शिक्षक माधव सिंह नेगी की गढ़वाली कविता-मौ बीतीगे फागुण लैगे

मौ बीतीगे फागुण लैगे,
बीटा पाख्यूं मा फ्यूँली खिलीगे।
ऊँची डाण्डियों मा बुराँश खिलीगे,
पञ्चमी कू ऐगि त्योहार, दगड़्यों फागुण लैगे।।
गेहूँ की सारियों मा घर्रया फूलीगे,
डाळी डालियों मा मोल्यार ऐगि।
छैगे बसन्त बहार,
दगड़ियों फागुण लैगै।।
घुघुति, मेलुड़ी बासण लैगी,
डांडियों, काण्ठियों कू ह्यूं गौलीगे।
आड़ू, क्वीर्याळ फूलण लैगी ,
जिकुडि़यों मा ऐगि उलार,
दगड़ियों फाल्गुन ऐगि।।
फागुण शिवरात्रि नजदीक ऐगि,
तेड़ु, पिनाळु, की मजा पड़ीगे।
लैंय्या, भंगुळे की बार ऐगि,
घनौळियौं कू ऐगि त्योहार,
दगड़ियों फागुण लैगै।
बाणि कमौणी की शुरुआत ह्नेगि,
आड़ा क्येड़ों कू निचन्त ह्नेगि।
पैरा- पगार चिड़्यैण लैग्यां,
पुगणियों मा लैगिगे धाण,
दगड़ियों फागुण लैगै।।
कवि का परिचय
नाम- माधव सिंह नेगी
प्रधानाध्यापक, राजकीय प्राथमिक विद्यालय जैली
ब्लॉक जखोली, रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।