक उम्मीदवार भी पात्र होंगे। इसके खिलाफ 25 नंवबर 2020 में राजस्थान हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल हुई। इसमें हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद के नोटिफिकेशन के खिलाफ निर्णय दिया और व्यवस्था दी कि प्राइमरी शिक्षक बनने के लिए सिर्फ डीएलएड उपाधि धारक ही पात्र होंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सुनील अग्रवाल ने बताया कि हाईकोर्ट के निर्णय के खिलाफ केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की। इस पर माननीय सुप्रीम कोर्ट ने भी प्राइमरी शिक्षक के लिए डीएलएड उपाधि धारक को ही पात्र माना। डॉक्टर अग्रवाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने नीतिगत फैसला दिया है कि बीएड उपाधिधारक सेकेंडरी और हायर सेकेंडरी क्लास के लिए टीचर बनेंगे। इस संबंध में अगर इस फैसले को उत्तराखंड के नजरिए से देखा जाए तो उत्तराखंड में 13 जिलों में कुल 13 डाइट्स में डीएलएड कोर्स चल रहा है। इसमें कुल 650 छात्र प्रतिवर्ष डीएलएड कोर्स करते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि पांच वर्ष पूर्व जब डीएलएड कोर्स के लिए एनसीटीई ने फाइलें मांगी थी तो तत्कालीन अधिकारियों की हठधर्मिता की वजह से प्रदेश में डीएलएड कोर्स प्राइवेट कॉलेजों में नहीं शुरू हो पाया। उत्तराखंड के अधिकारियों के विरोध के बावजूद राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद ने रुड़की के दो कॉलेजों को डीएलएड कोर्स की मान्यता दे दी थी, लेकिन राज्य सरकार के तत्कालीन अधिकारियों के मनमाने रवैया के कारण उन कॉलेजों में सभी आधारभूत सुविधाएं पूरी करने के बावजूद इसे आज तक सुचारु नहीं होने दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

अब स्थिति यह है राज्य सरकार के तत्कालीन अधिकारियों के मनमाने रवैए के कारण प्रदेश के छात्रों को डीएलएड करने के लिए अन्य राज्यों में पलायन को विवश होना पड़ेगा। क्योंकि निकटवर्ती राज्यों उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा मे प्राइवेट कॉलेजों में डीएलएड पिछले पांच वर्ष से चल रहा है। उत्तर प्रदेश में तो बीएड कॉलेज से ज्यादा डीएलएड कॉलेज हैं। उन्होंने कहा कि अब नई एजुकेशन पॉलिसी में चार वर्षीय इंटीग्रेटेड कोर्स को ही मान्यता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि तीन वर्ष पूर्व जब इंटीग्रेटेड कोर्स के लिए एनसीटी ने फाइलें मांगी थी, तब भी राज्य सरकार के अधिकारियों के कारण किसी कॉलेज को एनओसी नहीं दी गई थी। ऐसी स्थिति में राज्य सरकार के तत्कालीन अधिकारियों के रवैया के कारण सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से सबसे ज्यादा प्रभावित उत्तराखंड राज्य ही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद के नोटिफिकेशन के बाद शिक्षक बनने के लिए अधिकांश छात्रों ने बीएड कर लिया था। उनके पास राज्य में डीएलएड करने का विकल्प सीमित था। अब वर्तमान परिस्थितियों में छात्रों के पास प्राइमरी शिक्षक बनने के लिए अन्य राज्यों में पलायन ही एकमात्र रास्ता है। जो छात्र अन्य राज्यों से डीएलएड कोर्स करेंगे, वह इस तरह से बिना पढ़ाई किए कोर्स करेंगे। क्योंकि वे सिर्फ प्रवेश लेने जाएंगे और एग्जाम देने जाएंगे। ऐसी स्थिति में वे भविष्य में कैसे शिक्षक होंगे, जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी राज्य सरकार के तत्कालीन अधिकारियों पर है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

डॉ अग्रवाल ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए अगर राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद में डीएलएड कोर्स अन्य कॉलेजों में शुरू करवाने के लिए राज्य सरकार की ओर से विशेष प्रयास किए जाएं, तभी कुछ राहत संभव है। अन्यथा की स्थिति में नई शिक्षा नीति के तहत तो राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद द्वारा अब दो वर्षीय कोर्स के लिए नई फाइलें नहीं मांगी जा रही है।
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Bhanu Prakash

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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