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April 30, 2025

पूर्व विधायक राजकुमार ने मुख्य सचिव को भेजा ज्ञापन, कहा- एलिवेटेड रोड से मलिन बस्तियों के लोग भयभीत

राजकुमार

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून स्थित राजपुर विधानसभा क्षेत्र से पूर्व विधायक राजकुमार ने कहा कि रिस्पना और बिन्दाल नदियों के किनारे बनने वाली एलिवेटेड रोड से वहां पर निवास कर रहे लोग भयभीत हैं। प्रभावित लोगों को पुनर्वासित किये जाने की मांग को लेकर उन्होंने मुख्य सचिव को ज्ञापन प्रेषित किया। साथ ही उचित कार्यवाही किये जाने की मांग की है। ताकि मलिन बस्तियों के लोगों का डर दूर हो सके। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

पूर्व विधायक राजकुमार ने ज्ञापन में कहा कि पूर्व में सरकार ने मलिन बस्तियों के मालिकाना हक के लिए नियमावली बनाई थी। इसको कैबिनेट व विधानसभा द्वारा पास कर मलिनबस्तियों के रख-रखाव के लिए चार सौ करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया था। उन्होंने कहा कि इसके लिए गठित समिति के सर्वेक्षण के अनुसार, उत्तराखंड में 582 मलिन बस्तियां है, जिनमें प्रदेश भर में लगभग 18 लाख से अधिक की आबादी बसी हुई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इस अवसर पर ज्ञापन में कहा गया कि देहरादून नगर क्षेत्र में सात लाख से अधिक की आबादी है। जहां दो लाख से अधिक कच्चे पक्के भवन निर्मित हैं। यह बस्तियां बहुत लम्बे समय 1977 से 1980 के बीच बसी हुई हैं। यदि इन्हें पूर्व में पट्टे दे दिए गये होते, तो आज यह फ्री होल्ड होने की स्थिति में हो जाते। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि दो अक्टूबर 2016 में तत्कालीन सरकार ने मलिन बस्तियों के लगभग एक सौ परिवारों को मालिकाना हक देकर इसकी शुरुआत कर भी दी थी। इस क्षेत्र में अधिकांश भूमि शासन की है, जो किन्हीं कारणों से खाली पड़ी थी। ऐसी जमीन पर कई लोग काबिज हो गए। इस खाली पड़ी भूमि का जनहित में उपयोग करने का अधिकार राज्य सरकार का है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि मलिन बस्तियों में निवासरत सभी को भू-स्वामित्व व मालिकाना हक दिया जाना ही उचित है। वर्तमान में सरकार मलिन बस्तियों के विरूद्ध कार्य करती आ रही है। इससे मलिन बस्तीवासी बहुत परेशानी में है। ऐसे में मलिन बस्तियों के हित के लिए मलिन बस्तियों को स्थायी किया जाए व पूर्ण रूप से मालिकाना हक दिया जाये। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ज्ञापन में कहा गया कि अगर इसमें कोई तकनीकी या व्यवहारिक दिक्कत है तो मलिन बस्तियों को उजाड़ने से पहले वहां के लोगों के पुनर्वास की समुचित व्यवस्था की जाए। उन्होंने कहा कि यदि शीघ्र ही इस ओर कार्यवाही नहीं की जाती है तो व्यापक स्तर पर आंदोलन चलाया जायेगा।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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