उत्तराखंड में सरकारी कर्मचारी आरएसएस की गतिविधियों में हो सकेंगे शामिल, सरकार ने हटाया प्रतिबंध, कांग्रेस बोली- होगा बंटाधार
उत्तराखंड की पुष्कर धामी सरकार ने आरएसएस की गतिविधियों पर भाग लेने से सरकारी कर्मचारियों पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया है। ऐसे में उत्तराखंड में भी अब राजकीय कार्मिक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की शाखा व अन्य सांस्कृतिक और सामाजिक गतिविधियों में सम्मिलित हो सकेंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गुरुवार को उत्तराखंड सरकार धामी सरकार की ओर से कहा गया है कि आरएसएस की शाखाओं या किसी अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम में राज्य सरकार के कर्मचारियों की भागीदारी को उत्तराखंड राज्य कर्मचारी आचरण नियमावली-2002 का उल्लंघन नहीं माना जाएगा। आदेश में कहा गया है कि कोई भी राजकीय कार्मिक का आरएसएस की शाखा, चाहे वह प्रात: कालीन या सायंकालीन सभा हो या अन्य कोई सांस्कृतिक या सामाजिक गतिविधियां हो, उसमें वे भाग ले पाएंगे। साथ ही यह ध्यान देना होगा कि इससे उसके सरकारी कर्तव्य और दायित्वों में कोई बाधा पैदा नहीं हो। सरकारी कर्मचारी कार्यालय के पूर्व या कार्यालय की अवधि के बाद इनमें शामिल हो सकते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
नौ जुलाई को केंद्र सरकार ने जारी किया था आदेश
केंद्र सरकार के कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने नौ जुलाई को आरएसएस की गतिविधियों में सरकारी अधिकारियों की भागीदारी पर आदेश जारी किया था। इस आदेश में कहा गया था कि 1966, 1970 और 1980 में इस मामले पर जारी निर्देशों की समीक्षा की गई है। आदेश में कहा गया था कि यह निर्णय लिया गया है कि विवादित आधिकारिक ज्ञापनों से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का उल्लेख हटा दिया गया है। इस आदेश के बाद केंद्र सरकार के कर्मचारियों के आरएसएस के कार्यक्रम में शामिल होने की छूट मिल गयी थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अब धामी सरकार ने उठाया कदम
केंद्र सरकार की अधिसूचना के बाद अब धामी सरकार ने भी राज्य सरकारी कर्मचारियों को आरएसएस के कार्यक्रम में शामिल होने की अनुमति दे दी है। हालांकि केंद्र सरकार के फैसले का कांग्रेस सहित विपक्षी पार्टियों ने विरोध किया था। उनका आरोप था कि वैचारिक आधार पर सरकारी कार्यालयों और कर्मचारियों का राजनीतिकरण किया जा रहा है। वहीं, भाजपा और आरएसएस ने सरकार के फैसले का स्वागत किया था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
प्रदेश में पहले से ही पस्त कार्यसंस्कृति का होगा बंटाधारः सूर्यकांत धस्माना
उत्तराखंड कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने उत्तराखंड सरकार के आदेश को लेकर कहा कि राजकीय कार्मिकों को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की शाखाओं में जाने की अनुमति प्रदान करना प्रदेश के लिए हानिकारक है। इससे प्रदेश में पहले ही पस्त पड़ी हुई कार्यसंस्कृति का बंटाधार तय है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
धस्माना ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ देश के एक राजनैतिक दल का मातृ संगठन है और उसकी एक राजनैतिक विचारधारा व राजनैतिक दल के लिए प्रतिबद्धता है। इसलिए प्रदेश के राजकीय कार्मिकों को उस संगठन की शाखाओं में जाने की अनुमति देना निश्चित रूप से राजकीय कार्मिकों के आचरण नियमावली का उलंघन है। उनको बाकायदा एक शासनादेश से शाखाओं में जाने की अनुमति देना असंवैधानिक है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
धस्माना ने कहा कि उत्तराखंड में पुलिस समेत राज्य के विभिन्न विभागों में कार्यरत कर्मचारी राजकीय कार्मिकों की श्रेणी में आते हैं। अगर इनको एक राजनैतिक दल के मातृ संगठन की गतिविधियों में जाने की अनुमति दी जाती है तो वे अप्रत्यक्ष रूप से उस राजनैतिक दल से संबंधित हो जायेंगे। फिर वे किस प्रकार एक निष्पक्ष कार्मिक की तरह राज्य की सेवाओं में अपना योगदान दे पाएंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कांग्रेस नेता धस्माना ने कहा कि जो कार्मिक आरएसएस की शाखाओं जाएगा उसके ऊपर कोई भी अधिकारी कैसे नियंत्रण रख पाएगा। पूरे देश को पता है कि वर्तमान केंद्र व राज्य सरकार में आरएसएस का क्या दखल है। उन्होंने कहा कि जब प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री आरएसएस के प्रभाव से मुक्त नहीं हैं तो किसी अधिकारी की क्या हैसियत होगी कि वह शाखा में जाने वाले अपने कर्मचारी पर नियंत्रण में रख ले। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का यह निर्णय केवल उत्तराखंड में सरकार व भाजपा में चल रही खींचतान, राज्य में ध्वस्त पड़ी कानून व्यवस्था, बेरोजगारी, महिलाओं के खिलाफ बढ़ रहे अपराधों, आपदा से हुई तबाही और ठप्प पड़े विकास से ध्यान हटाने के लिए एक शिगूफा है। जो राज्य के लिए खतरनाक है।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।