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September 10, 2025

अब गढ़वाली और कुमाऊंनी भाषा को टाइप करना होगा आसान, गूगल की बोर्ड में मिला स्थान, जानिए इस्तेमाल का तरीका

उत्तराखंड में स्थानीय भाषाओं के संवर्धन के लिए कई संगठन प्रयासरत हैं। इनमें गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी भाषा प्रमुख हैं। इन्हें बचाने के लिए यहां के साहित्यकार लगातार प्रयासरत हैं। कई शब्द ऐसे हैं, जो अभी तक टाइपिंग में नहीं थे। ऐसे शब्दों को पैन से कागज पर तो लिखा जा सकता है, लेकिन टाइप करने में दिक्कत होती थी। इनको समझमते हुए और मांग को देखते हुए गूगल की बोर्ड में उत्तराखंड की गढ़वाली और कुमाऊंनी भाषा को स्थान मिल गया है। गोकीबोर्ड में इसके जरिए आसानी से आप इन भाषा में टाइप कर सकते हैं। ज्यादातर एंड्रॉयड फोन पर ‘गो कीबोर्ड’ इंस्टॉल होता है। इसकी बदौलत ही आप व्हाट्सऐप, फेसबुक मैसेंजर और अन्य जगहों पर टाइप करते हैं। जिस तरह आप अभी तक हिंदी में टाइप करते थे, उसी तरह अब आप गढ़वाली और कुमाऊंनी भी टाइप कर सकते हैं।
अभी तक दोनों लोक भाषाओं के लिए हिंदी के शब्दों का ही प्रयोग होता आया है। गूगल की पहल से उत्तराखंड की बड़ी आबादी की लोक भाषा को प्रसारित करने में मदद मिलेगी। नई पीढ़ी में मातृ भाषा के प्रति लगाव भी बढ़ेगा। कुमाऊंनी व गढ़वाली उत्तराखंड और जौनसारी उत्तराखंड में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है। भले दोनों को लिपिबद्ध नहीं किया जा सका है, लेकिन कुमाऊंनी व गढ़वाली में कई पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन होता रहा है।
कंप्यूटर में कुमाऊंनी व गढ़वाली को लिखना आसान है, लेकिन मोबाइल में इसे टाइप करना बहुत मुश्किल था। गूगल ने इसे सहज बना दिया है। गूगल ने अपने इंडिक कीबोर्ड को अपडेट कर दिया है। इसकी वजह से मोबाइल में इंग्लिश रोमन वर्ड टाइप करते हुए कुमाऊंनी व गढ़वाली शब्दों को आसानी से लिखा जा सकता है। जानकारों का कहना है कि इससे युवाओं व साहित्य प्रेमियों में मोबाइल के माध्यम से अपनी मातृ भाषा में लेखन करने में सहजता होगी।
ऐसे करें इस्तेमाल
गढ़वाली और कुमाऊंनी कीबोर्ड चुनने के लिए आपको गोकीबोर्ड ऐप के सेटिंग्स में जाना होगा। यहां आपको ‘Choose Keyboard’ का विकल्प मिलता है। इसे सेलेक्ट करें और आपके सामने भाषाओं की एक पूरी लिस्ट आएगी। इस लिस्ट में ही आपको गढ़वाली और कुमाऊंनी भाषा म‍िलेगी।
फिर करें ऐसा
भाषा को सेलेक्ट करने के बाद आपको ‘Add Keyboard’ करना है। जैसे ही आप इस पर क्ल‍िक करेंगे। आपके जीबोर्ड में गढ़वाली अथवा कुमाऊंनी कीबोर्ड भी जुड़ जाएगा। इसके बाद आप टाइप करते समय जैसे हिंदी और अंग्रेजी के बीच स्व‍िच करते हैं, वैसे ही आप इन पहाड़ी भाषा के लिए भी कर सकते हैं।

Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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