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November 22, 2024

सरकार की नाक के नीचे खेल, विधानसभा और सचिवालय में नौकरी के फर्जी इंटरव्यू लेकर धोखाधड़ी, गिरोह का एक सदस्य गिरफ्तार

उत्तराखंड के विभिन्न सरकारी विभागों मे नौकरी दिलाने के नाम पर धोखाधड़ी कर करोडों रुपये हडपने वाले गिरोह का पटेलनगर पुलिस ने खुलासा किया। इस गिरोह के मुख्य सदस्य को पुलिस ने गिरफ्तार किया।

उत्तराखंड के विभिन्न सरकारी विभागों मे नौकरी दिलाने के नाम पर धोखाधड़ी कर करोडों रुपये हडपने वाले गिरोह का पटेलनगर पुलिस ने खुलासा किया। इस गिरोह के मुख्य सदस्य को पुलिस ने गिरफ्तार किया। दो आरोपी फरार हैं। पुलिस के मुताबिक गिरोह के सदस्यों अलग-अलग व्यक्तियों से धोखाधड़ी की और मोटी रकम वसूली। ये खुद को सचिवालय मे बड़ा अधिकारी बताकर धोखाधड़ी करते थे। साथ ही विधानसभा और सचिवालय में ही इंटरव्यू लेते थे। बाकायदा वे ठगी का शिकार होने पाले को फर्जी नियुक्ति पत्र भी देते थे। यदि पुलिस की कहानी सही है तो सरकार की नाक के नीचे ये खेल चल रहा था। इसे गिरोह के सदस्यों का साहस की कहा जाएगा। या फिर इस खेल में सचिवालय और विधानसभा के अन्य लोगों की भी मिलीभगत हो सकती है। जांच में इस गौरखधंधे में अन्य नाम भी सामने आ सकते हैं।
दर्ज कराई थी रिपोर्ट
पुलिस के मुताबिक, 16 अक्टूबर 2021 को मनीष कुमार पुत्र श्री रामगोपाल निवासी गौशाला नदी रोड मुजफ्फरनगर उत्तर प्रदेश ने कोतवाली पटेलनगर में शिकायती पत्र दिया था। इसमें कमल किशोर पाण्डेय, मनोज नेगी, चेतन पाण्डेय, ललित बिष्ट पर धोखाधड़ी के आरोप लगाए गए। बताया कि उसकी और उसके सगे संबंधियों की उत्तराखंड के सरकारी विभाग मे नौकरी दिलाने का झांसा देकर इन लोगों ने कुल 62 लाख रुपये ठग लिए। बताया कि कमल किशोर पाण्डेय खुद को सचिवालय में प्रशासनिक अधिकारी, ललित बिष्ट खुद को सचिवालय मे सचिव के पद पर और मनोज ने नेगी खुद को अपर सचिव बताया। नौकरी के लिए धनराशि लेने के बाद उन्होंने फर्जी नियुक्ति भी दिया। इस मामले में पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी थी। जांच में आरोपियों के खातों में करोड़ों का लेनदेन पाया गया।
एक आरोपी गिरफ्तार
पुलिस के मुताबिक, दबिश देने के दौरान सभी आरोपी फरार हो गए। उनके मोबाइल भी स्विच आफ आ रहे थे। सूचना के आधार पर 30 अक्टूबर को गिरोह के सरगना व मुख्य आरोपी कमल किशोर पाण्डेय पुत्र स्व गिरीश चन्द्र पाण्डेय निवासी 56/14 सर्कुलर रोड जनपद देहरादून को त्यागी रोड संगम होटल के पास से गिरफ्तार किया गया।
सचिवालय और विधानसभा में और भी हो सकते हैं सहयोगी
