शिक्षक एवं कवि रामचंद्र नौटियाल की गढ़वाली कविता- सब बजारु म
सब बजारु म
निनि सुणेन्दा
तान्दि का गीत गौं मा
नि सुणेन्दा बाजूबन्द
डाण्डि कांण्ठियूं म
नि सुणेन्दी बल्दू की
घण्डोलि गौटा म
नि सुणेन्दि ह्यून्द कि
रात्युं म कथा
नि कातेन्दि अब
ताकुलि ऊनि कि
फसल पात कि छ्वीं नि लगदि
चैनु चाळु गुठियारा खालि छ
नि ल्योन्दु डाकिया चिट्ठी गौं मा
भैजि चलि बजारु (कविता जारी, अगले पैरे में देखिए)
म भुला चलिगि बजारु म
बेटी ब्वारी
नौनी नौना सब बजारु म
गौं कि रौनक सब
बजारु म
पलायन पर सब चर्चा छ होणि
सब बजारु म
विधायक मन्त्री नेता सब
बडा बडा भाषण छन
देण बजारु म
मंगसीर की बग्वाळ
इगास बुढ बग्वाल
त्यार बार
पांडौं कु नाच
सब कु बजारीकरण
ह्वेगिन
गौं बिचारा इकुलांस रैगिनि
आवा दिदौं आवा भुलौं
गौं म बौडि आवा
गौं म बि कुछ रौनक ल्यावा…
कवि का परिचय
शिक्षक रामचन्द्र नौटियाल गांव जिब्या पट्टी दशगी जिला उत्तरकाशी उत्तराखंड के निवासी हैं। रामचन्द्र नौटियाल जब हाईस्कूल में ही पढ़ते थे, तब से ही लेखन व सृजन कार्य शुरू कर दिया था। वह कई साहित्यिक मंचों पर अपनी प्रस्तुतियां देते रहते हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।