देहरादून के शायर एवं पत्रकार दर्द गढ़वाली की गजल-दिल का पुर्जा पुर्जा पढ़ना
दिल का पुर्जा पुर्जा पढ़ना।
सहरा को अब दरिया पढ़ना।।
दुनिया का जब नक्शा पढ़ना।
अपना-अपना किस्सा पढ़ना।।
खा सकता है धोका इक दिन।
सोच समझकर चहरा पढ़ना।।
मत लिखना अब हिंदू मुस्लिम।
बंदे को सब बंदा पढ़ना।।
दर्द मेरा गायब हो जिससे।
ऐसा कोई नुस्खा पढ़ना।।
कितना मुश्किल होता है जी।
चांद सरीखा चहरा पढ़ना।।
मंजिल खुद चलकर आएगी।
तुम रस्ते को रस्ता पढ़ना।।
हमने तो बस प्यार लिखा है।
तुम चाहो अब जैसा पढ़ना।।
खुद को समझें सब तुर्रम खां।
कैसा लिखना कैसा पढ़ना।।
लड़की को मत लड़की समझो।
उसको ‘दर्द’ फरीदा पढ़ना।।
दर्द गढ़वाली का परिचय
नामः लक्ष्मी प्रसाद बडोनी
उपनामः दर्द गढ़वाली
जन्म तिथिः 23 अक्टूबर 1965
जन्म स्थानः उत्तरकाशी
मूल निवासीः भटवाड़ा, टिहरी गढ़वाल
वर्तमान पताः बडोनी भवन
देवपुरम कालोनी, लोअर तुनवाला
देहरादून, उत्तराखंड।
मोबाइलः 09455485094
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। जो पत्रकारिता के साथ ही साहित्य के क्षेत्र में लगातार सक्रिय हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
सुन्दर रचना?