पुलिस के मुताबिक, उसने अन्य साथियों के साथ सचिवालय मे खुद को बड़ा अधिकारी बताकर कई व्यक्तियों से उत्तराखंड के विभिन्न सरकारी विभागो में नौकरी दिलाने के नाम पर करोडों रुपये लेना स्वीकार किया। इसके अतिरिक्त अभियुक्त कमल किशोर पाण्डेय ने आवेदको को इण्टरव्यू के लिए सचिवालय व विधानसभा ले जाना एवं आवेदको को फर्जी नियुक्ति पत्र देना स्वीकार किया गया। ऐसे में सचिवालय और विधानसभा के अन्य लोगों की भी संलिप्तता होने की सम्भावना है।
बी टैक है किशोर पांडेय
पुलिस के मुताबिक कमल किशोर पाण्डेय से पूछताछ में बताया कि उसने बी-टैक की शिक्षा प्राप्त की है। 2015 से 2019 तक उसने मर्चेन्ट नेवी रिक्रूटमेन्ट का काम किया है। वह ललित बिष्ट व मनोज नेगी को काफी समय से जानता है। उसका भाई सूचना विभाग मे हेड क्लर्क के पद पर नियुक्त है। ललित बिष्ट की पत्नी पीडब्लूडी विभाग मे प्रशासनिक अधिकारी के पद पर नियुक्त है। मनोज नेगी उत्तराखण्ड जल विद्युत निगम पौडी मे सविंदा पर नियुक्त है। इस कारण इन सभी लोगों का सचिवालय मे आना जाना लगा रहता था। तीनों को सचिवालय व विधानसभा की अच्छी जानकारी थी। उसने ललित बिष्ट व मनोज नेगी के साथ मिलकर लोगों को सरकारी नौकरी क्लर्क के पद पर लगाने का झाँसा देकर पैसा कमाने की योजना बनाई।
ऐसे फंसाया जाल में
उसने बताया कि वर्ष 2018 में एक विवाह समारोह मे उसकी मनीष कुमार से मोती बाजार में मुलाकात हुई। उसने उनसे उनकी नौकरी लगवाने की बात कही। इस पर मनीष कुमार ने अपने भाई, साले व अन्य लोगो को नौकरी लगवाने के लिए कहा। इस पर उसने मनीष कुमार व अन्य लोगों से आईएसबीटी और विधान सभा के पास कई बार मुलाकात की। प्रत्येक अभ्यर्थी की विभिन्न सरकारी विभागों मे नौकरी लगाने के एवज मे 650000 (छः लाख पचास हजार रुपये) प्रत्येक से लेना तय हुआ। इसके लिए उसने ललित बिष्ट व मनोज नेगी की सहायता से विभिन्न विभागों के फर्जी फार्म मनीष कुमार को भेजे। प्रति अभ्यर्थियों की नौकरी लगाने के लिए तय की गई धनराशि के हिसाब से 10 अभ्यर्थियों से 6200000 रुपये प्राप्त लिए। इसमें से उसने कुछ अकाउन्ट मे व कुछ नकद प्राप्त किये।
खाली पड़े केविन में लिए इंटरव्यू
इसके बाद ललित बिष्ट व मनोज नेगी की सहायता से उसने कुछ अभ्यर्थियों के सचिवालय व विधानसभा के खाली पड़े केविन मे इण्टरव्यू कराए। इण्टरव्यू मनोज नेगी ने सचिव बनकर व ललित बिष्ट अपर सचिव बनकर लिए। इण्टरव्यू के बाद उन्होंने फर्जी नियुक्ति पत्र तैयार कर अभ्यर्थियों को दिये और उनका दून अस्पताल मे मेडिकल कराया। कुछ समय पश्चात उन्होंने पद निरस्त होने का बहाना बनाया। साथ ही पैसे वापस करने में जानबूझ कर टालमटोल करते रहे। तीनों ने अपने हिस्सो के रुपये काम के हिसाब से बाँटे। इसके अतिरिक्त तीनों ने मिलकर अन्य कई लोगो से भी इसी प्रकार नौकरी लगाने के एवज मे करोड़ों रुपये लिये गये हैं।

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